मुंबई। मशहूर संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम 18 फरवरी को 90 साल के हो गए। अपने जन्मदिन पर उन्होंने उभरते हुए संगीतकारों को अनोखा तोहफा दिया। उन्होंने अपनी 12 करोड़ रुपये की पूरी संपत्ति नवोदित संगीतकारों की मदद के लिए दान करने की घोषणा की।
खय्याम और उनकी गायिका पत्नी जगजीत कौर ने फिल्म जगत के जरूरतमंद और उभरते संगीतकारों के लिए एक ट्रस्ट की घोषणा की है। इस ट्रस्ट का नाम ‘खय्याम प्रदीप जगजीत चैरिटेबल ट्रस्ट’ है। उन्होंने अपनी संपत्ति इसी ट्रस्ट को दान में देने की घोषणा की है। इसके मुख्य ट्रस्टी गजल गायक तलत अजीज और उनकी पत्नी बीना हैं। इस ट्रस्ट में कई और हस्तियों को शामिल किया जाएगा।
बुधवार को खय्याम ने केक काटकर अपना जन्मदिन मनाया। उन्होंने बताया कि वह पहले फिल्मों में हीरो बनना चाहते थे लेकिन बाद में उनका रूझान संगीत की ओर हो गया और वह संगीतकार बन गए।
‘कभी कभी’ और ‘उमराव जान’ जैसी फिल्मों के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड पा चुके खय्याम ने अपने करियर की शुरुआत 1947 में की थी। ‘वो सुबह कभी तो आएगी’, ‘जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें’, ‘बुझा दिए हैं खुद अपने हाथों, ‘ठहरिए होश में आ लूं’, ‘तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो’, ‘शामे गम की कसम’, ‘बहारों मेरा जीवन भी संवारो’ जैसे लोकप्रिय गीतों में खय्याम अपने संगीत से चार चांद लगा चुके हैं।
खय्याम ने पहली बार फिल्म ‘हीर रांझा’ में संगीत दिया लेकिन मोहम्मद रफी के गीत ‘अकेले में वह घबराते तो होंगे’ से उन्हें पहचान मिली। फिल्म ‘शोला और शबनम’ ने उन्हें संगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया। खय्याम की पत्नी जगजीत कौर भी अच्छी गायिका हैं। उन्होंने ख़य्याम के साथ ‘बाज़ार’, ‘शगुन’ और ‘उमराव जान’ में काम भी किया है।