सुनील वर्मा
सदी के दूसरे दशक में शुरुआती दिनों की बात है, जब भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन की अगुवाई करने वाले अरविंद केजरीवाल किसी के खिलाफ भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप लगाते तो बड़े से बड़े नेता और नामचीन हस्तियों को भी लोग भ्रष्टाचारियों की सूची में शामिल कर लेते थे। जबकि उन दिनों वे एक मामूली इंसान थे। तब के हालात ये थे कि जिसके खिलाफ केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, उसकी छवि भारतीय जनमानस में धूमिल हो गई। लेकिन चंद साल बाद ही हालात बदल चुके हैं। अरविंद केजरीवाल अब आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री भी हैं। लेकिन लोगों को बेईमानी और भ्रष्टाचार का तमगा बांटने वाले केजरीवाल पर अब खुद घपले-घोटालों के आरोप लग रहे हैं और वे एक-एक कर उन तमाम लोगों से माफी मांग रहे हैं, जिन पर उन्होंने अतीत में बेबुनियाद आरोप लगाए थे।
समय की ये विंडबना भी देखिए कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी दोनों ही आज विवादों के पर्याय बन चुके हैं। न तो उनकी पार्टी में विवाद थमते नजर आते हैं, न ही केजरीवाल का विवादों से दामन छूटता नजर आता है। हाल ही में अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स तस्करी में शामिल होने के अपने आरोप पर केजरीवाल ने लिखित रूप से माफी मांग ली। माफी सिर्फ मजीठिया से ही नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से भी उन्होंने माफीनामे देकर समझौता कर लिया है। केजरीवाल के माफीनामे से उनकी ही पार्टी में भूचाल आ गया है। पार्टी की पंजाब इकाई ने तो खुली बगावत कर दी है। पंजाब के नेताओं को विक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगने पर कड़ा एतराज है और केजरीवाल के इस कदम से नाराज होकर पार्टी के प्रदेश प्रधान भगवंत मान, उपप्रधान अमन अरोड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि केजरीवाल ने दोनों के ही इस्तीफों को खारिज कर दिया है। लेकिन दोनों की आवाज में बगावत की तल्खी देखकर लगता है कि उन्हें आरोप लगाकर अब माफी मांगने वाला केजरीवाल का ‘फॉमूला’ पसंद नहीं आया है। बात इन दो इस्तीफों तक नहीं सिमटी है बल्कि पार्टी के दिग्गज नेता और राज्यासभा सदस्य संजय सिंह भी केजरीवाल के माफीनामे से हैरान और नाराज हैं। पंजाब में तो 20 में 10 विधायक इतने नाराज हैं कि मामूली सी शह मिलते ही वे पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व से नाता भी तोड़ सकते हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व फिलहाल डैमेज कंट्रोल में लगा है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और पंजाब के प्रभारी मनीष सिसोदिया विधायकों को माफीनामे की मजबूरी बताकर उन्हें संतुष्ट करने में जुटे हैं। हो सकता है कि देर सबेर माफीनामे से पैदा हुआ पंजाब में पार्टी का अंदरूनी संकट खत्म हो जाए या हो सकता है कि विवाद और बढ़ जाए। लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खेहरा और कंवर संधू जिस तरह पार्टी का दामन छोड़कर जा चुके कुछ नेताओं से लगातार संपर्क साधकर गोटियां फिट करने में जुटे हैं उससे लगता है कि मजीठिया से केजरीवाल का माफीनामा पंजाब में कोई गुल जरूर खिलाएगा। लेकिन इसके इतर लगता है कि केजरीवाल इन बातों से बेपरवाह हैं। वह अपने खिलाफ चल रहे मानहानि के मामलों को खत्म कराने की कवायद से कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं हैं।
क्या था मामला
पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 में चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने पंजाब के तत्कालीन राजस्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स तस्करी में शामिल होने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। आप के दूसरे नेताओं ने भी ऐसे ही आरोप दोहराए थे, जिसके बाद मई, 2016 में मजीठिया ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आप नेता दुर्गेश पाठक, संजय सिंह और आशुतोष के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था। बिना किसी साक्ष्य के आरोप लगाने में केजरीवाल लगातार घिरते जा रहे थे, लिहाजा उन्होंने मजीठिया से माफी मांगकर इस मुसीबत से छुटकारा पाने की रणनीति अपनाई।
और भी हैं मामले
अपने विरोधियों पर गंभीर आरोप लगाने वाले अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ऐसे करीब 32 मामले हैं जिनमें उनके खिलाफ मानहानि के केस दर्ज हैं। इन मामलों के कारण न सिर्फ उनका समय और पैसा खर्च हो रहा है बल्कि समय की बर्बादी के कारण दिल्ली के विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। केजरीवाल इन सभी मामलों में माफी मांगकर अपनी ऊर्जा को प्रशासनिक कार्यों में लगाना चाहते हैं। दूसरे कई मामले हैं जिनमें केजरीवाल मानहानि के मुकदमों का सामना कर रहे हैं। इन सभी में उन्होेंने माफीनामे का फार्मूला अपनाने की पहल कर दी है।
केजरीवाल ने 2013 में शीला दीक्षित के खिलाफ एक टीवी शो में अभद्र टिप्पणी की थी, जिस पर शीला के राजनीतिक सचिव पवन खेड़ा ने केजरीवाल पर मानहानि का केस दर्ज कराया था। इसी तरह 2013 में उन्होंने कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल पर एक दूरसंचार कंपनी की पैरवी करने के लिए अपने पिता के पद का फायदा उठाने का आरोप लगाया था जिसके लिए अमित सिब्बल ने उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। 2013 में ही आप के एक कार्यकर्ता सुरेंद्र कुमार शर्मा ने भी उन पर केस किया था। आप का टिकट न देने और अपने खिलाफ अभद्र टिप्पणी के आरोप में सुरेंद्र ने केजरीवाल पर मानहानि का केस किया था।
2014 में भारत के सबसे भ्रष्ट नेताओं की लिस्ट में नितिन गडकरी के नाम का उल्लेख करने पर गडकरी ने केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा किया। अरुण जेटली ने केजरीवाल पर मानहानि के तीन केस किए हैं। पहला-डीडीए में भ्रष्टाचार के आरोप पर 10 करोड़ का मुकदमा, दूसरा-मुख्यमंत्री दफ्तर पर रेड के मामले में जेटली का नाम घसीटने पर मुकदमा और तीसरा- केजरीवाल के वकील जेठमलानी द्वारा क्रूक कहने पर 10 करोड़ रुपये का मुकदमा।
31 जनवरी 2014 को केजरीवाल ने एक आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा था कि अवतार सिंह भड़ाना देश के सबसे भ्रष्ट व्यक्तियों में एक हैं। इस पर भड़ाना ने उनके खिलाफ केस किया मगर भड़ाना से भी माफी मांगने के कारण बाद में उन्हें राहत मिल गई।
2016 में बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने अपने खिलाफ आधारहीन आरोप लगाने के लिए केजरीवाल पर मानहानि का केस किया। इसके अलावा 2016 में चेतन चौहान ने अपने खिलाफ अभद्र टिप्पणी के बाद केजरीवाल पर मानहानि का केस किया था।
केजरीवाल के करीबियों का कहना है कि मजीठिया ही नहीं, देश के कई नामचीन नेताओं समेत देश के अन्य हिस्सों जैसे वाराणसी, पंजाब, अमेठी, असम, महाराष्ट्र, गोवा और अन्य जगहों पर केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के करीब 32 मामले अदालतों में विचाराधीन हैं। ऐसे मामलों में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद होने की जरूरत पड़ती है। दिल्ली में दायर मामलों को तो फास्ट ट्रैक पर रखा गया है, जिसकी वजह से केजरीवाल को रोजाना या तो दिल्ली या अन्य राज्यों की अदालतों में उपस्थित होना पड़ता था।
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया माफी मंत्र पर सफाई देते हैं-‘संसाधनों की कमी झेल रही पार्टी के लिए ये मामले लगातार बोझ बन रहे थे और प्रशासनिक काम भी प्रभावित हो रहे थे। जिन्हेें हमसे दुख पहुंचा है हम उनसे माफी मांग रहे हैं। इसमें हर्ज क्या है। हम यहां लोगों की मदद करने के लिए हैं, हमारे पास इतना समय नहीं है कि हम इन सभी मुद्दों को अदालत में पेश करें। हम यहां लोगों के जीवन में सुख लाने, उनके लिए स्कूल, अस्पताल और दूसरी जरूरी सुविधाएं दिलाने के लिए आए हैं। माफी मांगने का ये फार्मूला हमने जनता की भलाई के लिए अपनाया है। इसे समझने की जरूरत है।’
केजरीवाल अब इन सभी मामलों में माफी मांगकर अपना दामन बचाने की कवायद शुरू कर चुके हैं। दरअसल, पंजाब की ‘आप’ ईकाई का सबसे बड़ा दर्द ये है कि केजरीवाल ने पंजाब के किसी भी नेता को भरोसे में लिए बिना अदालत में माफीनामा पेश कर दिया था। इसलिए माफी फार्मूले के कारण केजरीवाल न सिर्फ अपनी पार्टी के निशाने पर आ गए हैं बल्कि विपक्ष भी अब उन पर चुटकियां ले रहा है।
विपक्ष के लिए बन गया मुद्दा
मजीठिया से माफी मांगने के बाद केजरीवाल के माफी फार्मूले को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है। केजरीवाल विरोधियों के लिए ये माफीनामा उनकी सजा से बढ़कर मिला मौका है। विपक्ष के नेता इस मौके को चूकना नहीं चाहते। दिल्ली में राजौरी गार्डन से बीजेपी विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने तो मुख्यमंत्री केजरीवाल की तस्वीर वाले पोस्टर दिल्ली की सड़कों पर चिपकवा दिए हैं जिनमें उनको झूठा लिखा गया है।
सिरसा की तरफ से दिल्ली की सड़कों पर जगह-जगह लगे पोस्टरों में लिखा गया है-‘पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने लिखित में कबूला। ….मैं एक झूठा मुख्यमंत्री हूं।’ पोस्टर में इसके अलावा मुख्यमंत्री की तरफ से माफीनामे के लिए लिखा पत्र और मुख्यमंत्री के गले में हार डाले और माथे पर तिलक लगी फोटो भी छपी हुई है। पार्टी अपने माफी मंत्र फार्मूले के कारण पक्ष-प्रतिपक्ष के निशाने पर आए अरविंद केजरीवाल भले ही इस वक्त आलोचना का पात्र बन रहे हों लेकिन इसमें उनकी दूरगामी रणनीति छिपी है।
इन मुकदमों के कारण 2019 के चुनाव से लेकर आने वाले दो साल बाद दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए उन्हें अब भरपूर वक्त मिलेगा। लेकिन इन माफीनामों के बावजूद जरूरी नहीं कि अरविंद केजरीवाल भविष्य में अपने किसी विरोधी पर तथ्यहीन आरोप नहीं लगाएंगे। आप के नेता कुमार विश्वास ट्विटर के जरिये केजरीवाल पर तंज कस रहे हैं तो राज्य सभा से पार्टी सांसद और दिल्ली से जुड़े पंजाब के नेता जरनैल सिंह केजरीवाल के माफीनामे से हैरान और परेशान हैं। कांग्रेस और बीजेपी के नेता तो केजरीवाल के माफीनामे को नई नौटंकी करार दे चुके हैं।