चुनाव निकट आते ही नक्सली संगठनों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं. बंदूक की नली से सत्ता की राह निकलने की बात करने वाले नक्सली हर बार चुनाव को रक्तरंजित करने का प्रयास करते हैं. लोकतंत्र के महापर्व में नक्सली संगठनों द्वारा अपने प्रभाव क्षेत्रों में मतदान बहिष्कार का आह्वान किया जाता है. बात न मानने वाले लोगों के साथ नक्सली संगठन मारपीट से लेकर हत्या तक कर डालते हैं. मगध पिछले चार दशकों से नक्सलियों का मजबूत आधार क्षेत्र रहा है. इस दौरान नक्सलियों द्वारा सामूहिक नरसंहार के अलावा सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें दो पूर्व सांसद समेत कई जनप्रतिनिधि शामिल थे. नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को भी निशाना बनाया. 2019 के लोकसभा चुनाव निकट देख एक बार फिर नक्सली संगठन सक्रिय होकर वोट बहिष्कार और लेवी वसूली के बहाने लोगों को डराने-धमकाने का काम कर रहे हैं.
झारखंड की सीमा से लगे मगध के पांच जिले गया, जहानाबाद, नवादा, अरवल एवं औरंगाबाद नक्सली संगठनों की मजबूत आधार रही है. इन पांच जिलों में चार लोकसभा क्षेत्र हैं. पिछले चार दशकों से इन जिलों में नक्सली गतिविधियां उफान पर रही हैं. 1991 के लोकसभा चुनाव में गया सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र के तत्कालीन सांसद एवं भाजपा प्रत्याशी ईश्वर चौधरी की हत्या के बाद से ही मगध में राजनेताओं एवं जनप्रतिनिधियों पर नक्सली हमलों का दौर शुरू हो गया. ईश्वर चौधरी मगध के लोकप्रिय जनप्रतिनिधियों में से एक थे. उन्हें चुनाव में हराना मुश्किल माना जाता था. चुनाव प्रचार के दौरान गया जिले के कोंच थाना अंर्तगत कैथी गांव में नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी. इसके कुछ साल बाद गया जिले के डोभी प्रखंड की बजौरा पंचायत के मुखिया राजेंद्र पासवान की हत्या भी नक्सलियों ने चुनावी रंजिश में की थी. 2005 के विधानसभा चुनाव में गया जिले के इमामगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे पूर्व सांसद एवं लोजपा प्रत्याशी राजेश कुमार की हत्या कर दी गई. राजेश डुमरिया से चुनाव प्रचार करके लौट रहे थे, तभी घात लगाए बैठे नक्सलियों ने मैगरा के निकट उन्हें एवं उनके चार समर्थकों को गोलियों से भून डाला. हत्या का आरोप इमामगंज के जदयू प्रत्याशी एवं बिहार विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पर लगा था, लेकिन राजनीतिक उलट-पुलट में राजेश एवं उनके समर्थकों की हत्या का मामला उलझ कर रह गया. इस लोकसभा चुनाव में भी नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्रों में मतदान बहिष्कार का आह्वान कर चुके हैं.
बहिष्कार का फरमान न मानने वाले आम लोगों एवं नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान भी नक्सली संगठनों ने किया है. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार-झारखंड के कई नेता नक्सलियों के निशाने पर हैं. इस बात का खुलासा नक्सलियों के ठिकानों से मिले कागजातों से हुआ, जिनमें कई नेताओं के नाम कोड वर्ड में लिखे थे. झारखंड के एक पूर्व मुख्यमंत्री, कई सांसदों, मंत्रियों एवं विधायकों समेत एक दर्जन नेताओं के लिए बाबू, यूडी, लाल, नूरे और प्रेम कोड वर्ड दिए गए. झारखंड के एक पूर्व मुख्यमंत्री के भाई के लिए नक्सलियों ने नूनू कोड वर्ड तय किया. विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान पर भी नक्सलियों की नजर है. कुछ माह पूर्व नक्सलियों ने औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, नवादा एवं गया में भाजपा और जदयू के कई नेताओं के खिलाफ पोस्टर लगाए थे. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नक्सली संगठन चुनाव के दौरान भाजपा, जदयू एवं कांग्रेस के प्रचार वाहनों पर हमले की योजना बना रहे हैं. मगध में नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए हैं.