उमेश सिंह
अयोध्या को लेकर एक बार फिर सियासत गर्म है। खासकर भगवा सियासत। खुद शांत रहने वाली अयोध्या रह रह कर चर्चा में आ ही जाती है लेकिन इस बार चर्चा में है एक साधु क्योंकि वे आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। अनशनरत साधु राम मंदिर निर्माण को लेकर अपने हठ पर अड़े हुए हैं। उनकी मांग है कि पीएम मोदी अयोध्या आएं और राम मंदिर निर्माण का भरोसा दिलाएं। अनशनकारी साधु के समर्थन में अयोध्या के संतों ने भी सुर में सुर मिलाया है। विहिप के पदाधिकारी अनशन स्थल पर पहुंचे। भाजपा नेता भी पहुंच रहे हैं, लेकिन संयत और सधे हुए बयान दे रहे हैं। इसी बीच विहिप के संयोजन में दिल्ली में संत उच्चाधिकार समिति की बैठक हुई जिसमें अयोध्या के संतों ने भाग लिया और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राम मंदिर निर्माण से संबंधित ज्ञापन दिया।
अयोध्या भगवा सियासत की ऊर्जा स्थली रही है। राम मंदिर आंदोलन के जरिए भाजपा सत्ता के शीर्ष पर पहुंची है। आज भाजपा केंद्र में बहुमत में है, बावजूद इसके वह राम मंदिर निर्माण पर चुप्पी साधे है। संत समाज भाजपा से नाराज चल रहा है। संत समाज का मानना है कि अगर भाजपा ने मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त नहीं किया तो उसे इसका परिणाम भुगतना होगा। हालांकि भाजपा के कुछ नेता समय-समय पर ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ का राग जरूर छेड़ते हैं पर आधे-अधूरे मन से। इसलिए ‘मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे’ के जरिए विपक्षी भाजपा पर निशाना भी साध रहे हैं। राम मंदिर आम जनमानस की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है लेकिन भाजपा ने राम मंदिर के मुद्दे को राजनीतिक सांचे में ढाल दिया है। हिंदुओं की एकजुटता से भाजपा की सरकार सत्ता के केंद्र में विराजमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर की यात्रा कर ली लेकिन तंबू में विराजमान रामलला का दर्शन करने अब तक नहीं पहुंचे।
गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे महंथ परमहंस दास ने भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी है। अयोध्या स्थित तपस्वी छावनी के महंथ परमहंस दास एक अक्टूबर को प्रात: पांच बजे से आमरण अनशन पर बैठे हैं। महंथ परमहंस की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द से जल्द श्री राममंदिर निर्माण की घोषणा करें एवं अयोध्या आकर रामजन्म भूमि का दर्शन करें। परमहंस ने कहा कि ‘मंदिर निर्माण के लिए मेरी जान भी चली जाए तो इसकी मुझे परवाह नहीं है। जो भी मंदिर निर्माण का विरोध करेगा वह ना तो हिंदू है और ना ही साधु है।’ परमहंस दास के समर्थन में संतों ने वहां सभा की और राम मंदिर निर्माण को लेकर नारे लगाए। राम मंदिर निर्माण और अयोध्या आने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया, जिस पर संतों ने सामूहिक हस्ताक्षर भी किए। पांच अक्टूबर को दिल्ली में हुई संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक पर परमहंस दास ने कहा, ‘दिल्ली जाने से राम मंदिर निर्माण नहीं होने वाला है। स्वर्गीय अशोक सिंघल और स्वर्गीय परमहंस जी कितनी बार दिल्ली गए थे लेकिन राम मंदिर का मामला अभी भी अटका है। 2019 के पहले ही इसका निर्माण शुरू होना चाहिए।’ श्री राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष व मणिराम दास छावनी के महंथ नृत्य गोपाल दास ने पांच अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित संत उच्चाधिकार समिति की बैठक में रवाना होने से पूर्व कहा, ‘केंद्र में मोदी और राज्य में योगी सरकार के रहते श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में हो रही देरी अब सताने लगी है। इस बहुप्रतीक्षित विषय का समाधान मोदी सरकार शीघ्र निकाले। हिंदू समाज मोदी जी के आने से आशावादी है परंतु कब तक?’
भाजपा के फायर ब्रांड नेता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य विनय कटियार, महंथ परमहंस दास से मिलने उनके अनशन स्थल पर पहुंचे। उन्होंने महंथ का हाल जानने के बाद कहा, ‘संत परमहंस दास सरकार का ध्यान आकर्षण करने का काम कर रहे हैं। नमाज के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इतना तो तय है कि विवादित स्थल पर मस्जिद नहीं बनेगी। 29 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो रही है। उम्मीद है कि अयोध्या मामले का हल जल्द निकलेगा। मैं संत को मनाने नहीं आया हूं, बल्कि डटे रहने के लिए कहने आया हूं।’
अनशन स्थल पर सांसद लल्लू सिंह, विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय, नगर विधायक वेद गुप्ता, पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती, विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा सहित अनेक साधु संत पहुंचे। सांसद लल्लू सिंह ने परमहंस की मांग को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन दिया, जिस पर परमहंस ने कहा कि ‘मोदी अयोध्या आकर रामलला के दर्शन करें और राम मंदिर बनाने का आश्वासन दें, तभी अनशन समाप्त करूगा।’ संतों ने नारेबाजी भी की। साधु-संतों ने अपना पूरा समर्थन महंथ परमहंस को देते हुए नारा लगाया कि ‘मोदी तुमको आना होगा, मंदिर यहीं बनाना होगा।’ वहीं दूसरी तरफ श्रीराम अस्पताल के चिकित्सकों का दल महंथ के स्वास्थ का लगातार परीक्षण कर रहा है, जबकि महंथ ने साफ तौर पर कह दिया है कि मांगें पूरी हुए बिना हम हिलने वाले नहीं हैं। अनशनकारी महंथ ने शिवसेना के समर्थन का दावा किया है। उन्होंने कहा, ‘शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने फोन पर बात करते हुए अपना पूरा समर्थन दिया और आरपार की लड़ाई का ऐलान किया। ठाकरे ने जल्द ही अयोध्या आने का आश्वासन भी दिया।’ किन्नर गुलशन बिंदु ने भी महंथ से मिलकर किन्नर समाज की ओर से समर्थन दिया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी देते हुए कहा कि ‘मोदीजी अगर जल्द ही राममंदिर निर्माण की तिथि की घोषणा नहीं करते हैं तो देश के एक लाख किन्नर महंथ के समर्थन में धरना देंगे।’
संतों में खीझ, झुंझलाहट
कमोबेश ज्यादातर ‘संत’ भाजपा और विहिप से जुड़े हुए हैं लेकिन अब उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। संतों के चेहरे पर शालीनता, अधरों पर तैरती मुस्कुराहट और मीठे वचन के बजाय अब उनमें खीझ है, झुंझलाहट है।
बीती 25 जून को अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंथ नृत्यगोपाल दास के 80वें जन्मदिवस समारोह में आयोजित संत सम्मेलन में संतों ने कहा, ‘केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों में भाजपा की सरकारें हैं, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से लेकर अयोध्या के विधायक और महापौर भी ‘अपने’ हैं। आखिर अब राममंदिर न बनाने का कौन-सा बहाना बचा है।’ मुख्यमंत्री ने अदालती फैसले और संवैधानिक मर्यादाओं के पालन का हवाला देते हुए कुछ दिन और धीरज रखने को कहा। राम मंदिर के लिए गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों से मंदिर के प्रति प्रतिबद्धता को याद दिलाया। भाजपा के पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने मंच से ही कहा, ‘क्या बाबर ने किसी अदालती निर्णय के फलस्वरूप राममंदिर ढहाकर उसकी जगह मस्जिद बनाई थी? 1949 में 22-23 दिसंबर, 1949 की रात उस मस्जिद में रामलला का प्राकट्य क्या किसी अदालत के निर्देश पर हुआ था? लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी बहुप्रचारित रथयात्रा निकाली तो भी मामला अदालत में था और छह दिसंबर को हुई कारसेवा में बाबरी मस्जिद ढहाकर उसके मलबे पर अस्थायी मंदिर तो सर्वोच्च न्यायालय के यथास्थिति बनाये रखने के आदेश की अवज्ञा करके ही बनाया गया था। तब अदालती आदेश की परवाह नहीं की गई तो अब क्यों की जा रही है।’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से जाने के एक दिन बाद धर्मनगरी आए अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने वेदांती के सवालों पर यह कहकर नई धार दे दी कि ‘अगर यही बहाना करना था कि मामला अदालत में है तो भाजपा ने यह वादा ही क्यों किया था कि वह सत्ता में आने पर राम मंदिर बनाएगी? अगर मंदिर निर्माण के लिए भगवान राम की कृपा पर ही निर्भर करना था तो कारसेवक यह नारा क्यों लगाते थे कि रामलला हम आये हैं, मंदिर बनाके जायेंगे?’ तोगड़िया ने मोदी सरकार के चार महीनों में कानून बनाकर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ न करने पर ‘अयोध्या कूच’ की भी धमकी दी। महंथ को मनाने जिले के प्रभारी मंत्री सतीश महाना सात अक्टूबर की शाम अयोध्या आए लेकिन वे खाली हाथ लौट गए। सात अक्टूबर की रात को तकरीबन 12 बजे सादे भेष में पुलिसकर्मी आए और महंथ परमहंस को एम्बुलेंस से पीजीआई लखनऊ ले गए। महंत अस्पताल में भी अभी अनशन पर ही हैं। सात अक्टूबर की रात को ही तोगड़िया अयोध्या पहुंचे लेकिन उनके पहुंचने के पहले ही अनशनरत महंथ को पुलिस लखनऊ लेकर जा चुकी थी। उन्होंने मोदी और योगी सरकार के खिलाफ जमकर हमला किया।