पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों ने क्वेटा में पोलियो की दवा पिलाने वाली एक टीम में शामिल एक महिला और उसकी बेटी की गुरुवार को गोली मारकर हत्या कर दी।
‘डॉन’ ने पुलिस सूत्रों के हवाले से कहा है कि बंदूकधारियों ने सियालकोट इलाके में पोलियो टीम पर गोलीबारी की, जिसमें दो महिलाओं की मौत हो गयी। लॉ इन्फोर्समेंट अधिकारियों की राय में यह टारगेट करके किया गया हमला था। पुलिस ने बताया कि हमलावर हत्या को अंजाम देकर मौके से भाग निकलने में कामयाब रहे। अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली है।
पुलिस अधिकारी नसीबुल्ला खान ने बताया कि बाइकसवार हमलावरों ने हमला तब किया जब 50 साल की सकीना बीबी और उनकी 20 साल की बेटी अलीज़ा बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिला रही थीं। अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मौत हो गई। ये दोनों महिलाएं बलूचिस्तान प्रांत के 5 जिलों में पोलियो कैंपेन में हिस्सा ले रही थीं।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने इस हमले की निंदा की और जांच के आदेश दिए हैं। पीएम ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ‘पोलियो टीमें हमारे बच्चों को इस भयंकर बीमारी से मुक्त कर रही हैं। ये एक बड़ी देश सेवा है। इन लोगों पर हमला हमारे भविष्य पर हमला है।’
बता दें कि पाकिस्तान विश्व के उन तीन देशों में शामिल हैं, जो अब भी पोलियो मुक्त नहीं हुए हैं। बाकी दो देश हैं- अफगानिस्तान और नाइजीरिया। पाकिस्तान में पोलियो की बीमारी से बच्चे अब भी जूझते हैं। इस बीमारी में या तो शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है या कभी-कभी मौत भी हो जाती है। पाकिस्तान में इस बीमारी के अब भी होने का कारण है- तालिबान। तालिबान पोलियो कैंपेन का हमेशा से विरोध करता रहा है। उसका कहना है कि पोलियो ड्रॉप पश्चिमी देशों का इस्लाम के खिलाफ षड्यंत्र है। इस ड्रॉप को पीने से बांझपन आता है।
तालिबान पहले भी इस कैंपेन के विरोध में हत्याएं करता रहा है। 2015 में क्वेटा में ही एक सुसाइड बॉम्बर ने एक टीकाकरण सेंटर के बाहर 15 लोगों की हत्या कर दी थी। इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान और एक दूसरे संगठन जुनदुल्लाह ने ली थी।
इससे पहले गुरुवार को ही क्वेटा के जारघुन रोड इलाके में निशाना बनाकर किए गए हमले में दो पुलिसकर्मी की हत्या कर दी गई।