ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो
जहां तक योग्य भारत अभियान के तहत विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने की बात है, उसके लिए सरकार तो अपना काम कर ही रही है, लेकिन निजी क्षेत्र को भी ऐसे लोगों को स्थायी रोजगार पाने या उन्हें उद्यमी बनाने में मदद करनी चाहिए। सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले एसोचैम द्वारा विकलांगों के सशक्तिकरण लिए आयोजित तीसरे वार्षिक सम्मेलन में ये बात कही। उन्होंने ये भी सुझाव दिया कि निजी संगठनों और निगमों को विकलांग व्यक्तियों की सहायता के लिए फंड विकसित करना चाहिए।
अठावले ने कहा, ‘निजी उद्यम और उद्योग कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के हिस्से के रूप में विभिन्न तरह की पहल करते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि विकलांग लोगों को मदद करने और उनके भीतर आत्मविश्वास जगाने के लिए और कौशल विकास के लिए उन्हें विशेष फंड विकसित करने के लिए काम करना चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार और कार्पोरेट दोनों क्षेत्रों की जिम्मेदारी है कि वे विकलांग लोगों की सहायता के लिए उन्हें स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए वित्तीय मदद के अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराएं ताकि वे भी समाज का हिस्सा बन सकें।’
अठावले ने कहा कि मोदी सरकार ने योग्य भारत अभियान के तहत सरकारी नौकरियों में रिक्त पदों में विकलांग लोगों के लिए आरक्षण की सीमा को 3 प्रतिशत से बढ़कर 4 किया है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि इसे प्रत्येक क्षेत्र में कार्यान्वित किया जाए। इसके लिए सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्रालय यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि सभी विभागों में 4 प्रतिशत विकलांग श्रमिकों के पद भरकर उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अठावले ने एसोचैम-सीबीएम इंडिया ट्रस्ट के ‘मेनस्ट्रीमिंग विथ सस्ती आईसीटी’ शीर्षक से तैयार किए गए संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट को भी जारी किया। अध्ययन में विकलांग लोगों को और अधिक सशक्त बनाने के लिए सस्ती, प्रभावी और आसानी से उपलब्ध जानकारी, संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) और सहायक तकनीकों के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
2011 की जनगणना के अनुसार देश में सभी तरह के विकलांग लोगों की संख्या 2.68 करोड़ थी जिसमें और वृद्धि हुई है। सम्मेलन में एसोचैम के अध्यक्ष डॉ. केडी गुप्ता और जनरल सेके्रट्री डीएस रावत ने इस क्षेत्र में संस्था की तरफ से किए गए कार्यों और उपलब्धियों पर पर प्रकाश डालते हुए भावी योजनाओं का खाका पेश किया। इनके अलावा यूनेस्को के प्रतिनिधि के रूप में शिगेरू ओयागी, डीजी एजूकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क डॉ. नीना पाहूजा ने विकलांगों की चुनौतियों और उपलब्ध संसाधनों पर विस्तार से व्याख्यान दिया।