आम तौर पर ऐसा सोचा जाता है कि पंजाब देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक राज्य है। यह बस एक धारण भर ही है। असली हालात ये हैं कि पंजाब आर्थिक तौर पर बहुत ही बदहाल हो चुका है। खजाना खाली है। नौबत यह आ गई है कि 4.50 लाख सरकारी कर्मचारियों में से आधे से ज्यादा को अभी तक वेतन नहीं मिला है। इसकी वजह यह है कि पंजाब का खजाना खाली हो गया है। इतना पैसा ही नहीं है कि वेतन दिया जाए सके। अब सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है। सारे खर्च रोक दिए गए हैं। यहां तक कि मंत्रियों व विधायकों का वेतन भी अब कर्मचारियों के वेतन के बाद ही जारी किया जाएगा। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर वेतन जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने मौजूदा आर्थिक संकट के लिए जीएसटी को जिम्मेदार बताया है। इस वजह से टैक्स वसूली की रकम अभी तक पंजाब के सरकारी खजाने में नहीं पहुंची है। वित्त मंत्री बादल ने माना है कि इस महीने सरकारी खजाने में रकम कम होने से परेशानी पैदा हुई है। अगले महीने से स्थाई तौर पर यह मसला हल कर लिया जाएगा। जल्द ही एक-एक कर सभी विभागों की तनख्वाह जारी कर दी जाएगी। लेकिन जानकार इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि पंजाब आतंकवाद के समय से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। जो भी पार्टी सरकार में आई, उसने इससे निपटने की बजाय खर्च चलाने के लिए कर्ज लिए। सरकार के लिए सितंबर और अक्टूबर माह आर्थिक रूप से काफी संकट भरे हैं, क्योंकि इन महीनों में राज्य सरकार को कर्जों की एवज में ब्याज की भारी भरकम रकम चुकानी है। सरकार को इस महीने ब्याज के तौर पर 2,600 करोड़ रुपये चुकाने हैं, जबकि सरकार के खजाने में उतना पैसा नहीं है। इसके अलावा कर्मचारियों को वर्ष 2014 के महंगाई भत्ते के बकाये की किश्त भी नहीं मिली है। ऐसे में कैप्टन सरकार के लिए इससे निपटना खासा मुश्किल हो रहा है।
आतंकवाद के दौर से ही यही हालत
पंजाब में एक लंबे समय से वित्तीय प्रबंधन की ओर ध्यान नहीं दिया गया। पंजाब आर्थिक मामलों के जानकार अर्थशास्त्री डॉक्टर गुरबचन सिंह ने बताया कि देश में सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला राज्य होने के बावजूद पंजाब बदहाल है। इसके एक नहीं कई कारण हैं। राजनीतिक दल अपने-अपने फायदे के लिए मतदाताओं से झूठे वायदे कर लेते हैं। उन्हें पूरा करने के लिए भारी भरकम खर्च करना पड़ता है। अर्थशास्त्री डॉक्टर हरपाल सिंह और डॉक्टर ओपी ग्रेवाल से बातचीत कर यह तथ्य जानने की कोशिश की गई कि पंजाब में ये हालात क्यों बने हैं।
पंजाब पर 2,07,226 करोड़ रुपये का कर्ज
इस कर्ज का ब्याज देने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। कुल बजट में से 47,512 करोड़ रुपये के कर्ज का ब्याज चुकाने और कर्मचारियों का वेतन देने में ही लग जाएगा। यह कुल बजट का 55 प्रतिशत है। पंजाब की वित्तीय स्थिति लगातार खराब है। सरकार को रोजमर्रा का कामकाज चलाने के लिए भी ऋण लेना पड़ रहा है।
सब्सिडी पर भारी खर्च
किसानों को पंजाब सरकार मुफ्त में बिजली देती है, जिस पर हर साल 12 हजार करोड़ रुपये सब्सिडी दी जा रही है। जानकार इसे तुरंत खत्म करने की आवश्कता बता रहे हैं। कृषि के लिए 10,580.99 करोड़ का बजट जिसमें 1500 करोड़ किसानों की कर्जमाफी के लिए रखा गया। फसल के नुकसान पर मुआवजे को 8 हजार रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 12 हजार रुपये एकड़ किया गया। इस पर भी भारी खर्च होगा।
राजनीतिक वायदे
चुनावी वादे पूरे करने के लिए इस सरकार को पहले ही वर्ष 45,000 करोड़ रुपये की और जरूरत पड़ेगी। यह पैसा कहां से आएगा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। जैसे ही चुनाव आएगा तो सरकार की कोशिश रहेगी कि चुनावी वायदे पूरे कर लिए जाएं। इसके लिए भारी भरकम खर्च होगा। यह कांग्रेस सरकार के समय ही नहीं पिछली सरकारों के समय में भी ऐसा ही होता आया है।
सुधार के लिए उठाए कदम
राज्य को वित्तीय संकट से उबारने के लिए सरकार ने करों का दायरा बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में हुई बैठक में कई नए टैक्स लगाने को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी भी दे दी गई है। अगली बैठक में मनोरंजन कर सहित कुछ अन्य करों को लगाने पर सरकार फैसला लेने का मूड बना चुकी है। नए करों के प्रस्ताव में मनोरंजन कर, पर्यटन प्रमोशन शुल्क आदि लगाने पर विचार किया गया है। इसके अलावा महाराष्ट्र पैटर्न पर कुछ वेतनभोगी अफसरों व मुलाजिमों को कर के दायरे में लाने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है।
ट्रांसपोर्ट एजेंसीज पर जीएसटी के दायरे में पांच फीसद टैक्स पर गंभीरता से विचार करने के आदेश विभागीय अधिकारियों को दिए गए हैं। सरकार पहली बार सूबे को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर हिमाचल प्रदेश के पैटर्न पर प्रदूषण टैक्स लगाने की तैयारी है।
यह टैक्स पंजाब के बाहर के नंबर वाले वाहनों के पंजाब में प्रवेश पर लगेगा। साथ ही वाहनों के पंजीकरण पर भी फीस बढ़ाने का विचार सरकार ने किया है। राजस्व बढ़ाने को लेकर बड़े होटलों पर पर्यटन टैक्स लगाया जा सकता है।
पिछली सरकार की वजह से बने हालात
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने बताया कि जीएसटी का पैसा अभी नहीं आया। इसके लिए यह दिक्कत आ रही है। पंजाब में जहां तक आर्थिक दिक्कत की बात है, इसके लिए पिछली सरकार जिम्मेदार है। इस सरकार ने अनाप-शनाप खर्च किए। भ्रष्टाचार इसकी एक बड़ी वजह है। सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह ने कहा कि बादल सरकार ने पंजाब को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। फंडों का दुरुपयोग किया गया है। चेहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया गया था।
बहाने न बनाए सरकार: सुखबीर
पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने कहा कि कांग्रेस का सच जनता के सामने आ गया है। जो हालात इस वक्त हैं, वे पंजाब में कभी नहीं बने। यह इस सरकार की नाकामी है। अपनी नाकामी छुपाने के लिए सरकार अब ऐसे बहाने बना रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो वायदे किए थे वे पूरे नहीं हुए। किसानों की कर्जमाफी को लेकर झूठा वायदा किया गया, क्योंकि जनता सरकार को कोस रही है। इसलिए अब कैप्टन सरकार बहाने बना रही है।
क्या संकट से उबर पाएगा पंजाब?
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे निपटने के लिए केंद्र की मदद चाहिए। केंद्र का कर्ज चुकाने के लिए कोई बड़ी योजना बननी चाहिए, क्योंकि इस वक्त पंजाब के हालात ऐसे नहीं हैं जिससे यह कर्ज चुकाया जा सके। अर्थशास्त्री डॉक्टर हरबंस सिंह ने बताया कि पंजाब बार्डर का इलाका है। केंद्र की मदद के बिना हालात सुधरने मुश्किल हैं। पंजाब में केंद्र से अलग पार्टी की सरकार ही बनती रही है। यह भी एक वजह है कि केंद्र में इस सूबे की सुनवाई कुछ कम हुई। उन्होंने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि पंजाब में स्थानीय राजनीतिक पार्टियों ने अपने फायदे के लिए बजट का बेजा इस्तेमाल किया, लेकिन इसमें जनता का कसूर क्या है? पंजाब कृषि प्रधान राज्य है। खेती के लिए निश्चित ही अनुदान चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता तो पंजाब बदहाल हो सकता है।