ओपिनियन पोस्ट
नई दिल्ली । सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी सीबीएसई ने देश भर में छठी से आठवीं क्लास के एग्जामिनेशन पैटर्न में अहम बदलाव किए हैं। ये पैटर्न इसी अकादमिक सत्र से लागू होंगे। नई व्यवस्था के तहत अब सीबीएसई से जुड़े 18,688 स्कूलों में साल में दो बार एग्जाम लिए जाएंगे। इन एग्जाम्स का नाम टर्म-1 और टर्म-2 रखा गया है।
ये बदलाव किए गए
अब साल में दो बार एग्जाम्स होंगे। टर्म-1 और टर्म-2 के नाम से इन एग्जाम्स को स्कूल लेगा। इसके बाद सभी स्कूल एक जैसा रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगे। वहीं, क्लास 9 का एग्जाम बिल्कुल क्लास 10 की तर्ज पर लिया जाएगा, जिससे बच्चे एक साल पहले ही बोर्ड के लिए मानसिक तौर पर तैयार हो सकें।
इस तरह का होगा पेपर
जानकारी के अनुसार टर्म-1 का पेपर 100 नंबर का होगा. इसमें से 20 नंबर छात्र के व्यवहार और शैक्षिक गतिविधियों के दिए जाएंगे। इन्हें एग्जाम से पहले तय किया जाएगा। इन 20 नंबरों से 10 नंबवर पीरियोडिक टेस्ट के होंगे और बाकी के 10 नंवबर दो भागों में बंटेंगे। 5 नंबर नोटबुक जमा करने के और 5 नवंबर स्टूडेंट की समझ के होंगे। बाकी के 80 नंबर लिखित एग्जाम के होंगे। वहीं, टर्म-2 भी 100 नंबर का होगा। इसमें भी 20 नंबर छात्र की एजुकेशनल एक्टिविटीज के होंगे और बाकी के 80 नंबर लिखित एग्जाम के।
10वीं की बोर्ड परीक्षा प्रणाली में भी हुआ परिवर्तन
इसी तरह अगले साल सीबीएसई की कक्षा 10 बोर्ड परीक्षा के के लिए बोर्ड ने परीक्षा प्रणाली में परिवर्तन किया था जिसके मुताबिक 10वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए छात्रों को पांच विषय- दो भाषा, सोशल साइंस, गणित और विज्ञान पढ़ना पड़ता था। हालांकि उन्हें एक अतिरिक्त वोकेश्नल विषय पढ़ने का विकल्प भी था। सीबीएसई के मुताबिक अब 2017-18 की परीक्षा में एक वोकेश्नल विषय अनिवार्य हो जाएगा।
सीबीएसई ने नैशनल स्किल क्वॉलिफिकेशन फ्रेववर्क के तहत उन स्कूलों को छूट दी है जो अपने स्कूल में वोकेश्नल विषय को अनिवार्य रूप में पढ़ा रहा है। ऐसे स्कूलों का कोई छात्र यदि साइंस, सोशल साइंस और गणित में फेल होता है तो उस विषय को अनिवार्य किए गए वोकेश्नल विषय से बदल दिया जाएगा।
इसी तर्ज पर ऐसे स्कूलों के छात्रों का आंकलन बोर्ड परीक्षा में भी किया जाएगा। बोर्ड ने बताया कि एक विषय में फेल होने वाले छात्र उस विषय में कंपार्टमेंट परीक्षा दे सकते हैं और अपसे साल को खराब होने से बचा सकते हैं।