लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के परिवार में बगावत करने का श्रेय उनके दामाद अनिल साधु को जाता है। उनका दावा है कि वे जो कहेंगे वही आशा पासवान भी कहेंगी और आशा जो कहेंगी उसे उनका कथन माना जाए।
आशा पासवान ने अपने पिता और भाई के खिलाफ बगावत क्यों की है?
रामविलास जी भेदभाव करते हैं। एक परिवार में उन्होंने दो मापदंड तय कर रखे हैं। इससे नाराजगी तो होगी ही। वे कहते हैं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ लेकिन वे इस नारे के साथ न्याय नहीं करते हैं। बेटे को विदेश में पढ़ाते हैं। उनकी बेटी उनसे आज पूछ रही है कि क्या कारण था कि उन्हें देश के ही अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ाया गया जबकि उनका भाई दिल्ली से लेकर विदेश तक पढ़ आया। आशा गांव के स्कूल में भी नहीं पढ़ सकी। आशा जब मुझसे यह कहती है तो मुझे रामविलास जी के लिए इससे शर्मनाक कुछ और नहीं लगता। यह तो सबको मालूम होना ही चाहिए कि पासवान जी की कथनी और करनी में कितना बड़ा फर्क है।
कहा जा रहा है कि बाप के खिलाफ बेटी को पति ने उकसाया। सच क्या है?
मैं सच के साथ खड़ा हूं। रामविलास जी का बहुत सम्मान करता था और करता हूं। वो मेरी पत्नी के पिता हैं इस नाते से वह सम्मान हमेशा बरकार भी रहेगा। लेकिन जब बात आग, बगावत और हवा की है तो सच यह है कि मैंने किसी तरह की बगावत को हवा नहीं दी है। यह तो चिराग की चिंगारी से झोपड़ी में आग लगी है जिससे लोजपा में एक के बाद लोग बगावत कर रहे हैं। आने वाले दिनों में कई और बड़े लोग पार्टी को बाय-बाय करने वाले हैं। महबूब अली कैसर के साथ बड़ा भेदभाव हो रहा है। वे चुनाव जीतने के बाद से ही पार्टी आॅफिस नहीं जा रहे हैं। रामा सिंह भी नाराज हैं। वे अनौपचारिक तौर पर पार्टी से अलग-थलग ही हैं। इतना ही नहीं चाचा-भतीजा में भी विवाद है। पशुपति पारस और चिराग में पटरी नहीं बैठ रही है। भतीजे ने चाचा के पर कतरने की कोशिश की है। चिराग पार्टी के सुपर बॉस बन गए हैं और रामविलास जी पुत्र मोह में फंस चुके हैं।
इतनी नाराजगी है तो आप खुद मैदान में आकर चुनौती देने का ऐलान क्यों नहीं करते?
मैं भी चुनाव लड़ने को तैयार हूं। हम दोनों की कोशिश है कि पिता और बेटे को बेटी और दमाद चुनौती देंगे। उनके अहंकार को चुनौती देंगे। हमारा मकसद है दोनों को हराना। यदि तेजस्वी यादव हमें टिकट देते हैं तो पिता और बेटा दोनों चुनाव हार जाएंगे। हम दोनों पति-पत्नी पूरे बिहार मेंं तेजस्वी यादव के नेतृत्व में प्रचार करेंगे। राजद जयप्रकाश नारायण की बात करने वाले के साथ है तो रामविलास जी गांधी के हत्यारों के साथ हैं।
कहीं ऐसा तो नहीं है कि आप रामविलास पासवान के खिलाफ माहौल बनाकर राजद से टिकट पाना चाहते हों?
मैं अपनी बात पर कायम रहने वाले में से हूं। रामविलास जी बोलते थे कि मैं जहर खा लूंगा लेकिन आरएसएस, बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा। अब तो वे उन्हीं के साथ हैं, क्या जहर खा लिए। मैं उन जैसा नहीं हूं कि बयान देकर पलट जाऊं। तेजस्वी यादव ने मुझे हमेशा सम्मान दिया है जबकि रामविलास जी हमेशा अपमानित करते रहे। राजद मेरा घर-परिवार है। तेजस्वी मेरे दोस्त, छोटे भाई के समान हैं। मैं राजद और महागठबंधन के लिए वोट मागूंगा।
कहा जा रहा है कि आप राजद के इशारे पर देश के बड़े दलित नेता को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं?
रामविलास जी कभी दलितों के नेता हुआ करते थे, अब नहीं हैं। देशभर का दलित आज भाजपा की दमनकारी सरकार के खिलाफ है और रामविलास जी उसी की सरकार में शामिल होकर मजे लूट रहे हैं। देश भर में दलितों की ओर से ही रामविलास जी को काला झंडा दिखाया जा रहा है। फिर चाहे वो उनका लोकसभा क्षेत्र ही क्यों न हो।