पिछले दो महीने से भारत-चीन के बीच भूटान स्थित डोकलाम को लेकर चल रहे विवाद में भारत को जापान का समर्थन मिलने से चीन चिढ़ गया है। जापान के भारत को समर्थन देने पर चीन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि भले ही जापान भारत को समर्थन देना चाहता है लेकिन उसे भारत और चीन के बीच जारी तनाव पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। बता दें कि भारत में जापान के राजदूत केंजी हीरामत्सू ने डोकलाम पर भारत का समर्थन करते हुए गुरुवार को कहा था कि विवादित इलाके में पूर्व की स्थिति को बदलने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। इस मामले में बल का इस्तेमाल न करके बातचीत से मामला सुलझाया जाना चाहिए। जापान की यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री शिंजो अबे के भारत दौरे से एक महीने पहले आई है। अबे 13 से 15 सितंबर तक भारत दौरे पर रहेंगे। ऐसे में हीरामत्सू ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले जापान भी चीन पर नजर रखे हुए है।
जापान की इस टिप्पणी पर शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, ‘मैं जानती हूं कि जापान के राजदूत भारत को समर्थन देना चाहते हैं। मैं उन्हें याद दिलाना चाहती हूं कि उन्हें तथ्यों को जांचे बिना ऐसे ही टिप्पणी करने से बचना चाहिए।’ जापानी राजदूत द्वारा डोकलाम को विवादित क्षेत्र बताए जाने पर भी चीनी प्रवक्ता ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘डोकलाम को लेकर कोई क्षेत्रीय विवाद नहीं है। इस इलाके में सीमा की पहचान हो चुकी है और दोनों ही पक्षों ने इसकी पुष्टि की है। पूर्व की स्थिति को बदलने की कोशिश भारत कर रहा है, चीन नहीं।’ चीनी प्रवक्ता ने दोहराया कि भारत को विवादित क्षेत्र से अपनी सेना तुरंत हटा लेनी चाहिए।
बता दें कि जापान पहला देश है जिसने चीन के साथ जारी विवाद में भारत का खुलकर समर्थन किया है। जबकि अमेरिका ने इस मुद्दे पर कहा था कि दोनों देशों को सीधी बातचीत के जरिये इस मामले को सुलझा लेना चाहिए। भारत और चीन के बीच पिछले दो महीनों से डोकलाम में चीन की ओर से सड़क निर्माण को लेकर विवाद चल रहा है। इस इलाके में दोनों देशों की सेनाएं तभी से आमने-सामने डटी हुई हैं। चीन चाहता है कि भारत एकतरफा इस इलाके से सेना हटाए। वहीं, भारत का कहना है कि दोनों देशों को अपनी सेनाएं वहां से हटानी चाहिए ताकि बातचीत दोबारा से शुरू की जा सके।
जुलाई के दूसरे सप्ताह में भारत, अमेरिका और जापान की सेनाओं ने बंगाल की खाड़ी में मालाबार युद्धाभ्यास किया था। उस समय भी चीन ने इस पर आपत्ति जताई थी। चीन लगातार भारत पर अपनी सेना को हटाने का दबाव बना रहा है, जबकि भारत पीछे हटने को तैयार नहीं है। भारत के रुख को देखते हुए चीन का सरकारी मीडिया लगातार युद्ध की धमकी दे रहा है।
भारत को किस-किस का समर्थन
अमेरिका – अमेरिका मौजूदा समय में भारत का सबसे ताकतवर दोस्त है। अमेरिका लगातार डोकलाम मामले पर नजर बनाए हुए है। अमेरिका ने कहा है कि भारत हमारा अच्छा दोस्त है। चीन और भारत को इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाना चाहिए। भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा और अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति डोकलाम विवाद के लिए चीन को जिम्मेदार बता चुके हैं। आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप का रुख चीन को लेकर कड़ा रहा है क्योंकि अमेरिका की नाक में दम करने वाले उत्तर कोरिया के लिए चीन हमेशा ही नरम रुख अपनाता रहा है।
जापान- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजो अबे की दोस्ती का असर यहां पर भी दिखा है। जापान ने खुले तौर पर भारत का साथ दिया है। जापान के राजदूत केंजी हीरामत्सू ने कहा, ‘डोकलाम को लेकर पिछले करीब दो महीनों से तनातनी जारी है। हमारा मानना है कि इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता प्रभावित हो सकती है। ऐसे में हम इस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।’ उन्होंने कहा, चीन और भूटान के बीच इस क्षेत्र को लेकर विवाद है। जहां तक भारत की भूमिका की बात है तो हम मानते हैं कि वह भूटान के साथ अपने द्विपक्षीय समझौते के आधार पर ही इस मामले में दखल दे रहा है।
ऑस्ट्रेलिया – ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप हाल ही में भारत दौरे पर आईं थी। उन्होंने यहां पर साफ तौर पर कहा था कि चीन को डोकलाम विवाद पर संयम बरतना चाहिए और भारत से बात करनी चाहिए। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया दक्षिणी चीन सागर में चीन की दादागिरी को लेकर भी चेतावनी जारी कर चुका है। इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया ने चीन की सैन्य महत्वकांशाओं का विरोध किया था.
वियतनाम – पीएम मोदी ने 2016 में वियतनाम की यात्रा की थी। तभी से लेकर ही दोनों देशों के बीच में संबंधों में मजबूती आई है। दक्षिणी चीन सागर में विवाद को लेकर वियतनाम की चीन से हमेशा ही ठनी रही है। इसके अलावा भारत ने उसकी लगातार मदद की है। भारत वियतनाम को आकाश मिसाइल देने पर भी विचार कर रहा है। वहीं सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों का भी प्रशिक्षण देगा.
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