अाेपिनियन पाेस्ट ।
नयी दिल्ली। देश के चार राज्यों के ग्रामीण इलाकों में भारत लोक शिक्षा परिषद (भालोशिप) 76,611 एकल विद्यालय का संचालन कर रहा है। इसके तहत गांव में खेती, नियमित पर्यवेक्षण, आवधिक मूल्यांकन के अलावा संसाधन प्रबंधन प्रदान करना, एकल शिक्षकों और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने का काम भी इस मिशन का हिस्सा है। प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए एकल अभियान के सदस्य नंदकिशोर अग्रवाल ने कहा कि अभी 76,611 स्कूलों में 2,14,55,630 बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. जबकि 2022 तक एक लाख विद्यालय शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्हाेंने बताया कि एकल अभियान देश में अग्रणी सामाजिक संगठन के रूप में करोड़ो गरीब ग्रामवासियों के शैक्षणिक एवं सामाजिक सशाक्तिकरण हेतु समर्पित है। शिक्षा से समाज का विकास होता है और सामाजिक विकास की बुनियाद पर ही देश का विकास टिका होता है । उसी सामाजिक विकास की बुनियाद को मजबूत करने के लिए भारत लोक शिक्षा परिषद् एकल विद्यालय के माध्यम से ज्ञान की ज्योति जलाने का पुण्य कार्य कर रहा है ।
एकल विद्यालय देश का ही नही बल्कि दुनिया का सबसे अनूठा अभियान है जो बच्चों के बुनियादी शिक्षा के विकास में योगदान दे रहा है । सभ्यता संस्कृति और राष्ट्रवाद की शिक्षा देने वाला एकल विद्यालय आज लगभग पूरे भारत वर्ष में अपने पंख फैला चुका है । एकल एक है और इसका उद्देश्य भी एक है लेकिन इसके लाभ अनेक है, क्योंकि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, संस्कार, और ग्रामोत्थान की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है । “यदि बालक विद्यालय नही जा सकता तो क्यों न विद्यालय को बालक तक पहुंचाया जाये” स्वामी विवेकानन्द के इसी आदर्श वाक्य के साथ एकल विद्यालय निरंतर आगे बढ़ रहा है । भारत लोक शिक्षा परिषद एक शैक्षणिक पहल है जिसे ‘एकल विद्यालय’ के नाम से एक शिक्षक और एक स्कूल की अवधारणा के माध्यम से भारत के ग्रामीण हिस्सों में ग्रामीण एवं वनवासी बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने के लिए जाना जाता है।
भारत लोक शिक्षा परिषद् कई राज्यों जिनमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू क्षेत्र के गांवों में सफलतापूर्वक कुल 16170 “एकल विद्यालय” का संचालन कर रहा है। भारत से अशिक्षा जैसी समस्या को जड़ से खत्म करने के मिशन के साथ काम करते हुए, दूरस्थ क्षेत्रों के गांवों को प्राथमिकता के साथ अपना रहा है, जिनमें खेती, नियमित पर्यवेक्षण, आवधिक मूल्यांकन के अलावा संसाधन प्रबंधन प्रदान करना, एकल शिक्षकों और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने का काम भी इस मिशन का हिस्सा है।
भारत लोक शिक्षा परिषद जिसे 2000 में स्थापित किया गया था। शिक्षा भारत के दूरस्थ हिस्सों में अंतिम पंक्ति में अंतिम व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाने का माध्यम हो सकती है। एकल विद्यालय आंदोलन को कई प्रमुख सामाजिक नेताओं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और सामाजिक सक्रियता के अग्रदूतों का समर्थन मिला है। जिसमे डॉ सुभाष चंद्रा (ज़ी समूह), श्री लक्ष्मी नारायण गोयल (एस्सेल ग्रुप), श्री नरेश जैन (जैनको बिल्डकॉन), श्री सुभाष अग्रवाल (एक्शन ग्रुप) श्रीनंद किशोर अग्रवाल (क्रिस्टल ग्रुप) और श्री जीडी गोयल (जीडी बिल्डर्स) इत्यादि नाम शामिल रहे हैं । इन नामों और प्रतिष्ठानों के अलावा सीएसआर (CSR) फंड के माध्यम से दान करने वाले कई पीएसयू और कार्पोरेट के माध्यम से “एकल विद्यालय” चलाने के लिए आर्थिक सहायता मिल रही हैं।
साक्षरता और एकल- 18 साल, 76,611 विद्यालय अाैर 2.14 लाख बच्चाें काे शिक्षा
जनजातीय/ग्रामीण निवासियों को प्रमुख शहरों से दूरदराज के इलाकों में रहते हैं। उन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं, आधुनिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे से वंचित हैं। इस परिदृश्य में, एकल विद्यालय देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे व्यावहारिक समाधान के रूप में उभरा कर सामने आया है।
एकल अभियान वर्तमान में 76,611 विद्यालय चला रहे हैं और 2,14,55,630 बच्चें एकल विद्यालय के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे है। फरवरी 2016 में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी एकल विद्यालय की भूमिका की सराहना की है। उन्होंने कहा कि ये एक सफल मिशन है और यह भारत में एक महत्वपूर्ण कदम है, उन्होंने 2022 तक 1,00,000 विद्यालयों का लक्ष्य दिया है।
डॉ राकेश कुमार पोपली (एक भारतीय परमाणु भौतिक विज्ञानी), डॉ राजनीश अरोड़ा, डॉ महेश शर्मा (आईआईटी) और बीएचयू के श्री अशोक भगत ने वर्ष 1983 में गुमला जिले (वर्तमान में झारखंड में) में बिशनपुर का दौरा किया और इस जनजातीय क्षेत्र का विश्लेषण किया। उनके अध्ययन ने प्राथमिक जरूरतों के रूप में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य की पहचान की। डॉ राकेशपोली और डॉ राजनीश अरोड़ा ने शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के साथ काम करना शुरू कर दिया और अंततः स्थानीय समुदायों और विशेष रूप से बच्चों के बीच साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए अनौपचारिक शिक्षण की पद्धति विकसित की, इसने एकल शिक्षक स्कूलों की नींव रखी।
झारखंड में गुमला जिले के जनजातीय क्षेत्रों में स्कूल चलाने और उड़ीसा में जनजातीय लोगों के स्कूलों का अनुभव एक शिक्षक स्कूल की अवधारणा को विकसित करने में मदद करता है।
औपचारिक रूप से, जनजातीय गांवों में निरक्षरता की समस्या का समाधान खोजने के लिए 1988 में “वन टीचर स्कूल” की अवधारणा गुमला (झारखंड) में हुई थी। झारखंड और उड़ीसा के मॉडल पर चर्चा की गई और आगे बढ़ने के रूप में देखा गया। एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता श्री भाऊ राव देवरस ने वन टीचर स्कूल की अवधारणा को रेखांकित किया था।
माननीय श्री श्याम जी गुप्त एक संस्थापक, सलाहकार और एकल अभियान के सबसे मजबूत स्तंभ में से एक हैं। वह एकल आंदोलन की शिक्षा और दर्शन के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाने के लिए एक मिशन के साथ पूरी तरह से एकल अभियान के प्रति समर्पित हैं और इसे नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।
एकल विद्यालय- एक अनूठी अवधारणा
एकल ने ग्रामीण इलाकों में निरक्षरता से निपटने के लिए सरल समाधान प्रदान किए हैं। इसने जॉयफुल लर्निंग सिस्टम पेश किया जो शिक्षण का एक गैर-औपचारिक तरीका है। ग्रामीण शिक्षा में एकल कम लागत वाले मॉडल का पालन करता है। एकल स्कूलों का समय लचीला है। गांव की ग्राम समिति के परामर्श से, एकल स्कूल चलाये जा रहे हैं ताकि बच्चे अपने घर और व्यसायिक काम के साथ अध्ययन कर सकें।
एकल विद्यालय के उद्देश्य-
1: ग्राम समिति बनने के बाद एक गांव में एकल विद्यालय स्थापित किया जाता हैI समिति इसकी गतिविधियों की निगरानी और समर्थन करने की जिम्मेदारी लेती है। यह स्थानीय स्वामित्व और गांव समुदाय की भागीदारी लाता है। एकल विद्यालय ग्रामीण परिवारों, ग्रामीण युवाओं, किसानों और पंचायत समेत बच्चों और पूरे गांव समुदाय के लिए एक गांव में पांच गुना शिक्षा सुनिश्चित करता है।
2: विद्यालय आमतौर पर औसतन 30 छात्रों के साथ सप्ताह में 6 दिन, 3 घंटे के लिए चलाता है। छात्रों को उनके साक्षरता स्तर के आकलन के बाद भर्ती कराया जाता है, मुख्य उद्देश्य पढ़ने, लेखन, मूल अंकगणित, सामान्य विज्ञान और बुनियादी सामाजिक अध्ययन के बुनियादी कौशल को पढ़ाना है।
3: अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य बच्चों और गांव समुदाय के बीच व्यवहारिक माध्यम से स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करना और गांव में स्वच्छता के महत्व को वर्णित करना और उदाहरण देना, ताकि वे अपनी बुनियादी स्वास्थ्य आवश्यकताओं का ख्याल रखने के लिए संवेदनशील हो सकें। साप्ताहिक विद्यालय के दौरान स्वस्थ और संतुलित आहार के महत्व के बारे में गांव समुदाय को भी संवेदनशील बनाया जाता हैI
4: एकल विद्यालय जैविक खेती के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किसानों और ग्रामीण युवाओं के साथ काम करता है। कृषि को एक लाभदायक उद्यम बनाने के लिए किसानों और ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाते हैं।
5: एकल विद्यालय राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों पर जागरूकता अभियान चलाता है। इन अभियानों का मुख्य केंद्र गांव समुदाय को उनके लिए उपलब्ध विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में शिक्षित करना है।
भारत लोक शिक्षा परिषद् कैसे काम करता है?
भारत लोक शिक्षा परिषद् का प्रयास ग्रामीण इलाकों तक पहुंचना है जहां शिक्षा कई लोगों के लिए एक दूर का सपना है। संगठन ने वाराणसी, प्रयाग, कानपुर, लखनऊ, जम्मू, मुरादाबाद और दिल्ली के कुछ हिस्सों जैसे दक्षिण, उत्तर, पश्चिम, मध्य और पूर्वी दिल्ली में अपने शाखा खोले हैं। ये शाखाएं संसाधन उत्पन्न करती हैं।
शिक्षा जीवन के लिए एक उपहार है। हालांकि, भारत लोक शिक्षा परिषद वंचित बच्चों तक पहुंच कर उन्हें अपने सपनों को समझने में मदद करती है। भारत लोक शिक्षा परिषद् का मानना है कि हर बच्चा उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है अगर उसे सही सीखने के अवसर मिल जाए। भारत लोक शिक्षा परिषद यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि वंचित बच्चे, चाहे उनकी मूल या वित्तीय पृष्ठभूमि चाहे, शिक्षा, खेल, बातचीत और उनकी उम्र के अन्य बच्चों की तरह सीख सकें। हालांकि भारत लोक शिक्षा परिषद् बच्चों को उनकी क्षमता को एक खुला आसमान और सपनों को समझ कर पंख देने में मदद करता है।