साढ़े तीन वर्षों से कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी का दायित्व संभाल रहे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पी मुरलीधर राव ने कांग्रेस की सत्ता के खिलाफ कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने और संगठन में जान फूंकने का काम किया है। आरएसएस से लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और अब भाजपा में कर्मठता से अपनी जिम्मेदारियां निभाने वाले मुरलीधर राव ने कर्नाटक चुनाव की व्यस्तता के बीच विशेष संवाददाता सुनील वर्मा से कर्नाटक चुनाव में पार्टी की रणनीति, तैयारियों और चुनौतियों पर विस्तार से बातचीत की।
क्या लगता है चुनाव के परिणाम बीजेपी के हक में आएंगे?
नतीजे सौ फीसदी हमारे पक्ष में आएंगे, कर्नाटक में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो जाएगा। कर्नाटक में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। पिछले पांच सालों में कर्नाटक की जनता कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार, धार्मिक तुष्टीकरण किसानों की खराब हालत और युवाओं की बेरोजगारी को लेकर बेहद परेशान रही है। चाहे सिद्धारमैय्या कितनी भी चाल चल लें मगर उनकी सरकार का सफाया होना तय है, ये हमारा विश्वास भी है और कर्नाटक की जनता की इच्छा भी।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की सिद्धारमैय्या सरकार के फैसले को किस नजर से देखते हैं?
कर्नाटक मंत्रिमंडल के लिंगायत और वीरशैव-लिंगायत समुदायों को अलग धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का फैसला समाज को बांटने की साजिश और चुनावी स्टंट के सिवा कुछ नहीं है। कर्नाटक की जनता और लिंगायत समुदाय के लोग इस बात को भलीभांति समझ रहे हैं। सिद्धारमैय्या सरकार का ये कदम उल्टा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा। न सिर्फ कर्नाटक में बल्कि पूरे देश में। क्योंकि लोग जान चुके हैं कि कांग्रेस कर्नाटक में लिंगायत समुदाय ही नहीं बल्कि संपूर्ण हिंदू धर्म को विभाजित करने की साजिश रच रही है। कांग्रेस का यह मुद्दा सिर्फ हिन्दुओं को बांटने और अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का षड्यंत्र मात्र है।
हालांकि सरकार ने अभी सिद्धारमैय्या सरकार की सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं दिया है, लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि बीजेपी लिगांयत को अलग धर्म का दर्जा नहीं देगी।
देखिए, पूरा देश और राज्य की जनता इस बात को समझ रही है कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले जो चाल चली है वो सिर्फ और सिर्फ चुनावी झांसा है। लिंगायत समुदाय जो कर्नाटक में सबसे बड़ी तादाद में है, हमारे मुख्यमंत्री उम्मीदवार माननीय येदियुरप्पा जी इसी समुदाय से आते हैं। कांग्रेस किसी भी हालत में उनको मुख्यमंत्री बनने से रोकना चाहती है? बस चुनाव से पहले लिए गए इस फैसले में यही निहित है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। मगर उनकी ये चाल कामयाब नहीं होगी। अगर सिद्धारमैय्या इस मांग को लेकर इतने गंभीर थे तो पिछले पांच साल से वे चुप क्यों थे, क्यों चुनाव से पहले ही उन्होंने ये कदम उठाया? इसे लिंगायत समुदाय के लोग भी समझ रहे हैं कर्नाटक की जनता भी। वैसे भी बीजेपी समाज को बांटने या तुष्टीकरण की राजनीति के किसी भी कदम का विरोध करती है। पार्टी अध्यक्ष माननीय अमित शाह जी ने इसी संदर्भ में ये बात कही है? वैसे भी कर्नाटक सरकार की इस मामले पर की गई सिफारिश पर केन्द्र के फैसले की बात करें तो ये फैसला इतनी जल्दी किया जाना संभव नहीं है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रक्रियाएं शामिल हैं। इस तरह के जटिल मुद्दे को इतनी जल्दी तय करना संभव नहीं है। कानूनी, राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सहित विभिन्न दृष्टिकोणों से पूरी प्रक्रिया का परीक्षण करना होगा। इसमें काफी समय लगेगा। कर्नाटक और देश की जनता को ये भी याद है कि 2013 में जब केन्द्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार थी तो लिंगायत और वीरशैव समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने का प्रस्ताव उन्होंने खारिज कर दिया था। तब कांग्रेस का मानना था कि इससे समाज और बंट जाएगा और लिंगायत व वीरशैव समुदाय का अनुसूचित जाति का दर्जा भी प्रभावित होगा। कांग्रेस अब अपने ही पूर्व के फैसले को पलट रही है। वीरशैव और लिंगायत को तब हिंदुओं का समुदाय माना गया था। इसलिए चुनावी राजनीति को लेकर लिए गए मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या के फैसले को सब समझ रहे हैं।
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को अलग धर्म घोषित करने के कांग्रेस सरकार के प्रस्ताव से भाजपा के लिए क्या चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं?
कोई चुनौती नहीं है। बल्कि उल्टा कांग्रेस का विरोध शुरू हो गया है। दरअसल, कांग्रेस की सम्पूर्ण राजनीति जाति, धर्म, पंथ के आधार पर लोगों को बांटने और तुष्टीकरण की राजनीति के माध्यम से सत्ता हासिल करने की अवधारणा पर आधारित है। कांग्रेस नेतृत्व एक तरफ हिन्दुओं को बांटने और दूसरी तरफ भय दिखाकर किसी न किसी तरह से अल्पसंख्यकों को एक रखने की नीति पर काम करता रहा है। कांग्रेस की ये पुरानी रणनीति है। जहां तक सवाल चुनौतियों का है तो हमें सिद्धारमैय्या के इस फैसले से कोई चुनौती नहीं मिली है। क्योंकि लिंगायत समुदाय के लोग काफी समझदार और संगठित हैं। लिंगायत समुदाय को बांटने के पीछे का कारण समाज और संत समझ चुके हैं। लिंगायत समुदाय को बांटने का कांग्रेस का षड्यंत्र नहीं चलेगा, यह बात कांग्रेस को स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए। हो सकता है कुछ लोग कांग्रेस के झांसे में आ गए हों लेकिन हमारी पार्टी और संगठन के लोग कांग्रेस की इस चाल को समझाने में सफल हो रहे हैं।
लिंगायत और वीरशैव कर्नाटक में बीजेपी का आधार हैं। क्या कांग्रेस सरकार का कदम आपके आधार वोट को प्रभावित करेगा और इससे कांग्रेस की मदद होेगी?
नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। वास्तव में पहले यह नैतिक रूप से कांग्रेस को कमजोर करेगा और फिर इसे राजनीतिक रूप से कमजोर बना देगा। यह केवल लिंगायत और वीरशैव नहीं हैं जो इस कदम का विरोध कर रहे हैं। अन्य समुदाय भी इसका विरोध कर रहे हैं। क्योंकि यह सिर्फ समुदाय ही नहीं, बल्कि हिंदुओं को विभाजित करने का प्रयास है। यह कर्नाटक में ही नहीं बल्कि पूरे देश में कांग्रेस की संभावनाओं को प्रभावित करेगी। सिद्धारमैय्या को भी आभास हो चुका है कि अल्पसंख्यक धर्म के नाम पर लिंगायत को धोखा देने की साजिश की पोल खुल चुकी है।
कर्नाटक में बीजेपी किन मुद्दों को लेकर कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही है?
कई मुद्दे हैं जिन्हें लेकर हम जनता के बीच में हैं। सबसे पहला तो सिद्धारमैय्या सरकार का पांच साल का कुशासन है जहां कोई उपलब्धि नहीं है बल्कि सिर्फ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। कर्नाटक में कांग्रेस भ्रष्टाचार की एक विंडो बन चुकी है। लोग कांग्रेस शासन से गुस्से में हैं और हर स्तर पर उसके काम का विरोध हो रहा है। सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। इसलिए हम कांग्रेस सरकार के वास्तविक चेहरे को दिखाने के लिए लोगों तक पहुंच रहे हैं और उनके साथ संवाद कर रहे हैं। चुनाव नतीजों के रूप में सरकार की विफलता देखने को मिलेगी। कानून और व्यवस्था कर्नाटक में अलग मुद्दा है। राजनीति का अपराध है। लोगों ने अब तक यूपी और बिहार ने क्षेत्रीय पार्टियों के शासनकाल के शुरू में राजनीति का अपराधीकरण देखा था, लेकिन सिद्धारमैय्या के सत्ता में आने के बाद कर्नाटक की जनता ने पहली बार यह देखा। कर्नाटक में कांग्रेस और अपराधियों के बीच कोई अंतर नहीं है। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। राज्य में गांजा (कैनबिस) माफिया, रेत और खनन माफिया, ठेकेदार माफिया सरकार के संरक्षण में काम करते रहे हैं। लोग इस बात को समझ चुके हैं।
सबसे अहम मुद्दा राज्य के युवाओं के दहशतगर्दी से जुड़ने का है। सिद्धारमैया सरकार आतंकवादी संगठनों का पोषण संरक्षण कर रही है। एक खास समुदाय के युवा इराक, सीरिया और लेबनान और दूसरे इस्लामिक देशों का रुख कर रहे हैं। जहां वे दहशत फैलाने वाले संगठनों से जुड़कर कर्नाटक में दहशतगर्दी के साथ एक के बाद एक राष्ट्रवादी लोगों की हत्या को अंजाम दे रहे हैं। बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं को चुन चुनकर मारा गया है। ये एक ऐसा नेटवर्क है जिसकी जड़ें बहुत गहरी हैं और सिद्धारमैय्या सरकार ने इसे बढ़ावा देने का काम किया। राजनीति में किसी का किसी के साथ मतभेद या समस्याएंं हो सकती हैं लेकिन किसी को भी राजनीतिक हत्याओं से बचना चाहिए। कांग्रेस सरकार को भाजपा के साथ समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन उन्हें भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ताओं को मारने के लिए आतंकवादी संगठनों के साथ सहयोग नहीं करना चाहिए। ये राजनीति में गलत परंपरा को बढ़ावा देने का काम हो रहा है।
देश भर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों को लेकर खूब बातें करते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार में किसानों की हालत के बारे में आपका क्या कहना है?
किसानों का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा है। पूरे देश में राहुल गांधी किसानों को लेकर जो भी बातें कर रहे हैं वो सिर्फ बेबुनियाद और झूठी बातें हैं। कर्नाटक को ही देख लीजिए। यह एक ऐसा राज्य है जिसमें हरित क्रांति देखी गई थी। पहले यहां किसानों की आत्महत्या की घटनाएं नहीं होती थीं। लेकिन आज कनार्टक किसानों की आत्महत्याओं को लेकर टॉप पर है। 3000 से ज्यादा लोग आत्महत्या कर चुके हैं, ऋण में छूट का वादा किया गया था, लेकिन लागू नहीं किया गया और जब बीजेपी इस बात को उठाती है तो उलटा केंद्र पर बोझ डालने की बात शुरू कर देते हैं। कर्नाटक में किसानों की आत्महत्याओं पर न तो राहुल गांधी कुछ बोलते हैं न राज्य के मुख्यमंत्री। किसानों को एमएसपी से संबंधित बोनस देने में भी वे असफल रहे हैं।
राहुल गांधी कर्नाटक में खूब प्रचार करे रहे हैं, क्या इसका कांग्रेस कोे कोई लाभ मिलेगा?
राहुल गांधी ऐसे नेता हैं जो जमीन की वास्तविकता से पूरी तरह से डिस्कनेक्ट हैं। राहुल गांधी कांग्रेस के पतन की रफ्तार बढ़ाने वाले नेता हैं। अब वे पूरी जान लगाकर कर्नाटक के चुनाव में सक्रिय हैं तो इससे हमारा विश्वास और बढ़ गया है कि यहां हम पूर्ण बहुमत से जीत हासिल करेंगे, क्योंकि राहुल गांधी जहां भी जाते हैं वहां कांग्रेस का सफाया हो जाता है। हालांकि मैं कभी किसी पार्टी अध्यक्ष या नेता के बारे में ऐसा नहीं कहता, लेकिन वे जो बोलते हैं, जो करते हैं उससे लगता है कि वे बेहद कनफ्यूज नेता हैं। आज राहुल गांधी देश में एक के बाद एक कांग्रेस की लगातार हार से इतने बौखला चुके हैं कि वे सत्ता में बने रहने और सत्ता हासिल करने के लिए कुछ भी अर्नगल बोल सकते हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि जनता उन्हें गंभीरता से नहीं लेती।
राज्य में कांग्रेस के एक बड़े नेता एस एम कृष्णा कुछ समय पहले बीजेपी में शामिल हुए। क्या उनके आने से पार्टी को कोई लाभ मिलेगा?
एस एम कृष्णा राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री हैं और लंबे समय से ग्राउंड पॉलिटिक्स से जुड़े मजबूत नेता रहे हैं। उनका समाज और विभिन्न वर्गों पर काफी प्रभाव रहा है। उनके पार्टी में आने से संगठन को मजबूती मिली है। सिर्फ कृष्णा ही नहीं, इनके अलावा भी कई नेता भाजपा में शामिल हुए हैं। इसका सबसे अधिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव कांग्रेस पर पड़ रहा है कि उसके बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। कांग्रेस के नेता अपनी पार्टी इसलिए छोड़ रहे हैं क्योंकि वे समझ गए हैं कि कांग्रेस डूबने वाली नाव है। यह यथार्थ है और कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं को यह बात स्पष्ट रूप से समझ में आ रही है।
राज्य में बीजेपी की सरकार बने, इसके लिए संगठन की क्या तैयारी है?
बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ राज्य के युवाओं ने राज्य के नवनिर्माण का संकल्प लिया है। इसके लिए बीजेपी ने हर बूथ पर संगठन के कार्यकर्ताओं की टीम को तैयार कर प्रशिक्षित किया है। इस चुनाव में 15 लाख अधिक युवा मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इसलिए हमने चुनाव कैंपेन में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में युवाओं को प्रमुखता से आगे रखने का काम किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में एबीवीपी और छात्र नेता ज्यादा से ज्यादा युवाओं तक पहुंचकर रोजगार, शिक्षा, तकनीक और विकास जैसे सभी पहलुओं पर उनसे संवाद कर रहे हैं। पहली बार वोटर बने युवाओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के नव निर्माण के लिए किए जा रहे बदलाव को लेकर अच्छा खासा उत्साह नजर आ रहा है। न सिर्फ युवा बल्कि सभी लोग समझ रहे हैं कि साफ सुथरी सरकार केवल भाजपा दे सकती है। कर्नाटक में हमारी जीत के बाद दक्षिण राज्यों में पार्टी के लिए जीत के दरवाजे खुल जाएंगे।