आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह अरविंद केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक है। मूलत: सुलतानपुर के रहनेवाले संजय सिंह अन्ना आंदोलन के कुछ पहले ही केजरीवाल के संपर्क में आए थे और तब से उनके साथ हैं। दिल्ली में सरकार बनने के बाद और योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे वरिष्ठ लोगों के अलग होने के बाद पार्टी ने इनकी जिम्मेदारियां बढ़ा दी। दिल्ली के बाद आप के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जानेवाले राज्य पंजाब की जिम्मेदारी भी संजय सिंह के पास है।
जब यह सरकार बनी थी तो लगा था कि यह सरकार विकास के कामों के लिए चर्चा में रहेगी, मगर यहां तो टकराव की चर्चा ज्यादा रहती है, कभी एल.जी. से टकराव, कभी गृहमंत्रालय से टकराव तो कभी नरेंद्र मोदी से टकराव । ऐसा क्यों?
अगर हमारे काम में कोई अड़ंगे लगाएगा तो टकराव रहेगा ही। केंद्र हमारे काम में अड़ंगे लगा रहा है। कभी एल.जी. के जरिए तो कभी गृहमंत्रालय के जरिए। आगे भी अगर दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दिया जाएगा तो हम जवाब तो देंगे ही। अगर आप यह कह रही हैं कि दिल्ली सरकार टकराव के कारण ही चर्चा में रहती है तो यह गलत है। 1.6 किलोमीटर लंबा पुल आजादपुर मंडी में हमने डेढ़ सौ करोड़ में बनवाया। जबकि इसके लिए 250 करोड़ रुपए प्रस्तावित थे। इसकी खूब चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने खुद इसकी सरहाना की। सिख दंगों के पीड़ितों को पांच-पांच लाख रुपए बतौर हर्जाना दिया गया, बिजली का बिल आधा किया गया, पानी मुफ्त किया। स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता ऐप चलाया। अब देखिए एंटी करप्शन ब्रांच में एल.जी. ने संयुक्त आयुक्त का एक नया पद बना दिया।
स्वास्थ्य के क्षेत्र, शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया। हमने मोहल्ला क्लिनिक शुरू की हैं। कुछ शुरू हो चुकी हैं। बाकी जगहों पर शुरू होनी हैं। एक हजार मोहल्ला क्लिनिक पूरी दिल्ली में खुलेंगी। जाति, मृत्यु-जन्म, आय समेत 200 से ज्यादा प्रमाणपत्र आनलाइन किए। बिना घूस के यह प्रमाण पत्र बनते ही नहीं थे।
एम.के.मीणा को उस पद पर बैठा दिया। खुद ही देख लीजिए जब से एम.के. मीणा इस पद पर नियुक्त हुए हैं तब से किसी भ्रष्टाचार का मामले को उठाया ही नहीं गया। जबकि दिल्ली सरकार इसी एंटी करप्शन ब्रांच के जरिए कई मामले सामने ला रही थी। यह अड़ंगा लगाना नहीं तो फिर क्या है? सीधी सी बात है कि अगर दिल्ली सरकार के काम में अड़ंगे कोई भी लगाएगा तो टकराव होगा ही होगा। चाहें वह केंद्र हो, एल.जी. हो या खुद नरेंद्र मोदी।
आपकी सरकार दस महीनों की हो गई है। आपकी प्रमुख उपलब्धियां क्या रहीं?
स्वास्थ्य के क्षेत्र, शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया। हमने मोहल्ला क्लिनिक शुरू की हैं। कुछ शुरू हो चुकी हैं। बाकी जगहों पर शुरू होनी हैं। एक हजार मोहल्ला क्लिनिक पूरी दिल्ली में खुलेंगी। जाति, मृत्यु-जन्म, आय समेत 200 से ज्यादा प्रमाणपत्र आनलाइन किए। बिना घूस के यह प्रमाण पत्र बनते ही नहीं थे। यह किसी सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि है। शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। प्राइवेट स्कूलों में डोनेशन न लगे, धांधली न हो इसके लिए बिल लाए। अब इस पर कानून बनने की प्रक्रिया चल रही है। मोहल्ला सभा के लिए भी हम बिल लेकर आए हैं। सभाओं के लिए बाकायदा बजट पास होगा। इस पर सख्त निगरानी होगी। अभी केवल 11 विधानसभा क्षेत्रों में मोहल्ला सभाएं चल रही हैं। इस कानून के बनने के बाद मोहल्ला सभा एक तरह से प्रशासन की सबसे जमीनी इकाई हो जाएगी। जनता सीधे अपनी समस्याओं को कहेगी। तुरंत उसके बजट से समस्या को हल किया जाएगा।
देखिए काम बहुत हो चुके हैं और बहुत हो रहे हैं। मगर मीडिया अगर नकारात्मक चीजों पर ही फोकस करेगी तो फिर जनता तक तो गलत संदेश ही पहुंचेगा। हालांकि जनता हमारा साथ दे रही है।
जनता विधायकों का वेतन बढ़ने से बहुत असंतुष्ट है? क्या इस पर कुछ कहेंगे।
जनता तक गलत तरीके से इस बात को पहुंचाया गया। दिल्ली में फील्ड लेबर का वेतन साढ़े चौदह हजार है। जबकि विधायकों का साढ़े बारह हजार था। अब आप बताइये क्या एक विधायक का खर्चा पचास हजार नहीं होना चाहिए। घर-परिवार के लिए इतना तो चाहिए न। बाकी जो पैसा बढ़ा जैसे 30,000 रुपए डीजल पेट्रोल का तो इसका बिल दिखाना पड़ेगा। आफिस का किराया तो यह भी बिल दिखाना पड़ेगा।
आफिस मेंटिनेंस के लिए 70,000 रुपए कोई ज्यादा नहीं हैं। दो कर्मचारी रखेंगे उनकी तनख्वाह भी देनी पड़ेगी आपको। इस तरह से अगर जनता को बताया जाए तो जनता बिल्कुल नाराज नहीं होगी। मगर जैसे दिखाया गया कि दिल्ली के विधायकों का वेतन चार गुना हो जाएगा, पांच गुना हो जाएगा, इससे जनता के बीच गलत संदेश भेजने की कोशिश की जा रही है।