ओपिनियन पोस्ट
देहरादून । उत्तराखंड के चुनाव नतीजों के आने के बाद मुख्यमंत्री के सवाल पर तेज हुई गहमा गहमी अब लगता है खत्म होने जा रही है। अगर हम भरोसेमंद सूत्रों की माने तो उत्तराखंड राज्य के नए भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए राष्ट्रीय सचिव और विधायक जो की भiजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के काफी करीब समझे जाते हैं और जिनका संघ से गहरा नाता है, उत्तराखंड सरकार में पूर्व कृषि मंत्री रहे त्रिवेंद्र रावत का नाम फाइनल हो चूका है । जबकि विधान सभा अध्यक्ष के लिए प्रकाश पन्त का नाम तय हुआ है। प्रकाश पंत और सतपाल महाराज भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में काफी आगे थे। लेकिन अमित शाह के ब्लू आईड बॉय त्रिवेंद्र रावत आखिर इस रेस में जीत ही गए। 2014 के राष्ट्रीय चुनाव में कांग्रेस से भाजपा की शरण में आये हरीश रावत के राजनैतिक धुर विरोधी जो केंद्र में दो मर्तबा मंत्री भी रह चुके हैं, को काफी उम्मीद थी की उन्हें पूर्व में भाजपा हाई कमांड द्वारा दिया गए आश्वासन के मदेनजर प्रदेश का मुख्यमंत्री जरूर बनाया जायेगा और वे पुरे जोर शोर से कोहिशों में भी लगे रहे लेकिन लगता है उनकी कांग्रेसी बैकग्राउंड इस लड़ाई में उनके आड़े आ गयी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब सम्भवता सतपाल महाराज को केंद्र में राज्य मंत्री का दर्ज दिया जा सकता है और छह महीने के भीतर मेहरा की खाली हो रही राज्य सभा सीट से उन्हें राज्यसभा भेजा जायेगा। सतपाल महाराज की चौबट्टाखाल सीट से उनकी धर्मपत्नी चुनाव लड़ेंगी और इस तरह वे प्रदेश में मंत्री और महाराज केंद्र में मंत्री बन सकते हैं । कांग्रेस की राजनीति को भविष्य में पस्त करने के लिए एक ही घर के दो सदस्यों को केंद्र और राज्य की सरकारों में मंत्री बना दिया जायेगा और किसी से कोई नाराजगी भी नहीं होगी । दरअसल मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर भाजपा हाई कमान अपने भरोसेमंद व्यक्ति को बैठना चाहता था और इस समय संघ बैकग्राउंड के त्रिवेंद्र रावत, जो ठाकुर भी हैं और अमित शाह के खासे करीबी भी, इनसे बढ़िया और उपयुक्त व्यक्ति शायद ही कोई और हो सकता था। गौरतलब है की त्रिवेंद्र रावत को अमित शाह ने झारखण्ड का प्रभारी बनाकर भेजi था और झारखण्ड में भाजपा की सरकार बनने के बाद अमित शाह के साथ उनके रिश्ते और भी सुदृढ़ और प्रगाढ़ हो गए। हालांकि सतपाल महाराज बतौर एक ठाकुर नेता काफी कद्दावर और प्रभावशाली हैं जिनके देश भर में लाखों अनुयायी हैं , लेकिन हाल फिलहाल उनकी कांग्रेसी बैकग्राउंड उनके बनने के आड़े आ गई बताते है । लेकिन ये भी एक हकीकत है की त्रिवेंद्र रावत की ताजपोशी प्रदेश के खिसयाए विपक्ष को अति विवादित ढेंचा बीज घोटाला को लेकर उन्हें और भाजपा को पुनः विवादों में खड़ा कर सकता है। सवाल है की क्या भाजपा हाई कमान ऐसा कोई जोखिम मोल लेना चाहेगा।
हालांकि इस बीच उत्तराखंड से खबर आ रही है कि राज्य में बता बता दें कि 18 तारीख को देहरादून में बीजेपी सरकार और सीएम का शपथ ग्रहण समारोह होना है और इस समारोह में पीएम मोदी समेत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल होंगे। इनके अलावा भी बीजेपी के कई दिग्गज नेता इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। वैसे सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री रेस में त्रिवेंद्र सिंह और प्रकाश पंत के अलावा कोश्यारी का नाम भी शामिल था।