अनिरुद्ध यादव ।
असम के ऊपरी हिस्से में उल्फा (यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट आफ असम) एक बार फिर सिर उठाता नजर आ रहा है। इस बार उल्फा पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों एनएससीएन (खांपलांग), एनडीएफबी-संगविजित सहित मणिपुर के कुछ उग्रवादियों के साथ मिलकर हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहा है। पिछले दिनों ऊपरी असम के तिनसुकिया जिले के पेंगरी में सेना के काफिले पर हुआ हमला उसी का नतीजा माना जा रहा है। उल्फा-आई (इंडिपेंडेंट) परेश गुट ने इस हमले की जिम्मेदारी भी ले ली है और इस हमले को पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों के साझा मंच की कार्रवाई बताया है। हमले की जिम्मेदारी लेते हुए उल्फा-आई के सेनाध्यक्ष परेश बरुवा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पेंगरी हमला आपरेशन बराक का हिस्सा है। उल्फा-आई की ओर से हथियार छीनने का भी दावा किया गया है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक उल्फा-आई अपने तंत्र को फिर से मजबूत करने के लिए भर्ती अभियान पिछले 4-5 महीने से चला रहा है। हाल के महीनों में उल्फा-आई ने एक स्थानीय भाजपा नेता के लड़के को आईएसआईएस की स्टाइल में किडनैप कर लोगों के मन में दहशत पैदा करने की कोशिश की थी। आए दिन ऊपरी असम में व्यापारियों को डिमांड नोट भेजे जा रहे हैं। ऊपरी असम के व्यापारी दहशत में हैं।
पिछले वर्षों में तिनसुकिया में उल्फा कई बार हिन्दीभाषियों का नर संहार कर चुका है। इसी कड़ी में इस घटना से ऐसा लग रहा है कि असम आतंक की ओर फिर से जा रहा है। तीन दिनों के भीतर एक ही स्थान पर उग्रवादियों के दो बड़े हमलों ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। पहला हमला सप्ताह की शुरुआत में तिनसुकिया जिले के पेंगरी में चायबागान के कैश वैन पर हुआ था, जिसमें एक की मौत हो गई थी। दूसरा हमला पेंगरी के जंगली इलाके में सेना के काफिले पर हुआ, जिसमें सेना के तीन जवान शहीद हो गए और 6 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। तिनसुकिया के पुलिस अधीक्षक मुग्धज्योति महंत ने बताया कि एनएससीएन (के) और उल्फा (आई) के उग्रवादियों ने रॉकेट चालित ग्रेनेड (आरपीजी), एके-47 राइफल और मोर्टार समेत अत्याधुनिक हथिायारों से संयुक्त रूप से घात लगाकर हमला किया है। प्राप्त रिपोर्ट में बताया गया है कि इस हमले को उग्रवादियों के 15 सदस्यीय दल ने अंजाम दिया है। हमले में एक जवान मौके पर ही शहीद हो गया और छह अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल जवानों में से दो जवानों ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया। हमले में शहीद जवानों की पहचान हवलदार मुल्तान सिंह नायक, हवलदार नरपत सिंह और हवलदार ऋषिपाल सिंह के रूप में की गई है, जबकि घायलों की शिनाख्त मनोज सिंह (39), सत्येंद्र प्रताप सिंह (48), वीरेंद्र सिंह (23) तथा विक्रम चंद (22) के रूप में की गई है। जवानों ने जवाबी कार्रवाई की, लेकिन उग्रवादी बच कर भाग निकलने में सफल रहे और उग्रवादियों के हताहत होने की जानकारी नहीं मिल पाई है। घात लगाकर किए गए इस हमले में एक जीप एवं एक शक्तिमान ट्रक पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। पुलिस के मुताबिक घटनास्थल पर खाली कारतूस, राकेट चालित ग्रेनेड, पानी की बोतलें और खाने का सामान मिला है। उग्रवादियों के धर-पकड़ अभियान में सेना की सहायता के लिए पुलिस और अतिरिक्त सुरक्षा बल भी अभियान में लगे हुए हैं। सेना, पुलिस एवं सीआरपीएफ के जवानों ने इलाके को घेर लिया है और बड़े स्तर पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। इस कार्य के लिए हेलीकॉप्टरों की भी सेवाएं ली जा रही हैं। पेंगरी से सटे जंगलों-तरानी वनांचल, अपर दिहिंंग वनांचल, खटापानी की दोनों तरफ से घेराबंदी की गई है। इसके साथ ही सेना ने पेंगरी थानांर्तगत मुंगपथार, कठालगुड़ी, नगापथार, तरानी व बरडुमसा थाने के सीमावर्ती गांवों में भी अभियान शुरू किया है। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री सवार्नंद सोनोवाल ने दोहराया कि आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं राज्य के पुलिस महानिदेशक मुकेश सहाय का कहना है कि इस हमले में पूर्वाेत्तर में उग्रवादी संगठनों के संरक्षक संगठनों के रूप में काम करने वाले उल्फा-आई और एनएससीएन (के) हाथ होने का संदेह है। हालांकि उन्होंने इलाके में ऐसे हमले की संभावना के संबंध में खुफिया एजेंसियों की चेतावनी से संबंधित रिपोर्ट की पुष्टि करने से साफ इंकार किया है। उक्त इलाकों में सैन्य अभियान से आम नागरिकों को हो रही परेशानी पर मुकेश सहाय ने ग्रामीणों से अपील की है और कहा है कि यह अभियान उग्रवादियों के खिलाफ है। आप लोगों को डरने की जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री सोनोवाल ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि हमलावरों को कतई नहीं बख्शा जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों को उग्रवादियों को बिल्कुल बर्दाश्त न करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री सोनोवाल ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को उग्रवादी हमले और इस घटना से उत्पन्न स्थिति और अपराधियों को पकड़ने के लिए उठाए जा रहे कदमों से अवगत कराया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हमले में सेना के जवानों की मौत पर दुख जताया है। साथ ही राज्य सरकार को केंद्र की तरफ से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है और कहा है कि इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं केंद्र सरकार हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने के पक्ष में दिख रही है।
इससे पहले श्रमिकों के वेतन का भुगतान करने के लिए पैसे लाने जा रहे एक वाहन पर संदिग्ध उल्फा (आई) उग्रवादियों ने हमला कर एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। इस घटना में असम उद्योग सुरक्षा बल के चार जवान भी जख्मी हो गए थे। दूसरी ओर सप्ताह में घटी दो घटनाओं के मद्देनजर पेंगरी इलाके के लगभग पांच गांवों के लोगों ने घर छोड़कर आसपास के स्कूलों में शरण ले रखी है। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का कहना है कि जब खुफिया विभाग की ओर से केंद्र व राज्य दोनों को इस बारे में सूचित किया गया था कि उल्फा नया रिक्रूट कर रहा है, बावजूद इसके सरकार की ओर से कोई कदम न उठाया जाना एक तरह से दोनों सरकारों का विफल होना साबित करता है। पूर्व मुख्यमंत्री गोगोई का यह भी कहना है कि वहां बेरोजगारी अधिक है, दूर-दराज इलाके हैं, इसलिए युवाओं का झुकाव उग्रवादी संगठनों की ओर जा रहा है, दूसरे नोटबंदी की मार भी परेशानी का सबब बन रही है।
उधर खुफिया एजेंसियों का मानना है कि उग्रवादियों ने अरुणाचल प्रदेश से होते हुए असम में प्रवेश किया। कारण कि उग्रवादी अक्सर अरुणाचल प्रदेश एवं नगालैंड के रास्ते का इस्तेमाल करते आए हैं। वहीं नोटबंदी के चलते उग्रवादी संगठन काफी परेशानी में हैं। केंद्र सरकार की ओर से अचानक नोटबंदी की घोषणा किए जाने को लेकर उल्फा समेत कई उग्रवादी संगठन संकट में हैं। सूत्रों का मानना है कि पुराने नोटों को लेकर उग्रवादी संगठन मुश्किल में हैं।