अभिषेक रंजन सिंह, नई दिल्ली।
अयोध्या में ढाई दशक पूर्व विवादास्पद बाबरी मस्जिद गिराए जाने के प्रकरण में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत अन्य आरोपियों के विरूद्ध आरोप तय हो गए हैं। मंगलवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने उक्त आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत आरोप तय किए हैं।
हालांकि आरोपियों ने एक याचिका दायर कर अपने खिलाफ आरोप खारिज करने की मांग की थी। उनकी दलील थी कि बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। अदालत ने उनकी यह मांग खारिज कर दी। इससे पहले, उन्हें इस मामले में अदालत से जमानत मिल गई। आरोपियों को पचास-पचास हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई। गौरतलब है कि भाजपा के इन तीन बड़े नेताओं के अलावा विनय कटियार, विहिप नेता विष्णु हरि डालमिया और हिंदूवादी नेता साध्वी ऋतंभरा को जमानत मिली।
इससे पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस जाकर लालकृष्ण अाडवाणी और अन्य भाजपा नेताओं से मुलाकात की। योगी ने यह मुलाकात ऐसे वक्त में की है, जब वह एक दिन बाद ही वह अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आने वाले समय में अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि अदालत की कार्रवाई 11 बजे शुरू होने वाली थी, लेकिन इसमें देरी हो गई। कोर्ट परिसर में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए थे। संबंधित पक्षों को छोड़कर किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी।
वहीं केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अदालत के फैसले से पूर्व दोहराया कि यह साजिश नहीं, आंदोलन था। जबकि रामविलास वेदांती ने एक बार फिर दोहराया कि उन्होंने ही विवादित मस्जिद गिराया है और उन्हें इस बात का कोई दुख नहीं है। महंथ वेदांती के मुताबिक, पूरा देश राम मंदिर निर्माण चाहता है।
अदालत के इस फैसले के बाद राजनीति तेज होने की आशंका बढ़ गई है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टिंयां इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर दबाव बनाने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह से पद छोड़ने की मांग कर सकते हैं।