इंग्लैंड क्रिकेट टीम वनडे क्रिकेट के इतिहास में एक बार भी विश्व चैंपियन नहीं बन सकी. पिछले 44 सालों के दौरान तीन बार वल्र्ड कप फाइनल में पहुंचने के बाद भी उसकी झोली खाली है. 2010 में वेस्टइंडीज में आयोजित टी-20 वल्र्ड कप उसके पास एकलौता बड़ा खिताब है, जिस पर वह गर्व कर सकती है. लेकिन, इस बार अपनी मेजबानी में उसके पास चैंपियन बनने का सुनहरा मौका है.
आईसीसी क्रिकेट विश्व कप इस बार इंग्लैंड की मेजबानी में 30 मई से 14 जुलाई के बीच खेला जाएगा. क्रिकेट के जनक इंग्लैंड के पास इस बार ‘विश्व विजय’ का अपना 44 साल पुराना सपना पूरा करने का सुनहरा मौका है. ऐसा इसलिए नहीं, क्योंकि टूर्नामेंट उसकी मेजबानी में, उसकी सरजमीं पर खेला जा रहा है, बल्कि पिछले दो सालों में इयान मोर्गन की कप्तानी में इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दुनिया की सबसे बेहतरीन टीमों को मात दी और आईसीसी रैंकिंग में लगातार नंबर एक टीम बनी हुई है. चार साल पहले मोर्गन की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में आयोजित वल्र्ड कप में इंग्लैंड का सफर निराशाजनक रूप से ग्रुप स्टेज में थम गया था. ऐसे में मोर्गन की टीम के पास घरेलू दर्शकों के सामने उस असफलता की भरपाई करने का शानदार मौका है. आइए जानते हैं कि क्यों मेजबान इंग्लैंड इस बार विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम कर सकती है और उसे किन टीमों से चुनौती मिल सकती है. 1975 में खेले गए पहले वनडे विश्व कप से लेकर अब तक इंग्लैंड टीम तीन बार (1979, 1987, 1992) फाइनल में पहुंचने में सफल रही, लेकिन विनर्स ट्रॉफी हाथ में थामने का मौका नसीब नहीं हुआ. 1979 में वेस्टइंडीज, 1987 में ऑस्ट्रेलिया और 1992 में पाकिस्तान ने उसका सपना तोड़ दिया. उसके बाद से अब तक इंग्लैंड टीम फाइनल में नहीं पहुंच सकी.
बल्लेबाजी सबसे बड़ी ताकत
इंग्लैंड की बल्लेबाजी पिछले कुछ सालों में उसकी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी है. जॉनी बेयर्स्टो, जो रूट, जेसन रॉय, इयान मोर्गन, जोस बटलर जैसे बल्लेबाजों ने दुनिया भर के गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए. साल 2015 के विश्व कप के बाद इंग्लैंड वनडे क्रिकेट में 400 से ज्यादा रन बनाने वाली एकलौती टीम है. उसके अलावा एक बार दक्षिण अफ्रीका टीम ही ऐसा कर सकी है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी बल्लेबाजी कितनी शानदार है और उसमें कितनी गहराई है. इंग्लैंड ने 400 से ज्यादा रन बनाने का कारनामा न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज जैसी टीमों के खिलाफ किया, जो आसान काम नहीं है. साल 2018 में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टॉप फाइव बल्लेबाजों में दो इंग्लैंड के थे और टॉप टेन में तीन. इंग्लैंड की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे हैं विकेट कीपर बल्लेबाज जॉनी बेयर्स्टो, जिन्होंने साल 2008 में इंग्लैंड के लिए 22 एकदिवसीय मैचों में शिरकत की और 22 पारियों में धमाकेदार बल्लेबाजी करते हुए 46.59 के औसत और 118.22 के स्ट्राइक रेट से 1,025 रन बनाए. वह दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में विराट कोहली एवं रोहित शर्मा के बाद तीसरे पायदान पर थे, लेकिन उनका स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा था. इस दौरान उन्होंने चार शानदार शतक और दो अद्र्ध शतक भी जड़े.
मध्य क्रम की रीढ़ रूट और मोर्गन
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मॉर्डन ग्रेट्स में शुमार इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान जो रूट ने भी शानदार प्रदर्शन किया. पारंपरिक टेस्ट बल्लेबाज की पहचान वाले रूट को दुनिया में आक्रामक बल्लेबाजी के लिए नहीं जाना जाता, लेकिन वह इंग्लैंड की वनडे टीम की बल्लेबाजी की रीढ़ हैं. यह बात उन्होंने 2018 में 24 मैचों की 24 पारियों में आठ बार नाबाद रहते हुए 59.12 के औसत और 83.93 के स्ट्राइक रेट से 946 रन बनाकर साबित की. वह दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में चौथे पायदान पर रहे. उनके अलावा जेसन रॉय ने 22 मैचों की 22 पारियों में 40.63 के औसत और 105.05 के स्ट्राइक रेट से 894 रन बनाए, जिनमें तीन शतक और एक अद्र्ध शतक शामिल हैं. इन बल्लेबाजों के मोर्चा संभालने के बाद जब भी कप्तान इयान मोर्गन को विरोधी गेंदबाजों के साथ दो-दो हाथ करने का मौका मिला, तो उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया. पिछले साल मोर्गन 22 मैचों की 22 पारियों में चार बार नाबाद रहते हुए 42.00 के औसत और 93.79 के स्ट्राइक रेट से 756 रन बनाने में सफल रहे, जिनमें सात अद्र्ध शतकीय पारियां शामिल थीं.
कप्तानी एक्स फैक्टर
चार साल पहले विश्व कप में मिली हार के बाद इयान मोर्गन ने टीम की कमान शानदार तरीके से संभालते हुए उसकी चाल, चरित्र और चेहरा पूरी तरह बदल दिया. उन्हें वर्तमान में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वनडे कप्तानों में शुमार किया जाता है. माना जा रहा है कि इंग्लैंड टीम की कमान उस शख्स के हाथों में है, जो विश्व विजय का ख्वाब पूरा कर सकता है. इंग्लैंड के खिलाडिय़ों को भी पूरा भरोसा है कि उनकी टीम अब तक की सर्वश्रेष्ठ टीम है. मोर्गन ने टीम को नेचुरल गेम खेलने की पूरी छूट दे रखी है, जिसका असर खिलाडिय़ों के आत्मविश्वास के रूप में नजर आता है.
रनों का अंबार लगाने की क्षमता
इंग्लैंड टीम पिछले कुछ सालों में रन मशीन बनकर उभरी है. उसके खिलाडिय़ों के पास पॉवर प्ले में रन बनाने की अद्भुत क्षमता है, क्योंकि पॉवर प्ले में बनाए गए रनों का अंतर ही वनडे मैचों में निर्णायक साबित होता है. जॉनी बेयर्स्टो, एलेक्स हेल्स, जेसन रॉय और जोस बटलर जैसे खिलाड़ी फील्ड रिस्ट्रिक्शंस के साथ आसानी से प्रति ओवर 10 से ज्यादा रन बनाने की क्षमता रखते हैं. उनकी यह काबिलियत अधिकांश मैचों को विरोधी टीम की पकड़ से दूर ले जाती है. ऐसी आक्रामक बल्लेबाजी का नकारात्मक असर विरोधी खेमे के गेंदबाजों पर पड़ता है, जिसका फायदा अन्य बल्लेबाज भी उठाने में सफल रहते हैं. इंग्लैंड के बल्लेबाज शुरुआती दस ओवरों में नियमित रूप से 80 से लेकर 100 रन तक बनाने में सफल रहते हैं, जिसकी वजह से टीम आसानी से 50 ओवरों में 300 रनों का आंकड़ा पार करके अपनी जीत आसान बना लेती है.
2018 में नहीं हारी कोई सीरीज
साल 2018 इंग्लैंड के लिए बेहद शानदार रहा. इंग्लैंड ने पिछले साल छह वनडे सीरीज खेलीं और सभी में जीत हासिल की. इस दौरान खेले गए कुल 24 मैचों में से उसे 18 में जीत और पांच में हार का सामना करना पड़ा. जबकि एक मैच का कोई परिणाम नहीं निकला. इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में 4-1, न्यूजीलैंड को न्यूजीलैंड में 3-2, स्कॉर्टलैंड को स्कॉर्टलैंड में 1-0, ऑस्ट्रेलिया को इंग्लैंड में 5-0, भारत को इंग्लैंड में 2-1 और श्रीलंका को इंग्लैंड में 3-1 के अंतर से मात दी. एकदिवसीय मैचों में उसका घर और बाहर दबदबा बरकरार रहा. इससे पहले इंग्लैंड की कोई टीम वनडे क्रिकेट में ऐसी दबंगई नहीं दिखा सकी.
शानदार संतुलन और गहराई
इंग्लैंड टीम में जैसा संतुलन है, वैसा किसी अन्य टीम में नहीं. टीम के लिए पारी की शुरुआत जॉनी बेयर्स्टो और एलेक्स हेल्स जैसे बल्लेबाजों करते हैं. तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी की कमान जो रूट के हाथों में है. चौथे नंबर पर कप्तान मोर्गन और फिर ऑल राउंडर बेन स्ट्रोक्स का नंबर आता है. फिनिशर की भूमिका अदा करने के लिए जोस बटलर और मोईन अली जैसे खिलाड़ी हैं, जो अपने फियरलेस स्ट्रोक प्ले के लिए जाने जाते हैं. इसके बाद क्रिस वोक्स, जो टीम की बल्लेबाजी को गहराई देते हैं. गेंदबाजी की कमान मार्क वुड और बेन स्ट्रोक्स संभालते हैं. स्पिन गेंदबाजी की जिम्मेदारी आदिल राशिद और मोईन अली के हाथों में है. टीम में युवा और अनुभवी खिलाडिय़ों का सही संतुलन है. टीम की औसत उम्र लगभग 30 साल है और अधिकांश खिलाडिय़ों के पास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का कम से कम दो साल का अनुभव है, जो निश्चित तौर पर विश्व कप के दौरान उसके लिए फायदेमंद साबित होगा.
घरेलू माहौल का फायदा
साल 2011 और 2015 के विश्व कप मेजबान टीमों ने अपने नाम किए. इससे पहले घरेलू टीमों को विश्व कप में कोई खास फायदा नहीं मिलता था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके दबदबे का दौर चलने के बाद माना जा रहा है कि शानदार फॉर्म में चल रही इंग्लैंड टीम घरेलू टीमों की खिताबी जीत की हैट्रिक इस बार पूरी कर सकती है. इंग्लैंड को इंग्लैंड में हराना हमेशा विरोधी टीमों के लिए चुनौती पूर्ण रहा है. उसके खिलाड़ी वहां के मैदानों और विकेट की रग-रग से वाकिफ हैं. इंग्लैंड में विश्व कप का आयोजन क्रिकेट सीजन के आखिर यानी गर्मी के अंतिम चरण में होगा. ऐसे में पिच पर घास और नमी बेहद कम होगी. पिच का मिजाज कैसा होगा और किस स्थिति में किस तरह के टीम कॉम्बिनेशन की जरूरत होगी, यह उनसे बेहतर कोई नहीं जानता. टीम के खिलाडिय़ों के सामने मेहमान टीमों के साथ संतुलन बनाने की चुनौती नहीं होगी और वे अपना ध्यान खेल के अन्य पहलुओं पर लगा सकते हैं, जिसका निश्चित तौर पर उन्हें फायदा होगा.
जीत का फॉर्मूला
साल 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के सेमी फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ हार के बाद इंग्लैंड ने लगातार आक्रमण की रणनीति अपनाई, जिसका फायदा उन्हें मिला. उसके बाद से विकेट गिरने के बावजूद इंग्लैंड के बल्लेबाज विरोधी टीम के गेंदबाजों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते. इस रणनीति का फायदा उन्हें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे पर भी मिला था. यही इंग्लैंड के लिए इस बार भी जीत का फॉर्मूला साबित हो सकता है.