केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अपने घर का सपना पूरा करना और आसान हो गया है। केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को मकान बनाने के लिए अग्रिम ऋण की सीमा बढ़ाकर अधिकतम 25 लाख रुपये कर दी है। साथ ही मौजूदा मकान के विस्तार के लिए भी ऋण सीमा बढ़ाकर दस लाख रुपये की गई है।
इसके लिए उन्हें 8.5 फीसदी ब्याज देना पड़ेगा। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए हाउस बिल्डिंग एडवांस नियमों में बदलाव किया है। मंत्रालय के मुताबिक इससे लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ होगा।
नये नियम के मुताबिक, केंद्रीय कर्मचारी अब एक करोड़ रुपये तक की कीमत वाले घर बनाने या खरीदने के लिये 25 लाख रुपये तक का एडवांस ले सकेंगे। इससे पहले यह सीमा 30 लाख रुपये तक के मकान के लिए 7.50 लाख रुपये थी।
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 20 साल के लिए 25 लाख रुपये कर्ज देने वाली दूसरी कंपनियों की तुलना में ‘हाउसिंग बिल्डिंग एडवांस’ का लाभ उठाकर करीब 11 लाख रुपए बचाए जा सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर कोई एसबीआई जैसे बैंक से 25 लाख का लोन 8.35 फीसदी चक्रवृद्धि ब्याज की दर से 20 साल के लिए लेता है, तो इस पर मासिक किश्त 21,459 रुपये आएगी।
उन्होंने कहा कि 20 साल के अंत में चुकाई जाने वाली राशि 51.50 लाख हो जाती है, जिसमें ब्याज की 26.50 लाख की रकम भी शामिल है। वहीं अगर यही लोन एचबीए से 20 साल के लिए 8.50 फीसदी के साधारण ब्याज पर लिया जाए ,तो पहले 15 सालों के लिए मासिक किश्त 13,890 रुपये बनती है और इसके बाद की किश्त 26,411 रुपये प्रतिमाह आती है, तो इस प्रकार कुल अदा की गई राशि 40.84 लाख रुपये है, जिसमें ब्याज के 15.84 लाख रुपये शामिल हैं।
नये नियमों के मुताबिक, अगर पति और पत्नी दोनों केंद्रीय कर्मचारी हैं, तो ऐसी स्थिति में दोनों को एक साथ या अलग-अलग लोन लेने की छूट दी गई है। इससे पहले सिर्फ पति और पत्नी में किसी एक को ही एडवांस लोन लेने का ऑप्शन था। हालांकि केंद्रीय कर्मचारी को उसके जीवनकाल में एक ही बार एडवांस लोन लेने का नियम अब भी बरकरार है।