प्रदीप भट्ट, उत्तराखंड कांग्रेस के प्रवक्ता से ओपिनियन पोस्ट की बातचीत-
कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है, आप प्रतिद्वंद्वी की स्थिति को कैसे आंक रहे हैं?
भाजपा ने एक तरह से कांग्रेस को वाक ओवर दे दिया है। जो काम कांग्रेस करती उसे भाजपाई खुद कर रहे हैं। भाजपा की अंदरूनी लड़ाई सार्वजनिक हो चुकी है। भाजपा में जितने नेता उतने मुख्यमंत्री के दावेदार हैं। उनकी गुटबाजी का फायदा कांग्रेस को मिलना तय है। जबकि कांग्रेस में यह तय है कि विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। कांग्रेस सरकार के विकास कार्य भाजपा पर बहुत भारी पड़ने वाले हैं।
कांग्रेस से बागी होकर गए विधायकों और एक पूर्व सांसद का फायदा भाजपा को मिलेगा?
कांग्रेस के बागी फायदे की बजाय भाजपा को नुकसान पहुंचाएंगे। तब भाजपा के लोग इन विधायकों के खिलाफ चुनाव हारे थे। ऐसे में क्या उनका टिकट काट पाना भाजपा के लिए आसान होगा। इन नेताओं से हारने वाले पूर्व विधायकों ने तो बाकायदा जंग का ऐलान कर भी दिया था जिसे किसी तरह भाजपा ने शांत किया है। भाजपा ने इन बागियों को अपनी पार्टी में लेकर जो गलती की है, उसका खामियाजा तो उसे भुगतना ही होगा।
आप भाजपा को कमतर समझने के मुगालते में तो नहीं हैं?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को ही ले लीजिए, उनका न तो अपने कार्यकर्ताओं-नेताओं पर अंकुश है और न अपनी जुबान पर। अभी उन्होंने पहाड़ के ब्राह्मणों पर शराब पीकर मंत्र पढ़ने की टिप्पणी की है, उसका भाजपा को क्या कोई फायदा मिलने वाला है। जिस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष ही बचकानी बातें करता हो, उस पार्टी पर लोग किस तरह भरोसा करेंगे।
भाजपा के पास खंडूड़ी जैसे सर्वमान्य नेता हैं, कांग्रेस को उनका डर तो होगा?
बेशक खंडूड़ी की उत्तराखंड में खासी इज्जत है। लेकिन वे खुद भाजपा में असहज हैं। जो सम्मान उन्हें मिलना चाहिए वह उन्हें नहीं मिल रहा। पार्टी में उनकी क्या कद्र है, इसका सबूत रायपुुर विधानसभा क्षेत्र की पर्दाफाश रैली में मिल गया था। जब खंडूड़ी भाषण देते हुए लोगों से बैठने की अपील कर रहे थे तो कार्यकर्ता भोजन की थाली पर झपट रहे थे। इसके अलावा रामनगर में आयोजित कोर कमेटी की बैठक से खंडूड़ी की गैरमौजूदगी भी सियासी तौर पर बिन कहे बहुत कुछ कह देती है।
कांग्रेसी भाजपा को लेकर बहुत चिल्ला रहे हैं लेकिन सरकार-संगठन का तालमेल न होने को लेकर भी तो आए दिन मामले सामने आते रहते हैं?
कांग्रेस में सरकार-संगठन में बेहतरीन तालमेल है। यहां न मनभेद है और न मतभेद। कांग्रेस संगठन जहां किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में बूथ स्तर तक मेहनत में जुटा है, वहीं कांग्रेस सरकार मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में राज्य के विकास कार्यों में जुटी है। सरकार और संगठन के संयुक्त प्रयास से अगले चुनाव में कांग्रेस ही विजयी होकर दोबारा सत्ता पर काबिज होगी।