नोबेल विजेता लियु शियावबो की लिवर कैंसर के चलते मौत हो गई है। चीन के विद्रोही नेता की मौत के बाद चीन की सरकार पर उनकी पत्नी को रिहा करने का दबाव बढ़ गया है। कहा जा रहा है कि लियु चीन से बाहर जाने की अनुमति का इंतजार करते रहे लेकिन चीन ने उन्हें यह अनुमति नहीं दी इसके लिए चीनी सरकार की काफी आलोचना हो रही है।
नोबेल विजेता लियु शियावबो की मौत के बाद चीन की सरकार पर उनकी पत्नी को रिहा करने का दबाव बढ़ गया है। चीन से बाहर जाने की अनुमति का इंतजार करते करते लियु की मौत हो गई और इसके लिए लोकतांत्रिक देशों ने चीनी सरकार की जमकर आलोचना की है।
अमेरिका और यूरोपीय संघ ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार से लियु की पत्नी और कवयित्री लियु शिया को रिहा कर देश से बाहर जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया है। लियु शिया 2010 से ही अपने घर में नजरबंद हैं। चीनी डॉक्टरों ने कहा है कि गुरुवार को लियु शियावबो के अंतिम पलों में उनकी पत्नी उनके पास थीं।
बताते चलें कि कैंसर के मरीज लियु लंबे समय से जेल में बंद थे एक महीने पहले ही उन्हें जेल से निकाल कर शेनयांग शहर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 1989 में थियानमेन चौक पर हुई क्रांति में शामिल रहे 61 साल के लियु लोकतंत्र की वकालत और चीनी सरकार की आलोचना करके सरकार के निशाने पर आ गए थे। लियु शिया के मां बाप की पिछले साल ही मौत हो गई। कवयित्री शिया की राजनीति में कभी दिलचस्पी नहीं रही ।