देवाशीष उपाध्याय
प्राय: जिन मिठाइयों को आप काजू, पिस्ता, शुद्ध देशी घी, शुद्ध खोये का बना मानकर मोटा पैसा देकर दुकानदार से खरीद कर बड़े चाव से खा रहे हैं, उनमें बड़े पैमाने पर सिंथेटिक और रासायनिक पदार्थों की मिलावट की जा रही है। विगत वर्षों में देश भर में खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा संग्रहीत अधिकतर नमूने मानक के अनुरूप नहीं पाये गये हैं। इतना ही नहीं फलों और सब्जियों में भी खतरनाक रसायनों एवं सिंथेटिक कलर की पुष्टि हुई है। आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा तकनीकी के तीव्र विकास और विस्तार के बावजूद अस्पतालों में मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। छोटे-छोटे बच्चों के बाल पक रहे हैं। आंखों पर चश्मा लग रहा है। यहां तक कि मधुमेह, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर व किडनी की जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरणीय प्रदूषण, बदलती दिनचर्या और खान-पान के बदलते स्वरूप के कारण लोगों के बीमार होने की आशंका दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक साठ से सत्तर फीसदी बीमारियां हमारी अनियमित दिनचर्या और असंतुलित व असुरक्षित खाद्य पदार्थों के सेवन से हो रही हैं।
स्वस्थ शरीर का निर्माण संतुलित और सुरक्षित आहार से होता है। भारत कृषि प्रधान एवं कृषि उत्पाद विविधता वाला देश है। दुग्ध उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। वहीं फल व सब्जियों के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है। इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के अनाज उत्पादन में भी सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। यहां ‘दूध की नदियां बहने और देश की मिट्टी सोना उगले’ जैसे गीत प्रचलित हैं परन्तु दुर्भाग्य से देश की बड़ी जनसंख्या को संतुलित एवं सुरक्षित आहार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। लगभग एक चौथाई आबादी को एक वक्त का ही भोजन नसीब हो पा रहा है। यह भोजन भी उनकी पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति के बजाय केवल उन्हें अगली सुबह तक जिंदा रखता है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि और औद्योगिकीकरण के कारण कृषि जोत का आकार छोटा होता जा रहा है। पर्यावरणीय असंतुलन के कारण प्राकृतिक प्रकोप का खतरा बढ़ने और मानसून प्रणाली में परिवर्तन होने के कारण किसानों को लाभ के बजाय हानि हो रही है। अधिक उत्पादन के लालच में बड़े पैमाने पर रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग किए जाने से खाद्य पदार्थ दूषित होते जा रहे हैं। खाद्य पदार्थों में पौष्टिकता की बजाय रसायन का जहर घुल रहा है। मांग और आपूर्ति में बढ़ते अंतर के मद्देनजर मुनाफाखोर व्यापारी बड़े पैमाने पर मिलावटी, अधोमानक, मिथ्याछाप, असुरक्षित खाद्य पदार्थ की बिक्री कर रहे हैं जिसका सेवन कर लोग बीमार पड़ रहे हैं।
जहां ‘दूध की नदियां’ बहती थीं अब वहां सिंथेटिक दूध बनाकर दूध के नाम पर जहर का कारोबार किया जा रहा है। दूध में पानी मिलाना और दूध से क्रीम निकालना अब बीते दिनों की बात हो गई है। अब तो मिल्क पाउडर, स्टार्च, ग्लूकोज, वनस्पति, रिफाइन्ड, डिटर्जेंट, यूरिया आदि मिलाकर सिंथेटिक दूध बनाकर शुद्ध दूध में मिलाया जा रहा है। इसी प्रकार खोआ में स्टार्च, वनस्पति, रिफाइन्ड आदि मिलाकर कृत्रिम खोआ बनाया जा रहा है। काजू की मिठाई में मूंगफली मिलाई जा रही है और पिस्ता की जगह मूंगफली आदि को कलर कर लगाया जा रहा है। मिठाइयों पर चांदी वर्क की बजाय एल्यूमिनियम वर्क लगाई जा रही है जो कैंसर कारक है।
फास्ट फूड और जंक फूड आज अधिकतर लोगों के भोजन का विकल्प बन चुका है। पाश्चात्य संस्कृति से अभिभूत युवा भारतीय व्यंजन की बजाय चायनीज व्यंजन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। बर्गर, पिज्जा, चाउमीन, मोमोज, सैन्डविच आदि फास्ट फूड में ट्रांसफैट, शुगर, टेस्टमेकर, अजीनोमोटो, मोनोसोडियम ग्लूटामेट जैसे रसायनों का प्रयोग बड़े पैमाने पर होता है। ये खाद्य पदार्थ को ‘टेस्टी’ तो अवश्य बना देते हैं परन्तु ‘हेल्दी’ नहीं। इनसे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों जैसे- प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम, मिनरल्स इत्यादि का अभाव हो जाता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। नतीजा लीवर, किडनी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, पेट संबंधी विभिन्न प्रकार की बीमारियां यहां तक कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां हो रही हैं। इसी प्रकार कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रूट जूस, सोडा वाटर, साफ्ट ड्रिंक्स आदि के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। इसको पानी, कृत्रिम रसायन, टेस्टमेकर, एसेंस, सोडा एवं शुगर मिलाकर बनाया जाता है जो स्वास्थ के लिए हानिकारक हैं।
आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग पैसा कमाने एवं पाश्चात्य संस्कृति आधारित सुख-सुविधा के चक्कर में आलसी और सुविधाभोगी हो गये हैं। जिसके कारण न तो समुचित शारीरिक व्यायाम हो पा रहा है और न ही संतुलित और सुरक्षित भोजन मिल पा रहा है। इससे अस्पतालों में मरीज दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। बीमारियों से बचने के लिए नियमित दिनचर्या, योग, व्यायाम, शारीरिक श्रम एवं संतुलित, सुरक्षित भोजन का सेवन आवश्यक है। कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर बड़ी से बड़ी बीमारी से बचा जा सकता है और स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चे एवं शारीरिक कष्ट को कम किया जा सकता है।
क्या कहता है खाद्य सुरक्षा कानून?
- 4 खाद्य सुरक्षा अधिकारी खाद्य कारोबार स्थल पर मिलावटी, अधोमानक, मिथ्याछाप, असुरक्षित खाद्य पदार्थ का संदेह होने पर परीक्षण के लिए नमूना ले कर सकता है।
- 4 विश्लेषण के बाद यदि नमूना अवमानक या अधोमानक पाया जाता है तो धारा 51 के अन्तर्गत अधिकतम 5 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
- 4 मिथ्याछाप वाले खाद्य पदार्थ में धारा 52 के अन्तर्गत तीन लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
- 4 भ्रामक विज्ञापन के प्रकाशन जिससे खाद्य पदार्थ की प्रकृति या तत्व या क्वालिटी में भ्रम पैदा होता है तो धारा 53 के अन्तर्गत दस लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- 4 खाद्य पदार्थ में किसी बाह्यपदार्थ मिलाने या अंतर्विष्ट करने पर धारा 54 के अन्तर्गत एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
- 4 खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के अधीन खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा निर्देशित अपेक्षाओं का अनुपालन न करने पर धारा 55 के अन्तर्गत दो लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
- 4 खाद्य कारोबार स्थल पर पर्याप्त साफ-सफाई के अभाव और अस्वास्थ्यकर दशाओं में खाद्य पदार्थ के निर्माण या प्रसंस्करण की दशा में धारा 56 के अन्तर्गत एक लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- 4 असुरक्षित खाद्य पदार्थ की बिक्री की दशा में छह महीने से लेकर सात वर्ष तक के कारावास और दस लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- (लेखक हाथरस, उत्तर प्रदेश में
- जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं)
- 4 खाद्य सुरक्षा अधिकारी खाद्य कारोबार स्थल पर मिलावटी, अधोमानक, मिथ्याछाप, असुरक्षित खाद्य पदार्थ का संदेह होने पर परीक्षण के लिए नमूना ले कर सकता है।
- 4 विश्लेषण के बाद यदि नमूना अवमानक या अधोमानक पाया जाता है तो धारा 51 के अन्तर्गत अधिकतम 5 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
- 4 मिथ्याछाप वाले खाद्य पदार्थ में धारा 52 के अन्तर्गत तीन लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
- 4 भ्रामक विज्ञापन के प्रकाशन जिससे खाद्य पदार्थ की प्रकृति या तत्व या क्वालिटी में भ्रम पैदा होता है तो धारा 53 के अन्तर्गत दस लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- 4 खाद्य पदार्थ में किसी बाह्यपदार्थ मिलाने या अंतर्विष्ट करने पर धारा 54 के अन्तर्गत एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
- 4 खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के अधीन खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा निर्देशित अपेक्षाओं का अनुपालन न करने पर धारा 55 के अन्तर्गत दो लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
- 4 खाद्य कारोबार स्थल पर पर्याप्त साफ-सफाई के अभाव और अस्वास्थ्यकर दशाओं में खाद्य पदार्थ के निर्माण या प्रसंस्करण की दशा में धारा 56 के अन्तर्गत एक लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- 4 असुरक्षित खाद्य पदार्थ की बिक्री की दशा में छह महीने से लेकर सात वर्ष तक के कारावास और दस लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- (लेखक हाथरस, उत्तर प्रदेश में जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं)
I don’t think the title of your article matches the content lol. Just kidding, mainly because I had some doubts after reading the article.
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