यूं तो फिल्म फेयर फिल्मों की सफलता का कोई मापदंड नहीं है, लेकिन बीते कुछ सालों से प्रोपेगैंडा के जरिये इसे ‘ए’ ग्रेड अवॉर्ड का नाम दे दिया गया है. अब इस चक्कर में इसके नॉमिनेशन पर हर साल बवाल इसलिए होता है, क्योंकि यहां उन्हीं की फिल्में नॉमिनेट होती हैं, जो फिल्म फेयर के चहेते हैं. अब इस साल के नॉमिनेशन में सबके नाम आए. यहां तक कि शाहरुख खान की ‘जीरो’ भी नॉमिनेट हुई, क्योंकि उनका फिल्म फेयर कनेक्शन किसी से छिपा नहीं है. लेकिन अब जिसे दिक्कत है, वह हैं मनोज वाजपेयी. इंटरनेशनल सर्किट में कई अवॉर्ड जीत चुकी उनकी फिल्म ‘गली गुलियां’ को फिल्म फेयर में नॉमिनेशन नहीं मिला, तो उन्होंने सरेआम इस अवॉर्ड संस्था को लताड़ दिया, क्योंकि कुछ साल पहले उनकी फिल्म ‘अलीगढ़’ के साथ भी ऐसा पक्षपात हुआ था. आखिर कोई कब तक बर्दाश्त करे.
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