पेइचिंग।
चीन ने इस साल रक्षा खर्च में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 175 अरब डॉलर किए जाने की घोषणा की है। यह भारत के लगभग 52.5 अरब डॉलर के ताजा रक्षा बजट का तीन गुना है। अमेरिका के बाद चीन रक्षा क्षेत्र पर खर्च करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। अमेरिका का रक्षा बजट 602.8 अरब डॉलर है।
चीन ने पिछले साल अपने रक्षा बजट को बढ़ाकर 150.5 अरब डॉलर कर दिया था। राष्ट्रीय विधायिका में सोमवार को पेश की गई बजट रिपोर्ट के मुताबिक बजट में यह इजाफा पिछले साल के मुकाबले सात फीसदी अधिक है। चीन का लगातार रक्षा बजट में इजाफा करना भारत के लिए चिंता का विषय साबित हो सकता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक सोमवार से शुरू हो रही 13वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के पहले सत्र के समक्ष पेश होने से पहले मीडिया में उपलब्ध इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश का 2018 का रक्षा बजट 1110 करोड़ युआन (175 अरब डॉलर) यानी 11 हजार 375 अरब रुपये से ज्यादा होगा।
उधर, 13वीं एनपीसी की पहली वार्षिक बैठक के प्रवक्ता झांग येसुई ने कहा है कि कई प्रमुख देशों की तुलना में चीन के रक्षा बजट में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और राष्ट्रीय राजकोषीय व्यय से छोटा सा हिस्सा लिया गया है। देश का प्रति व्यक्ति सैन्य खर्च अन्य प्रमुख देशों की तुलना में कम है।
लंदन के थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के मुताबिक चीन ने पिछले साल रक्षा क्षेत्र के लिए 151 अरब डॉलर यानी 9 हजार 815 अरब रुपये का बजट आवंटित किया था लेकिन फिर भी यह अमेरिका के 603 अरब डॉलर (39 हजार 198 अरब रुपये) से 4 गुना कम है। हालांकि यह भारत के मौजूदा रक्षा बजट से तीन गुना ज्यादा है।
चीन के आधिकारिक मीडिया ने सफाई भी दी है कि यह पिछले दो साल की तुलना में थोड़ा अधिक है। 2013 के बाद तीसरी बार रक्षा बजट में इकाई अंक की वृद्धि की गई है। 2016 में रक्षा खर्च में 7.5 प्रतिशत और 2017 में सात प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
रक्षा बजट की वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा पूर्व में किये गये कम सैन्य खर्च की भरपाई है और इसका उपयोग मुख्यत: उपकरणों के उन्नयन और सैन्यकर्मियों के कल्याण एवं जमीनी स्तर पर तैनात टुकड़ियों के रहन-सहन के स्तर और प्रशिक्षिण स्थितियों को बेहतर बनाने में किया जाएगा।