छोटी बचत के निवेशकों को करारा झटका, ब्याज दरें 1.3 फीसदी तक घटीं

नई दिल्ली। सरकार ने छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वाले निवेशकों को करारा झटका दिया है। इन योजनाओं के ब्याज दरों में 1.3 फीसदी तक की कटौती कर दी गई है। नई दरें पहली अप्रैल से प्रभावी होंगी।

इसके साथ ही सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें तय करने की नई व्यवस्था भी बना दी है। अब हर तीन महीने पर ब्याज दरों की समीक्षा होगी ताकि सरकारी सिक्योरिटीज के बाजार भाव के मुताबिक उन्हें बनाया रखा जा सके। ब्याज दरों की समीक्षा मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर की 15वीं तारीख को होगी जो क्रमशः अप्रैल-जून, जुलाई-सितंबर, अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तिमाही के लिए होगी।

ताजा फैसले के मुताबिक पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) में निवेश करने वाले निवेशकों को अब 8.7 फीसदी की जगह 8.1 फीसदी ब्याज मिलेगा। वहीं किसान विकास पत्र के ब्याज दर में 0.9 फीसदी की कमी की गई है। इसके निवेशकों को अब 7.8 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा जो पहले 8.7 फीसदी था। इसी तरह पोस्ट अॉफिस की सालाना जमा योजनाओं में भी निवेशकों को पहले के मुकाबले कम रिटर्न हासिल होगा। पोस्ट अॉफिस की एक साल की जमा योजना की ब्याज दर 8.4 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दी गई है। दो साल के जमा पर अब ब्याज 7.2 फीसदी और तीन साल के जमा पर 7.4 फीसदी ब्याज मिलेगा। इन दोनों जमाओं पर पहले 8.4 फीसदी ब्याज मिलता था। वहीं पांच साल की जमा योजना पर ब्याज 8.5 फीसदी से घटाकर 7.9 फीसदी कर दिया गया है।

पांच साल के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) पर 8.5 फीसदी की जगह 8.1 फीसदी और सीनियर सिटीजन स्कीम (पांच साल) पर 9.3 फीसदी की बजाय 8.6 फीसदी ब्याज दिया जाएगा। पांच साल के आरडी पर ब्याज अब 7.4 फीसदी होगा जो पहले 8.4 फीसदी था। पांच साल की एमआईएस पर 8.4 फीसदी की जगह 7.8 फीसदी ब्याज निवेशकों को मिलेगा।।

माना जा रहा है कि इस कटौती से इन योजनाओं में निवेशकों की रूचि घटेगी। यह छोटी बचत योजनाओं के निवेशकों को हतोत्साहित करेगा। इन योजनाओं की राशि का इस्तेमाल सरकार विकास के कार्यों में करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने यह कदम खर्चे घटाने के लिए उठाए हैं क्योंकि अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात में सरकार के पास राजस्व बढ़ाने के अवसर अभी सीमित हैं।

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