ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो
राज्यपाल राम नाईक के सुझाव के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बृहस्पतिवार को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम बदलकर डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर करने का आदेश जारी किया है। बाबा साहेब के नाम में उनके पिता का नाम ‘रामजी’ जोड़ने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे राज्यपाल नाईक ने बाबा साहेब का गलत नाम लिखने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि किसी व्यक्ति का नाम उसी प्रकार लिखा जाना चाहिए जिस प्रकार से वह खुद लिखता हो। रामजी ना जोड़कर हम बाबा साहेब का अधूरा नाम लेते आए हैं।
राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि एक अप्रैल से उत्तर प्रदेश के सभी आफिसों में डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की फोटो लगाई जाएगी।
बाबा साहेब खुद अपना नाम डॉ. भीमराव आंबेडकर लिखते थे। सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने बताया कि राज्यपाल राम नाईक ने सरकार को संविधान की आठवीं सूची की मूल प्रति के संलग्नक की एक फोटो कॉपी भेजी थी, जिसमें बाबा साहेब ने अपने हस्ताक्षर करते हुए डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर लिखा था। 1991 में जारी डाक टिकट में भी उनका यही नाम है।
उत्तर प्रदेश में डॉ. आंबेडकर का नाम बदले जाने पर राजनीति तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताते हुए उसकी आलोचना की है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा, ‘मैं मराठी हूं, बाबा साहेब भी मराठी थे। हिंदीभाषी राज्य आज तक उनका नाम गलत तरीके से लिखते थे जिसे मैंने ठीक करवाया है।’ नाईक ने 2017 में इसे लेकर कैंपेन चलाया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा था।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में भी आंबेडकर के नाम के साथ पिता का नाम जोड़ा जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के बाद अब अधिकारिक रूप से नाम बदलकर डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर हो जाएगा।
विपक्षी दलों के विरोध पर सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि ‘नाम सही किए जाने पर इतनी परेशानी क्यों हो रही है। राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी यह सलाह दी थी जिसे उन्होंने नहीं माना। इस मामले में राजनीति उचित नहीं है।’
14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में जन्मे डॉ. आंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और मां का नाम भीमाबाई था। वे अपने माता पिता की 14वीं संतान थे।