उत्तर प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष के लिए चल रहे नामों में पीछे चल रहा एक नाम अचानक आगे हो गया है। पहले स्वतंत्रदेव सिंह फिर लोध नेता धर्मपाल सिंह का नाम लगभग तय बताया गया। लेकिन अब केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का नाम अचानक आगे आ गया है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व इनके नाम पर सहमत भी हो गया है पर संघ अभी सहमत नहीं है।
मनोज सिन्हा का नाम पहले भी चल रहा था पर वह काफी पीछे था। लेकिन अभी इनके नाम की हवा तेज हुई तो यह पूछा जा रहा है कि मनोज सिन्हा को अध्यक्ष बनाने से पार्टी को क्या फायदा होगा। जिस भूमिहार जाति से सिन्हा आते हैं उसकी संख्या प्रदेश के चुनावी गणित में बेहद कम है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही भूमिहार थे। लेकिन पार्टी बुरी तरीके से हार गई। खुद सूर्यप्रताप शाही चुनाव हार गए। दूसरी बात यह पूछी जा रही है कि रेल राज्यमंत्री रहते हुए उन्होंने यूपी के लिए क्या किया जिससे जनता या कार्यकर्ता प्रभावित हो।
हालांकि बताया जा रहा है कि इन सवालों से बेखबर मनोज सिन्हा इस भूमिका के लिए तैयारी करने लगे हैं और इसी के तहत मीडियावालों से मेल जोल बढ़ाने में लगे हैं ताकि बाद में उनके पांव नहीं खींचे जा सके। पार्टी के कुछ लोगों का कहना है कि अगर अध्यक्ष बनाना ही है तो दलित नेता के तौर रमाशंकर कठेरिया और पिछड़े नेता के तौर पर स्वतंत्रदेव सिंह और धर्मपाल सिंह का बनाना ज्यादा असरकारक होगा। इसके किसी सवर्ण नेता को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की गुंजाइश भी बनी रहेगी। मनोज सिन्हा के नाम को अध्यक्ष के तौर पर हरी झंडी मिलती है या नहीं, यह एक सप्ताह में तय हो जाएगा फिलहाल तो वह रेल मंत्रालय में बैठकर यूपी की योजना बना रहे हैं।