आईसीसी विश्वकप 2019 के आगाज में अब तकरीबन 100 दिनों का समय बचा है. 30 मई से शुरू हो रहे एक दिवसीय क्रिकेट के 12वें महाकुंभ में जीत के प्रबल दावेदारों में विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया भी शामिल है. दुनिया के बड़े-बड़े क्रिकेट पंडित, विश्लेषक एवं पूर्व दिग्गज टीम इंडिया की जीत पर दांव लगा चुके हैं. भारतीय टीम लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है. ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड को वनडे सीरीज में उनके घर में 2-1, 4-1 के अंतर से मात देने के बाद आईसीसी वनडे रैंकिंग में भारतीय टीम इंग्लैंड के बाद दूसरे पायदान पर अपनी स्थिति और मजबूत कर चुकी है. ऐसे में विश्वकप से पहले उसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच वनडे मैचों की घरेलू शृंखला खेलनी है. यह मैनेजमेंट के पास विश्वकप से पहले भारतीय टीम को अंतिम रूप देने और तैयारियों को परखने का आखिरी मौका होगा. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए उन खिलाडिय़ों को ही टीम में जगह मिलेगी, जो एक तरह से विश्वकप के लिए अपना टिकट पक्का कर चुके हैं. आइए जानते हैं कि क्या विराट सेना में विश्वकप जीतने का दमखम है या यह केवल ख्याली पुलाव है, जो प्रशंसकों के मन में पक रहा है. क्या विराट अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को तीसरी बार विश्व चैंपियन बना पाएंगे?
पूरी दुनिया में लहराया परचम
जनवरी 2017 में विराट कोहली के हाथों में महेंद्र सिंह धोनी के कप्तानी छोडऩे के बाद टेस्ट के साथ-साथ सीमित ओवरों की टीम की कमान भी सौंपी गई थी. धोनी ने अचानक कप्तानी छोडऩे का फैसला भी इसी वजह से लिया था, ताकि नए कप्तान को विश्वकप के लिए अपनी टीम तैयार करने का पर्याप्त समय मिल सके. कप्तानी छोड़ते समय धोनी ने कहा था कि वह नए कप्तान (विराट कोहली) की हर कदम पर मदद करेंगे. विराट द्वारा कमान संभालने के बाद भारतीय टीम ने पूरी दुनिया में अपना परचम लहराया और श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड एवं वेस्टइंडीज को अपने घर के साथ-साथ उनके घर में मात दी. केवल इंग्लैंड दौरे पर वनडे सीरीज में भारतीय टीम को पिछले साल 1-2 से हार का मुंह देखना पड़ा था. यहीं पर विश्वकप में भारतीय टीम को सभी टीमों से दो-दो हाथ करने हैं. ऐसे में, उसके सामने मेजबान टीम कड़ी चुनौती पेश करेगी.
एक्स फैक्टर हैं विराट कोहली
विराट कोहली फिलहाल दुनिया के दूसरे नंबर एक बल्लेबाज हैं. वह एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें कप्तानी बहुत रास आती है. जबसे विराट ने टीम इंडिया की कमान संभाली है, उनकी बल्लेबाजी में और भी निखार आ गया है. विराट से ज्यादा आग कैप्टन कोहली का बल्ला उगल रहा है. विराट सिर्फ और सिर्फ टीम इंडिया की जीत के लिए खेलना चाहते हैं. हारे हुए मैच में खेली गई बड़ी से बड़ी पारी से ज्यादा खुशी जीत के लिए खेली गई छोटी सी पारी से मिलती है. उनके कमान संभालने के बाद भारतीय टीम के खिलाडिय़ों में बड़ा बदलाव आया है. भारतीय टीम विरोधी को देखे बगैर आक्रामक रुख और जीत के उद्देश्य से मैदान में उतरती है. फियरलेस क्रिकेट खेलना ही विराट का मूलमंत्र है, जो उनके कप्तान बनने के बाद टीम के हर सदस्य की बॉडी लैंग्वेज में नजर आता है. विराट ऐसे खिलाड़ी हैं, जो टीम को एकजुट रखते हैं, साथ ही टीम इंडिया और अन्य टीमों के बीच सबसे बड़ा अंतर भी साबित होते हैं. विराट के बल्ले का चलना टीम इंडिया की जीत की गारंटी होता है. एक दशक लंबे अंतर्राष्ट्रीय करियर में पारंपरिक क्रिकेट खेलते हुए कोहली ने बल्ले से वह ‘विराट’ कारनामे कर दिखाए हैं, जिनके लिए सचिन तेंदुलकर जैसे बड़े खिलाड़ी को उनकी तुलना में ड़ेढ़ से दोगुने मैच खेलने पड़े.
नई ताकत बनकर उभरी गेंदबाजी
अंग्रेजी में एक कहावत है, बैट्समैन मेक्स रन, बॉलर विन्स मैच यानी बल्लेबाज रन बनाते हैं और जीत गेंदबाज दिलाते हैं. अपनी बल्लेबाजी के लिए मशहूर टीम इंडिया के गेंदबाजों ने पिछले 2 सालों में एक नई पहचान बनाई है. भारतीय गेंदबाजी आक्रमण वर्तमान में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण है. टीम इंडिया के पास गेंदबाजों में जैसी विविधता है, वह और किसी टीम के पास नहीं है. तेज गेंदबाजी आक्रमण में जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार एवं मोहम्मद शमी ने दुनिया भर में कहर ढाया है. ये तीनों गेंदबाज किसी भी टीम के बड़े से बड़े और मजबूत बल्लेबाज क्रम को धराशायी करने का माद्दा रखते हैं. जहां जसप्रीत बुमराह एवं भुवनेश्वर कुमार सीमित ओवरों की क्रिकेट में अपनी सटीक लाइन-लेंथ और रन खर्च करने में कंजूसी के लिए जाने जाते हैं, वहीं शमी की सीम बॉलिंग का कोई जवाब नहीं है. भुवी एवं बुमराह, दोनों टीम के लिए ओपनिंग और स्लाग ओवरों में सटीक यॉर्कर गेंदों का इस्तेमाल करके विरोधी टीम के बल्लेबाजों को बांधे रखते हैं. मोहम्मद शमी बीच के ओवरों में विकेट चटकाने में माहिर हैं.
‘कुलचा’ जोड़ी करेगी कमाल
दूसरी तरफ स्पिन आक्रमण की जिम्मेदारी ‘कुलचा’ यानी चाइना मैन कुलदीप यादव एवं युजवेंद्र चहल की जोड़ी पूरी कर देती है. दोनों खिलाडिय़ों ने दुनिया भर में अपनी स्पिन गेंदबाजी का कहर बरपाते हुए बल्लेबाजों को पिच पर नाचने को मजबूर कर दिया है. दोनों ने भारत की दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड में सीरीज जीत में अहम भूमिका अदा की. आज दुनिया भर के बल्लेबाज इस जोड़ी के सामने आने से घबराते हैं. इंग्लैंड में जिस समय में विश्वकप का आयोजन हो रहा है, गर्मी अपने चरम पर होगी. ऐसे में पिच से तेज गेंदबाजों से ज्यादा मदद स्पिनर्स को मिलेगी. सपाट विकेटों पर जिसका फायदा भारत के ये दो कलाई के स्पिनर्स उठा सकते हैं. इस जोड़ी के अलावा टीम के पास धोनी द्वारा खोजे गए गेंदबाजी के ब्रह्मास्त्र केदार जाधव हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में ‘जोड़ी ब्रेकर’ की भूमिका निभाते हैं. जब-जब गेंदबाजी आक्रमण हिचकोले खाता है, केदार बीच में अहम विकेट चटका कर वापस उसे पटरी पर ले आते हैं. हार्दिक पंड्या ऑल राउंडर के रूप में टीम की गेंदबाजी को संतुलित करते हैं.
बल्लेबाजी अब भी सबसे बड़ी ताकत
भारत ने विश्व क्रिकेट को कई बड़े बल्लेबाज दिए हैं. बड़े बल्लेबाज पैदा करने की भारतीय परंपरा अब भी जारी है. विराट के साथ-साथ रोहित शर्मा एवं शिखर धवन यह परंपरा आगे लेकर चल रहे हैं. हिटमैन के नाम से दुनिया भर में विख्यात रोहित शर्मा को एक दिवसीय क्रिकेट के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार किया जाता है. उनके नाम वनडे में तीन दोहरे शतक दर्ज हैं. वहीं गब्बर शिखर का बल्ला भी इंग्लैंड में जमकर आग उगलता है. साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की थी. इसके बाद 2017 में इंग्लैंड में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी में उनके बल्ले ने आग उगली थी. ऐसे में, वह विश्वकप में भी टीम इंडिया की सबसे बड़ी ताकत होंगे. पिछले दो सालों में भारतीय टीम की जीत में सबसे अहम भूमिका रोहित शर्मा, शिखर धवन एवं विराट कोहली ने निभाई है. जब-जब ये तीनों बल्लेबाज असफल हुए, भारतीय टीम को अधिकांश मौकों पर हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसे में, विश्वकप के दौरान इन तीन बल्लेबाजों की अहम भूमिका होगी.
नहीं सुलझी नंबर चार की पहेली
नंबर चार पर बल्लेबाजी कौन करे, यह सवाल टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है. तकरीबन एक दर्जन खिलाडिय़ों को आजमाए जाने के बाद अंबाती रायुडु इस पोजीशन के लिए सबसे बड़े उम्मीदवार बनकर उभरे और टीम मैनेजमेंट ने विश्वकप के लिए इस पोजीशन पर उनके नाम पर मुहर लगा दी है. उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के पांचवें मैच में 18 रनों पर चार विकेट गंवाने के बाद टीम को उबारा. उनका वह प्रदर्शन काबिल-ए-तारीफ था. रायुडु ने 90 रनों की पारी खेलकर एक तरह से विश्वकप की टीम में चौथे नंबर पर अपनी जगह पक्की कर ली है. हालांकि, टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री ने विराट के नंबर चार पर बल्लेबाजी कर सकने की संभावनाओं को हवा दे दी है. ऐसे में, विश्वकप से पहले दिया गया यह बयान टीम के अंदर की हलचल को बयां करता है, क्योंकि कोई भी खिलाड़ी लगातार इस पोजीशन पर अच्छा प्रदर्शन करने में सफल नहीं हुआ है. यह टीम इंडिया के विश्वकप जीतने की दिशा में एक बड़ी कमजोरी है. टॉप ऑर्डर के असफल रहने की स्थिति में नंबर चार का बल्लेबाज अपना विकेट नहीं बचा पाया और भारतीय टीम परेशानी में आ गई. ऐसा ही चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हुआ था और न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के चौथे वनडे में भी, जहां भारतीय टीम महज 92 रनों पर ढेर हो गई.
मिलेगा धोनी के अनुभव का फायदा
भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ा हथियार 2011 में उसे विश्वकप जिताने वाले महेंद्र सिंह धोनी साबित होंगे. धोनी जैसे अनुभवी एवं चालाक दिमाग वाले खिलाड़ी की उपस्थिति विराट कोहली के लिए काम आसान कर देती है. धोनी जब कभी विराट को कप्तानी करते हुए परेशानी में देखते हैं, तो खुद मोर्चा संभाल लेते हैं. ऐसे में, रणनीति के साथ-साथ उनकी मैच फिनिश करने की क्षमता टीम इंडिया के लिए एक बार फिर बड़ी ताकत साबित होगी. धोनी ने साल 2018 में बल्लेबाजी में संघर्ष किया, लेकिन उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में फॉर्म में लौटकर लगातार तीन अद्र्धशतक जड़े और भारत की जीत में अहम भूमिका अदा की. इस प्रदर्शन के लिए उन्हें ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुना गया. साथ ही उनके आलोचकों के मुंह भी बंद हो गए. संभवत: यह विश्वकप धोनी के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर की आखिरी सीरीज होगा. और, वह अपनी छाप छोड़े बगैर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा नहीं कहना चाहेंगे. ऐसे में विश्वकप में धोनी से करिश्माई प्रदर्शन की आशा की जा सकती है.
सेमी फाइनल में आसानी से पहुंचेगी विराट सेना
12वें एक दिवसीय विश्वकप में राउंड रॉबिन के आधार पर मुकाबले खेले जाएंगे. टूर्नामेंट में भाग ले रहीं 10 टीमों को सभी से एक-एक बार भिडऩा है. ऐसे में सभी को 9-9 मैच खेलने होंगे. किसी भी स्थिति में भारतीय टीम उतार-चढ़ाव के साथ टॉप फोर में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहेगी. उसे इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड एवं दक्षिण अफ्रीका से कड़ी चुनौती मिल सकती है. वहीं वेस्टइंडीज, श्रीलंका, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबलों में वह आसानी से जीत दर्ज कर लेगी. ऐसे में, उसके लिए सेमी फाइनल में पहुंचना मुश्किल नहीं होगा. नॉकआउट दौर से पहले टीम अपनी कमजोरियों को दूर कर चुकी होगी और नॉक आउट में बेस्ट टीम के साथ उतरेगी. ऐसे में, यदि टीम इंडिया विश्वकप अपने नाम कर ले, तो किसी को इसमें हैरानी नहीं होगी.
विश्वकप की टीम है तैयार
टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री ने न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में भारत की 4-1 से जीत के बाद कहा कि एक-दो स्थान को लेकर टीम में संशय की स्थिति अब भी बनी हुई है, लेकिन एक तरह से कहा जाए, तो टीम पूरी तरह तय हो गई है. आप बस एक चीज चाहते हैं कि खिलाड़ी अपना फॉर्म न खोएं, वह भी तब, जब विश्वकप से पहले केवल पांच मैच बचे हों. आपको जो मौके मिलें, उनमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें.
टीम इंडिया का विश्वकप कार्यक्रम
भारतीय टीम विश्वकप में अपने अभियान का आगाज 5 जून को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ साउथैम्पटन में करेगी. इससे पहले वह 25 मई को न्यूजीलैंड के खिलाफ और 28 मई को बांग्लादेश के खिलाफ अभ्यास मैच खेलेगी.
दिनांक बनाम वेन्यू
05 जून 2019 दक्षिण अफ्रीका साउथैम्पटन
09 जून 2019 ऑस्ट्रेलिया लंदन ओवल
13 जून 2019 न्यूजीलैंड नॉटिंघम
16 जून 2019 पाकिस्तान मैनचेस्टर
22 जून 2019 अफगानिस्तान साउथैम्पटन
27 जून 2019 वेस्टइंडीज मैनचेस्टर
30 जून 2019 इंग्लैंड बर्मिंघम
02 जुलाई 2019 बांग्लादेश बर्मिंघम
06 जुलाई 2019 श्रीलंका लीड्स
संभावित टीम इंडिया
शिखर धवन, रोहित शर्मा, विराट कोहली, अंबाती रायुडु, एमएस धोनी, केदार जाधव, हार्दिक पंड्या, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, दिनेश कार्तिक, भुवनेश्वर कुमार, विजय शंकर, रविंद्र जडेजा, रिषभ पंत.