सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिजली बनाने वाली कंपनियों को झटका लगा है। इसमें अडाणी पावर और टाटा पावर जैसी बिजली बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अडाणी पावर और टाटा पावर जैसी बिजली कंपनियां ग्राहकों से कॉम्पेंसेट्री टैरिफ (क्षतिपूर्ति शुल्क) नहीं वसूल सकती हैं। यानी कि सुप्रीम कोर्ट ने बिजली दरें बढ़ाने से इनकार कर दिया है। ये गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र के ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एपीटीईएल का आदेश खारिज कर दिया है। बता दें कि सीईआरसी(केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग) ने कोयले की बढ़ती लागत का हवाला देते हुए दोनों को दरें बढ़ाने की मंजूरी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अडाणी पावर के शेयर में 16 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली है। वहीं टाटा पावर का शेयर कारोबार के दौरान 6।65 फीसदी तक टूटा।
बता दें कि टाटा-अडाणी ने सीईआरसी में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि रुपये की कीमत गिरने और इंडोनेशिया से आने वाला कोयला महंगा होने के कारण उनकी लागत बढ़ गई है। इसलिए उन्हें ज्यादा फीस वसूलने की अनुमति दी जाए।
कोर्ट ने सीईआरसी के आदेश को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोयले के दाम में बढ़ोत्तरी से कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट के नियमों का पालन करने से मुक्त नहीं हो जाती हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि बिजली वितरण कंपनियों के साथ किए गए बिजली खरीद समझौते में जो मूल बात है उसे बदला नहीं जा सकता है। समझौते में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि कोयले का आयात केवल इंडोनेशिया से ही एक खास दाम पर किया जाना है।