अाेपिनियन पाेस्ट।
संसद का मॉनसून सत्र में बुधवार को शुरु हाे गया जिसकी शुरूआत हंगामेदार रही जैसी कि उम्मीद की जा रही थी। विपक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विभिन्न मांगों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। राज्यसभा में टीडीपी सांसद आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करने लगे। हंगामा बढ़ने पर उपसभापति ने 39 मिनट बाद ही सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। उधर, लोकसभा में सपा सांसद मॉब लिन्चिंग पर सरकार की घेराबंदी कर रहे थे। सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उम्मीद जतायी थी कि सभी राजनीतिक दल संसद के समय का उपयोग सार्थक चर्चा में करेंगे। उन्होंने कहा था कि सरकार विभिन्न राजनीति दलों की ओर से उठाये गए किसी भी मुद्दे पर चर्चा को तैयार है।
लोकसभा में सत्र की शुरुआत में कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आरोप लगाया कि सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान आत्महत्या कर रहा है, महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं…इसलिए हम सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं, जिसे लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया। उधर एसपी और टीडीपी अलग-अलग मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही थी। एसपी सांसदों ने मॉब लिन्चिंग का मुद्दा उठाया तो टीडीपी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है।
सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा, ‘अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं। अब दूध का दूध और पानी का पानी होगा।’ संख्या बल के लिहाज से लोकसभा में सरकार के पास पर्याप्त बहुत है। इसलिए सरकार पर फिलहाल कोई संकट नहीं है, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों को अपनी बात करने का मौका मिलेगा। जनता दोनों की बात सुनकर ये तय कर सकेगी कि कौन सही है और कौन गलत। विपक्ष मोदी सरकार को पूरी तरह असफल बताता है जबकि सरकार का कहना है कि उसकी उपलब्धियां अभूतपूर्व हैं।
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को चर्चा होगी जबकि राज्यसभा में सोमवार को इस पर बहस होगी। हंगामे के बीच दोनों सदन दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिए गए। दो बजे के बाद कार्यवाही फिर शुरू होगी। इससे पहले तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने सत्र में फिर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही थी। तेदेपा संसदीय दल ने कहा था कि प्रस्ताव पर चर्चा नहीं कराये जाने की स्थिति में पार्टी संसद की कार्यवाही को बाधित करेगी। तेदेपा मोदी सरकार पर आंध्र प्रदेश की ‘उपेक्षा’ का आरोप लगाते हुए इस साल मार्च में राजग से अलग हो गई थी। इस साल मार्च-अप्रैल में संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में लगभग हर दिन नोटिस देने के बावजूद तेदेपा लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने में सफल नहीं हो पाई थी।