बुलेट ही नहीं ये ट्रेन भी बढ़ाएंगे भारत की रफ्तार

मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की आधारशिला रखने के साथ ही देश में हाईस्पीड ट्रेन का नया दौर शुरू होने वाला है। बुलेट ट्रेन के अलावा 4 अन्य हाईस्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट्स भी भारत आ रहे हैं। ये हाईस्पीड ट्रेन न सिर्फ भारत की रफ्तार बढ़ाएंगे बल्‍कि यहां के मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। इनमें से कुछ पर काम शुरू हो गया है तो कुछ पर अभी काम शुरू होना बाकी है। इन परियोजनाओं के शुरू होने से सफर न सिर्फ आसान हो जाएगा बल्कि समय में भी काफी बचत होगी।

टैल्गो : ट्रेन से सफर को आसान और तेज बनाने के लिए भारतीय रेलवे हाईस्पीड ट्रेन टैल्गो लेकर आ रही है। यह ट्रेन 150 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ेगी। दिल्ली से मुंबई के बीच का सफर 12 घंटे से भी कम समय में पूरा किया जा सकेगा। इसका ट्रायल रन यूपी के  बरेली और मुरादाबाद के बीच किया जा चुका है।

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मैगलेव : मैगलेव दुनिया की सबसे तेज ट्रेनों में से एक है। भारत आ रही बुलेट ट्रेन से भी इसकी स्पीड ज्यादा है। यह ट्रेन 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है। रेल मंत्रालय  ने रेल इंडिया टेक्न‍िकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (आरआईटीईएस) को छह महीने के भीतर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। चीन के शंघाई में चलने वाली मैगलेव 430 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ती है। केवल 30 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली शंघाई मैगलेव मात्र सात मिनट में अपनी यात्रा पूरी कर लेती है। यह ट्रेन शंघाई पुडोंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लोंगयांग मेट्रो स्टेशन को जोड़ती है।

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हाइपरलूप : भारत उन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो सकता है जो सबसे पहले सुपर फास्ट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम हाइपरलूप को तैयार कर सकते हैं। फिलहाल देश में हाइपरलूप लगाने का प्रस्ताव परिवहन मंत्रालय के लिए पास पड़ा हुआ है। अगर परिहवन मंत्री नितिन गडकरी इस प्रस्ताव को पास कर देते हैं तो हर दिन 1.44 लाख यात्री इससे सफर कर सकेंगे।

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रैपिड रेल ट्रांजिट : दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट कॉरिडोर (आरआरटीसी) हाईस्पीड ट्रेन तो नहीं है लेकिन इस पर ट्रेनें तेज रफ्तार से चलेंगी। आरआरटीसी को नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की मंजूरी मिल चुकी है। इस रूट पर ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ेंगी। यह कॉरिडोर दिल्ली से मेरठ के बीच ट्रेन से सफर को 60 मिनट कम कर देगा। यह कॉरिडोर 92 किलोमीटर लंबा होगा।

 

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