नई दिल्ली । भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पास दोहरी नागरिकता रखने का आरोप लगाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि राहुल ने बैकप्स लिमिटेड कंपनी से जुडे़ दस्तावेजों में स्वयं को एक ब्रिटिश नागरिक घोषित किया है। हालांकि कांग्रेस ने उनके आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि गलत जानकारी किसी ने दे दी होगी, जिसे सही किया जा सकता है।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार, राहुल गांधी के ब्रिटेन स्थित कंपनी बैकप्स लिमिटेड ने अपने दस्तावेजों में अलग अलग तथ्य दिए थे। बैकप्स लिमिटेड के एक दस्तावेज में राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक दिखाया गया है, जबकि उसी कंपनी के एक अन्य दस्तावेज में उनको भारतीय नागरिक दिखाया गया है। और एक तीसरे दस्तावेज में उनको पहले ब्रिटिश नागरिक दिखाया गया और बाद में उसे खुरचकर वहां पर हाथ से भारतीय नागरिक लिखा गया है।
बैकऑप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली स्थित स्टार्ट अप बीपीओ कंपनी है। इसे 2002 में 25 लाख रुपए से शुरू किया गया था। यह कॉल सेंटर की तर्ज पर सेवा मुहैया कराती है। बड़ी विदेशी सिविल इंजीनियरिंग फर्म्स को इंजीनियरिंग से जुड़ी जानकारी और स्ट्रक्चरल प्लानिंग सर्विस मुहैया कराती है। 2004 में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को जो हलफनामा दिया था उसके मुताबिक कंपनी में उनकी 83 फीसदी हिस्सेदारी थी। 2004 में बैकऑप्स का पूंजी निवेश 2.5 लाख रुपए था। कंपनी के बैंक खाते में तीन लाख रुपए जमा थे। कंपनी के एक और निदेशक के तौर पर राहुल के पारिवारिक दोस्त मनोज मुट्टू का नाम बताया गया था। राहुल ने बाद में कंपनी की अपनी हिस्सेदारी बहन प्रियंका गांधी के नाम कर दी थी। 2010 में कंपनी द्वारा दायर किए गए दस्तावेज के मुताबिक प्रियंका 91.67 फीसदी शेयरों की मालकिन थीं। उन्हें 25 मार्च, 2009 को कंपनी का एडिशनल डायरेक्टर बनाया गया था। कंपनी की बाकी 8.33 प्रतिशत हिस्सेदारी मनोज मुट्टू के पास थी।
स्वामी के आरोप उन दो वार्षिक रिटर्न पर आधारित हैं, जिसमें राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया है। पहला रिटर्न 10 अक्टूबर 2005 और दूसरा 31 अक्टूबर 2006 का है। इन दोनों में ही राहुल को ब्रिटिश नागरिक बताया गया है। पहले रिटर्न में राहुल गांधी का पता 2 फ्रोग्नल वे, लंदन एनडब्ल्यू3 6एक्सई दिया गया है जबकि दूसरे रिटर्न में 51 साउथगेट स्ट्रीट, वीनचेस्टर, हैम्पशायर, एसओ23 9ईएच दिया गया है।
हालांकि 21 अगस्त 2003 को निगमीकरण के वास्तविक प्रमाण पत्र में राहुल गांधी की नागरिकता भारतीय दिखाई गई है। इस दस्तावेज को उनके एजेंट डैमियन वार्डिंगली ने जमा कराए थे। जुलाई 2004 को राहुल के सहयोगी डायरेक्टर मैकनाइट द्वारा साइन किए गए एक दस्तावेज में राहुल की नागरिकता ब्रिटिश लिखी गई है। फिर लगभग तीन महीने बाद 8 अक्टूबर, 2004 को उसे बदलकर भारतीय किया गया। 2009 में बंद किए गए इस कंपनी के दस्तावेजों में हुए फेरबदल पर द कंपनीज हाउस की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि में साकेत (नई दिल्ली) के मेट्रोपॉलिटन मॉल में राहुल ने दो दुकानें खरीदीं। इन दुकानों का सुपर बिल्ट-अप एरिया 514.44 और 996.98 वर्ग फीट है। 2009 के चुनावी हलफनामे में राहुल ने इन दोनों दुकानों की कीमत 1.63 करोड़ रुपए घोषित की थी। 2012-2013 में उन्होंने 5.28 करोड़ में दोनों दुकानें बेच दीं। अक्तूबर 2010 में राहुल ने गुडगांव के सिग्नेचर्स टावर-2 में दो कमर्शियल प्रॉपर्टीज बुक कराई थीं। इनमें से एक की कीमत 1.44 करोड़ और दूसरे की 5.36 करोड़ रुपए थी। जमीनें: राहुल ने 6 एकड़, 3 कनाल और 13 मरला जमीन फरीदाबाद (हरियाणा) के मौजा हसनपुर गांव में खरीदी थी। यह सौदा 2008 में हुआ था। 2012 में उन्होंने यह जमीन बहन प्रियंका को तोहफे में दे दी।
राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों के बीच, कांग्रेस ने कहा कि राहुल ने कभी गैर भारतीय पासपोर्ट और गैर भारतीय नागरिकता हासिल नहीं की। विपक्षी पार्टी ने परोक्ष रूप से सरकार को इसे खारिज करने की चुनौती दी। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने एआईसीसी संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘स्वामी के प्रयासों को खारिज किया जाना चाहिए और वह मानहानि के हकदार हैं क्योंकि ये कुछ और नहीं, झूठा का पुलिंदा है।’ उन्होंने कहा, ‘पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। कांग्रेस ने चार दिन पहले लिखित आधिकारिक प्रतिक्रिया दे दी है। जब मैंने स्पष्ट बयान दे दिया तो वाषिर्क रिटर्न की बात कहां से आती है? सरकार को इसे खारिज करने दीजिए।’