अंडरवर्ल्ड छोटा राजन इंडोनेशिया की राजधानी में पकड़े जाने के बाद भारत लाया जा चुका है। यह सवाल अभी भी जस का तस है कि आखिर वह बाली में गिरफ्तार कैसे हुआ? छोटा राजन की गिरफ्तारी आंखो का भ्रम है या कोई चूक ये तो अभी साफ नहीं, मगर गिरफ्तारी के बाद राजन ने जिस तरह दावा किया कि वह भारत आना चाहता था, उससे तमाम सवालों के जवाब खुद मिल जाते हैं। राजन की गिरफ्तारी के बाद जिस तेजी से इंडोनेशिया के साथ प्रर्त्यपण संधि पर हस्ताक्षर हुए और गिरफ्तारी से कुछ समय पूर्व ही विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने इंडोनेशिया दौरा कर प्रर्त्यपण संधि का मसौदा तैयार करवाया। उससे साफ है कि उसी वक्त राजन की कथित गिरफ्तारी का ब्लू प्रिंट तैयार हो गया था।
दाऊद के खिलाफ बन सकता है सरकारी गवाह
सूत्रों की मानें तो छोटा राजन की गिरफ्तारी में दो राज छिपे हैं। एक, सीबीआई उसे 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में दाऊद के खिलाफ एक अहम गवाह बनाना चाहती है। राजन ने ही सालों पहले खुफिया एजेंसियों को बताया था कि मुंबई धमाके की साजिश का मास्टरमाइंड आईएसआई के इशारे पर काम करने वाला दाऊद इब्राहीम है। दाऊद के खिलाफ राजन के चश्मदीद गवाह बन जाने से मोस्ट वांटेड अपराधी के खिलाफ प्रत्यक्ष तौर पर एक अहम सबूत जांच एजेंसियों के पास मौजूद होगा। दूसरा, इस केस में अहम गवाह बनाने के बाद छोटा राजन को भी महफूज किया जा सकेगा। बतौर गवाह उसे सुरक्षित पनाहगाह में रखने के पीछे सरकार के पास ठोस तर्क होगा।
छोटा राजन को भारी सुरक्षा में भारत लाने के बाद से ही दिल्ली में सीजीओ कॉम्पलैक्स में बने सीबीआई मुख्यालय में रखा गया। अतिरिक्त निदेशक वाईसी मोदी की निगरानी में न सिर्फ राजन से पूछताछ हुई वरन रोजमर्रा की जांच पड़ताल से सीबीआई निदेशक और गृह मंत्रालय को भी ब्रीफ किया गया। इतना ही नहीं छोटा राजन से रॉ एवं खुफिया ब्यूरो के अधिकारी भी दाऊद नेटवर्क के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे हैं। सीबीआई में संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी ने यह कबूल किया कि राजन की जान को सचमुच खतरा है। सुरक्षित कस्टडी के बावजूद उसकी हत्या का डर है। अधिकारी का दावा है कि इसीलिए राजन की कस्टडी रिमांड के लिए सीबीआई कोर्ट के जज से सीबीआई मुख्यालय में ही रात को स्पेशल कोर्ट लगवाने का अनुरोध कर उसका पुलिस रिमांड लिया गया। अब उसे दिल्ली के तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। यह उसे कड़ी सुरक्षा में रखा गया है।
सीबीआई के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि छोटा राजन को सबसे ज्यादा खतरा मुंबई में है। इसीलिए केन्द्र सरकार से अनुरोध कर महाराष्ट्र में राजन के खिलाफ दर्ज सभी केस सीबीआई को सौंप दिए गए। सूत्रों का यह भी कहना है कि छोटा राजन ने सीबीआई टीम के समक्ष आशंका जाहिर की थी कि कस्टडी के बावजूद डी कंपनी उसकी हत्या करवा सकती है। जिसके लिए उसने दाऊद से नियमित पैसा लेकर काम करने वाले मुंबई पुलिस के कुछ अधिकारियों का नाम बताकर कई घटनाओं का विवरण भी दिया। बता दें कि मुंबई में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर विजय सालस्कर से लेकर दया नायक जैसे कई सुपर कॉप्स पर अतीत में यह आरोप लगते रहे हैं कि अंडरवर्ल्ड से उनकी मिलीभगत है। इन आरोपों के चलते ये सभी कई बार बर्खास्त भी हुए। हालांकि, किसी भी अफसर के खिलाफ लगे आरोप आज तक साबित नहीं हुए। छोटा राजन के आरोप कितने सच, कितने गलत हैं यह तो पता नहीं लेकिन आरोपों को अगर दाऊद के शूटर छोटा शकील की धमकी को ध्यान में रखकर देखें तो इसे सच मानने पर मजबूर हो जाएंगे।
जेल में मारने की धमकी
दरअसल, दाऊद के खासमखास छोटा शकील ने राजन की गिरफ्तारी के बाद एक अंग्रेजी अखबार को इंटरव्यू देकर दावा किया था कि बाली में हुई छोटा राजन की गिरफ्तारी उसी की वजह से हुई है। छोटा शकील के इस दावे के बाद से ही सवाल उठा कि कहीं राजन डी कंपनी से डरकर अपनी मर्जी से तो गिरफ्तार नहीं हुआ। छोटा शकील ने यह भी दावा किया कि भले ही राजन गिरफ्तार हो गया हो और पुलिस की कस्टडी में हो, इसके बावजूद डी कंपनी उसे मरवा देगी।
छोटा राजन को मौत का डर और मुंबई पुलिस में दाऊद के मुखबिर होने का विश्वास खुफिया एजेंसियों को भी है। खुफिया एजेंसियों की नजर में राजन को लेकर मुंबई पुलिस का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। मुंबई पुलिस में दाऊद के ऐसे ही भेदिया अफसरों के कारण दाऊद को दस साल पहले मार देने का आईबी का एक कवर्ट ऑपरेशन फेल हो गया था। 2005 के दिल्ली के अशोका होटल का किस्सा आज भी खुफिया एजेंसियों के लिए एक बुरे सपने जैसा है। तब मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने अपनी टीम के साथ राजन के दो खास सिपहसालार विक्की मल्होत्रा और फरीद तनाशा को होटल के बाहर दबोच लिया। ये दोनों पूर्व खुफिया ब्यूरो (आईबी) चीफ, जो इस समय केंद्र सरकार के सुरक्षा सलाहकार हैं, उनसे मुलाकात कर बाहर निकल रहे थे। आईबी ने मुंबई पुलिस को तब काफी समझाना चाहा था कि वे दाऊद के खिलाफ एक अंडरकवर ऑपरेशन में एजेंसी की मदद कर रहे हैं। इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें जाने नहीं दिया। यह भी कहा जाता है कि मुंबई पुलिस की टीम ने उलटा यह बात डी-कंपनी तक पहुंचा दी। अपनी बेटी माहरूख की शादी में शामिल होने के लिए दुबई पहुंचे दाऊद को मारने के ऑपरेशन में लगी टीम उसका बाल भी बांका न कर सकी। दाऊद अलर्ट हो गया और आईबी व रॉ का यह ज्वाइंट ऑपरेशन फेल हो गया। दरअसल विक्की मल्होत्रा और फरीद इसी ऑपरेशन पर चर्चा के लिए पूर्व आईबी चीफ से मिलने आए थे।
सीबीआई के मुताबिक छोटा राजन के खिलाफ करीब 85 मामलें देशभर में दर्ज हैं। जिनमें कई हत्या, अवैध वसूली से लेकर आतंकवादी व विघटनकारी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, आतंकवाद निरोधक अधिनियम तथा महाराष्ट्र की संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के हैं। सीबीआई के एक अधिकारी बताते हैं कि विदेशों में छिपे रहने के लिए राजन ने तीन पासपोर्ट बनवाएं थे। 1996 में विजय कदम के नाम से अपना पहला पासपोर्ट बनवाया जिसके जरिये वह थाईलैंड के बैंकॉक गया और वर्ष 2000 तक उसी पासपोर्ट पर रहा। उसी वर्ष दाऊद इब्राहिम के साथियों ने एक होटल में उस पर हमला किया, जिससे बचने में वह कामयाब रहा।
हमले के बाद राजन को पकड़े जाने का डर था। इसलिए उसने कर्नाटक के मंडया में आजाद नगर के ओल्ड एमसी रोड के 127/बी के निवासी मोहन कुमार के नकली नाम से भारतीय पासपोर्ट (नम्बर जी 9273860) बनवाया। राजन ने जिंबाब्वे में हरारे से यह पासपोर्ट बनवाया। इसी पासपोर्ट से राजन 22 सितंबर, 2003 को ऑस्ट्रेलिया पहुंचा, जो सात जुलाई, 2018 तक मान्य था।
राजन उसी पासपोर्ट पर 2003 से 25 अक्टूबर, 2015 तक ऑस्ट्रेलिया में रहा और वहां रहने के लिए कई अलग-अलग वीजा प्राप्त किए। बाद में उसने ऑस्ट्रेलिया में रहने के लिए रेजीडेंसी परमिट प्राप्त कर ली। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई को मई 2015 में इंटरपोल से राजन के ऑस्ट्रेलिया में होंने की सूचना मिली। राजन के रेजीडेंसी परमिट की अवधि 31 अक्टूबर, 2015 को समाप्त हो रही थी, जिसे वह बढ़वाने की कोशिश कर रहा था। सीबीआई को जैसे ही खबर मिली उसने मुंबई पुलिस से राजन का क्राइम डोजियर देने का कहा। इसी के बाद मुंबई पुलिस में मौजूद दाऊद के भेदियों ने यह खबर डी कंपनी तक पहुंचा दी।
डी कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया में ही छोटा राजन का ऑपरेशन करने के लिए अपने शूटर भेज दिए। इसमें राजन के तीन करीबी भी शामिल थे। गिरोह के इधर-उधर छिटक जाने व खुद को घिरा पाकर छोटा राजन डर गया। उसने अपने सूत्रों के जरिये भारतीय एजेंसियों से सुरक्षा देने के लिए मदद मांगी और फिर मौत के डर से डरे डॉन को अपनी पनाह में लाने के लिए खुफिया एजेंसियों व सीबीआई ने सुरक्षित गिरफ्तारी का प्लान तैयार किया। राजन के पास से एक तीसरा पासपोर्ट भी मिला है, जिसमें उसके पिता का उपनाम ‘राजन’ लिखा है। अधिकारियों ने तीसरे पासपोर्ट के बारे में अधिक जानकारी देने से फिलहाल इंकार किया है।
छोटा राजन फिलहाल सीबीआई के सेफ हाऊस में लंबे समय तक मेहमान रहेगा। इसके बाद उसे किस जेल में रखा जाएगा और उससे पूछताछ के बाद ऑपरेशन दाऊद कब और कैसे अंजाम दिया जाएगा, इसकी जानकारी सिर्फ चंद लोगों को है। लेकिन यह सच है कि डॉन अपने डर को दूर करने के लिए अपने दुश्मन को मिटाने के लिए भारतीय एजेंसियों की पूरी मदद कर रहा है।
क्या विक्की मल्होत्रा होगा राजन का उत्तराधिकारी
दिल्ली से लेकर मुंबई और दुबई से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक अंडरवर्ल्ड में पिछले कुछ दिनों से यह सवाल उठ रहा है कि राजन का उत्तराधिकारी कौन बनेगा? छोटा राजन जब जेल में रहेगा तो अपराध की दुनिया में दाऊद इब्राहिम के बाद दूसरा बड़ा डॉन कौन होगा जो दाऊद को चुनौती दे?
मुंबई पुलिस और अंडरवर्ल्ड से जुड़े सूत्रों की मानें तो कभी छोटा राजन के लिए काम करने वाले पांच सिपहसालार ऐसे है जिनमें से कोई एक छोटा राजन की कमान संभाल सकता है। ये सभी पहले राजन के करीबी रहे और बाद में अपनी-अपनी गैंग बना ली। लेकिन सबकी एक ही खूबी है कि वे राजन की तरह ही दाऊद के विरोधी हैं।
इनमें सबसे चर्चीत नाम रवि पुजारी है। समय-समय पर कई फिल्मी हस्तियों को रंगदारी के लिए धमकाने और मारने की कोशिश के चलते चर्चा में जरूर रहता है। लेकिन भारत की खुफिया एजेंसियों से लेकर मुंबई पुलिस इसे कभी गंभीरता से नहीं लेती। दूसरा नाम अबु सावंत का है। उसके बारे में जांच एजेंसियां कहती है कि वह खून खराबे में कम छोटा राजन के काले कारोबार को संभालने में ज्यादा सक्रिय रहा है। लेकिन गैंग संभालने का अनुभव नहीं है। छोटा राजन के उत्तराधिकारियों में तीसरा नाम विजय शेट्टी का लिया जा रहा है। उसके बारे में बताया जाता है कि उसी ने बैंकॉक में अपने साथी भरत नेपाली की हत्या करवाई। मुंबई में वकील शाहिद आजमी और चेंबूर के तिलक नगर यानी छोटा राजन के गढ़ में घुसकर फरीद तनाशा को मरवाने जैसा जोखिम भरा काम किया था।
संतोष शेट्टी वह चौथा नाम है जो कभी राजन का बेहद करीबी रहा। दुबई से लेकर बैंकॉक और सिंगापुर से छोटा राजन को बचाकर निकालने वाला संतोष शेट्टी फिलहाल जमानत पर है और कहीं गुमनाम जगह को ठिकाना बनाए हुए है। लेकिन इन सबसे अलग जो नाम है असल में उसी को छोटा राजन का असली उत्तराधिकारी माना जा रहा है। वो नाम है विक्की मल्होत्रा जिसके बारे में दिल्ली से दुबई और करांची तक का समूचा अंडरवर्ल्ड जानता है कि वह गिरफ्तारी होने तक छोटा राजन का सबसे करीबी रहा है। विक्की मल्होत्रा को भारत की खुफिया ब्यूरो का आर्शीवाद भी मिला हुआ है। देश में जुर्म की दुनिया का हर सूरमा इस किस्से को जानता है कि छोटा राजन अपने दुश्मन दाऊद के खिलाफ आईबी के साथ जो भी ऑपरेशन प्लान करता था, उसमें सक्रिय रूप से आईबी के साथ मिलने-जुलने का जिम्मा विक्की मल्होत्रा का ही होता था। आने वाले दिनों में विक्की मल्होत्रा को लोग छोटा राजन की जगह दूसरे डॉन के रूप में जानें तो हैरत नहीं।