ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो
पंजाब के गैंगस्टर खुद की रोबिन हुड टाइप छवि गढ़ना चाह रहे हैं। यही वजह है कि वे सोशल मीडिया पर अपने कारनामों का बखान खुल कर करते हैं। पिछले माह अमृतसर में हिंदू नेता की हत्या की जिम्मेदारी भी गैंगस्टर सराज संधू ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट डाल कर ली। उसने वारदात का कारण भी बताया। उसने लिखा- ‘30 अक्टूबर 2017 को अमृतसर में जो कत्ल हुआ उसे मैंने किया ताकि विपिन शर्मा को उसकी गलती की सजा मिल सके।’ उसने लिखा, ‘आज तक हमने किसी का बुरा नहीं किया लेकिन मेरा और मेरे दोस्तों का बुरा करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विपिन ने एक पुलिस वाले की हत्या करवाई, हथियार उपलब्ध करवाए इसलिए इसे मारा गया।’ उसने लिखा, ‘वह पुलिस वाला मेरे दोस्त का पिता था। अगर आपको यकीन नहीं तो पुलिस जांच करवाई जाए। सच सामने आ जाएगा।’
इसी तरह पिछले साल नाभा जेल ब्रेक के मास्टर माइंड विक्की गौंडर ने फेसबुक पर खुद की एक फोटो शेयर की है, इसमें वह किसी एयरलाइन के प्लेन के पास खड़ा है। शेरा खुभ्भन जो कि गोंडर का साथी है ने एक पोस्ट डाल कर ऐलान किया कि विक्की गौंडर अपनी सही डेस्टीनेशन पर पहुंच गया है। यानी वह विदेश भाग गया है। यह पोस्ट कहां से अपलोड हुई पुलिस इसकी जांच में लगी है। यह पहला मौका नहीं है जिसमें गैंगस्टर पंजाब पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। पहले भी कई मौके पर बदमाशों ने वारदात के बाद सोशल मीडिया पर शेखी बघारी ।
गैंगस्टर क्यों सक्रिय है सोशल मीडिया पर
इस सवाल के जवाब में पंजाब के पूर्व डीजीपी एसएस विर्क ने बताया कि ‘गैंगस्टर समाज में दहशत फैलाना चाहते हैं। जिससे वे फिरौती आदि आसानी से मंगवा सकें। इसके साथ ही वे अपने विरोधी गैंग पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालना चाहते हैं। तीसरी वजह यह है कि पंजाब के ज्यादातर बदमाश विदेशी संपर्क रखते हैं। वे नशे व अवैध हथियारों की तस्करी करते हैं। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने की वजह से उन्हें दूसरे लोगों से संपर्क करने में आसानी रहती है। यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जो अपेक्षाकृत सुरक्षित है। क्योंकि इसमें पकड़े जाने के चांस कम हैं। वे अपनी पहचान छिपा कर आसानी से अपना काम करते रहते हैं। यही वजह है कि गैंगस्टर सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।’ विर्क ने बताया, ‘पंजाब के गैंगस्टर न केवल स्टाइल में रहते हैं बल्कि खुद को स्टार की तरह पेश करते हैं। अब मुख्यधारा का मीडिया तो उन्हें मनमानी तवज्जो दे नहीं सकता। ऐसे में उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया है।’
इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंस के शोधार्थी राजेंद्र सिंह थिंड ने बताया, ‘पंजाब के युवाओं के लिए अपराध भी एक शौक की तरह है। वे खुद को अलग दिखाने के लिए अपराध की दुनिया में आ जाते हैं।’ थिंड ने करीब तीन सौ बदमाशों की बैंकग्राउंड पर शोध कर पाया कि इनमें एक भी युवक ऐसा नहीं जो पैसे के लिए अपराध में आया हो। वह या तो इसलिए आया क्योेंकि उसे अपने महंगे शौक पूरे करने हैं, या फिर इसलिए आया क्योंकि उसे किसी से बदला लेना है। उनके लिए बदमाशी ग्लैमर की तरह है जिसे वे जीना चाहते हैं। तरनतारन के गांव हवेलियां के गैंगस्टर गुरजंट सिंह ने पकड़े जाने के बाद पुलिस की पूछताछ में बताया कि ‘पहले वह गैंगस्टर था। फिर स्मग्लर बन गया। वे पाकिस्तान, यूपी और मध्य प्रदेश से अपने लिए हथियार मंगवाते थे। इसके अलावा पाकिस्तान से हेरोइन स्मगल कर पंजाब और बाहरी इलाकों में भेजते थे।’ उसने बताया, ‘सोशल मीडिया के जरिये वे आसानी से अपनी बात दूसरों तक पहुंचा देते हैं। यह उनके लिए आसान है। इससे विदेश भी बात कर सकते हैं, जबकि मोबाइल से होने वाली बातचीत पुलिस की पकड़ में आ जाती है।’
पुलिस क्यों नहीं पकड़ पाती
जानकारों का कहना है कि इन बदमाशों के पास बहुत पैसा है। पुलिस पर भी ये खूब पैसा लुटाते हैं। जेल में बंद गैंगस्टर को पैसे के दम पर हर चीज उपलब्ध हो जाती है। यहां तक कि जेल के अंदर मोबाइल और ऐशोआराम का हर सामान उपलब्ध है। कुछ बदमाशों को नेताओं का संरक्षण भी मिला हुआ है। इस वजह से भी पुलिस उन पर हाथ नहीं डालती। तीसरी बड़ी वजह यह भी है कि जेल प्रशासन और पुलिस के बीच तालमेल भी अच्छा नहीं है। इसके चलते भी गैंगस्टर को छूट मिली रहती है।
आइपी एड्रेस भी विदेश से
एक बड़ी वजह यह भी सामने आ रही है कि जिस मीडिया का गैंगस्टर इस्तेमाल कर रहे हैं, उसके आइपी एड्रेस विदेश में हैं। यानी उन्हें विदेश से ही आपरेट किया जा रहा है। लेकिन पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि ‘यह भी संभव है कि नंबर तो विदेशी हो, लेकिन आपरेट यहां से हो रहा हो। इसकी संभावना भी ज्यादा है।’ पुलिस डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने बताया कि‘हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं’
जानकार मानते कि पंजाब में गैंगस्टर इतने प्रभावी हो रहे हैं कि पुलिस भी अब उनके सामने आने से डरती है। क्योंकि उनके पास न हथियारों की कमी है और न पैसे की। इसके साथ ही उन्हें विदेशी संबंध भी बचाने के काम में लगे रहते हैं।