ओपिनियन पोस्ट
सुप्रीम कोर्ट के जज दीपक मिश्रा को मंगलवार को देश का अगला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) नियुक्त कर दिया गया। वे 28 अगस्त को सीजेआई पद की शपथ लेंगे। उनका कार्यकाल 2 अक्टूबर 2018 तक होगा। मध्य प्रदेश में हाई कोर्ट जज रह चुके जस्टिस मिश्रा मौजूदा सीजेआई जस्टिस जेएस खेहर की जगह लेंगे, जो 27 अगस्त को रिटायर होंगे।
जस्टिस मिश्रा मौजूदा सीजेआई के बाद शीर्ष अदालत में वरिष्ठतम जज हैं। कानून मंत्रालय की ओर से उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी गई है। जस्टिस दीपक मिश्रा (63) देश के 45वें प्रधान न्यायाधीश होंगे। ओडिशा से सीजेआई बनने वाले वह तीसरे जज होंगे। उनसे पहले ओडिशा से संबंध रखने वाले जस्टिस रंगनाथ मिश्रा और जीबी पटनायक भी इस पद को संभाल चुके हैं। जस्टिस मिश्रा पटना और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
याकूब मेमन मामले में मिली थी धमकी
जस्टिस दीपक मिश्रा के नाम कई ऐतिहासिक फैसले हैं। इनमें याकूब मेमन मामले की रात भर सुनवाई के बाद फांसी की सजा बरकरार रखना और निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा सुनाना शामिल है। इसके अलावा उन्होंने ही देश भर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान चलाने के आदेश दिए थे।
1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सजा बरकरार रखने के बाद जस्टिस दीपक मिश्रा को एक धमकी भरा पत्र मिला था। पत्र में लाल स्याही से लिखा हुआ था- “हम तुम्हें नहीं छो़ड़ेंगे।”
कौन हैं जस्टिस दीपक मिश्रा
जस्टिस दीपक मिश्रा का जन्म 3 अक्टूबर, 1953 को हुआ था। वह 17 जनवरी, 1996 को ओडिशा हाई कोर्ट में एडिशनल जज बने। इसके बाद स्थानांतरित होकर 3 मार्च, 1997 को मप्र हाई कोर्ट आए। इसी साल 19 दिसंबर को स्थायी जज बने। 23 दिसंबर, 2009 में उन्होंने पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला।
24 मई, 2010 को उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। उन्हें 10 अक्टूबर, 2011 को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर पदोन्नति दी गई। 28 अगस्त, 2017 को देश के अगले प्रधान न्यायाधीश की कुर्सी संभालेंगे।इंदौर में की कुछ मामलों की सुनवाई1997 से 2009 के बीच मप्र हाई कोर्ट में रहने के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा कई बार इंदौर आते रहे।
वे कभी इंदौर में पदस्थ नहीं रहे, लेकिन जस्टिसों के ट्रांसफर के बीच इंदौर हाई कोर्ट में उन्होंने केसों की सुनवाई की। उनके सामने कई केसों में पैरवी कर चुके एडवोकेट अजय बागडिया ने बताया कि वे सुलझी सोच वाले इंसान हैं।
सीनियर एडवोकेट विनय सराफ ने बताया कि वे सालों तक विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन के रूप में पदस्थ रहे। इस दौरान उन्होंने कमजोर तबके के लोगों के लिए न्याय सुलभ करने की दिशा में काम किया। केसों के त्वरीत निराकरण के लिए लोक अदालत आयोजित करना उनके कार्यकाल में ही शुरू हुआ।