भाजपा के लिए नाक का सवाल बना अररिया

ashok

साल 2014 में इस इलाके की सभी सीटों पर भाजपा उम्मीदवार मैदान में थे. 2009 के लोकसभा चुनाव तक, जब भाजपा एवं जदयू के बीच गठबंधन था, तब भी भाजपा सीमांचल की चारों सीटों पर जरूर लड़ती थी. लेकिन, 2014 में मोदी लहर के बावजूद वह क्षेत्र की सभी सीटों पर चुनाव हार गई. इसलिए इस बार भाजपा ने अपने पास केवल अररिया सीट रखकर शेष सभी सात सीटें जदयू के हवाले कर दीं.

अररिया लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. सीमांचल, पूर्वांचल एवं कोसी की आठ लोकसभा सीटों में से केवल अररिया में ही भाजपा ने अपना उम्मीदवार उतारा है. इलाके की शेष सात सीटें उसने अपने सहयोगी जदयू को सौंप दी हैं. ऐसी स्थिति में इलाके में अपना वजूद बरकरार रखने के लिए भाजपा अररिया सीट किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय जनता दल से छीनना चाहती है. गौरतलब है कि सीमांचल और पूर्वांचल कभी भाजपा का गढ़ हुआ करता था. सीमांचल की चार सीटों कटिहार, पूर्णिया, अररिया एवं किशनगंज में भाजपा का दबदबा था. मुस्लिम बहुल किशनगंज में भी भाजपा बराबर मुकाबले में रही है. पूर्वांचल की दो सीटों भागलपुर एवं बांका में जदयू के उम्मीदवार हैं. कोसी की दो सीटों सुपौल एवं मधेपुरा पर भी जदयू लड़ रहा है.

साल 2014 में इस इलाके की सभी सीटों पर भाजपा उम्मीदवार मैदान में थे. 2009 के लोकसभा चुनाव तक, जब भाजपा एवं जदयू के बीच गठबंधन था, तब भी भाजपा सीमांचल की चारों सीटों पर जरूर लड़ती थी. लेकिन, 2014 में मोदी लहर के बावजूद वह क्षेत्र की सभी सीटों पर चुनाव हार गई. इसलिए इस बार भाजपा ने अपने पास केवल अररिया सीट रखकर शेष सभी सात सीटें जदयू के हवाले कर दीं. पार्टी नेतृत्व के इस कदम से क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है. कटिहार में तो भाजपा के कद्दावर नेता एवं विधान पार्षद अशोक अग्रवाल बगावत करके बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में आ गए थे, लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया. पूर्णिया में भाजपा के सांसद रहे उदय सिंह उर्फ पप्पू ने पाला बदल लिया है और अब वह बतौर कांग्रेस उम्मीदवार जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा को कड़ी चुनौती दे रहे हैं. भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं में इस बार उत्साह का अभाव दिख रहा है. वहीं सुपौल एवं मधेपुरा में भाजपा कार्यकर्ता ‘तीर’ लेकर घूम रहे हैं.

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी अररिया सीट पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. बीते ४ अप्रैल को भाजपा उम्मीदवार प्रदीप सिंह का नामांकन कराने सुशील मोदी खुद अररिया पहुंचे. इस मौके पर सीमांचल एवं कोसी के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में मौजूद थे. भाजपा को उम्मीद है कि इस बार वह अपनी रणनीति में कामयाब रहेगी और राजद उम्मीदवार सरफराज आलम को मात दे सकेगी. मालूम हो कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया से भाजपा उम्मीदवार प्रदीप सिंह सीमांचल के चर्चित मुस्लिम नेता तस्लीमुद्दीन से हार गए थे. उस समय प्रदीप सिंह को 2,61,474 वोट मिले थे, जबकि राजद के तस्लीमुद्दीन को 4,07,998 वोट. 2014 में जदयू भाजपा से अलग था और उसके उम्मीदवार विजय कुमार मंडल को भी 2,21,769 वोट मिले थे. तस्लीमुद्दीन के निधन से रिक्त हुई इस सीट पर 2018 में उपचुनाव हुआ, जिसमें राजद ने उनके पुत्र सरफराज आलम को अपना उम्मीदवार बनाया. प्रदीप सिंह बतौर भाजपा-जदयू उम्मीदवार मैदान में थे. लेकिन, वोटों का गणित एक बार फिर भाजपा को धोखा दे गया. राजद उम्मीदवार सरफराज ने प्रदीप सिंह को मात दी. प्रदीप को 4,47,340 वोट मिले, जबकि राजद उम्मीदवार सरफराज आलम ने 5,09,334 वोट हासिल कर 61,988 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की.

2 thoughts on “भाजपा के लिए नाक का सवाल बना अररिया

  1. Thank you for your sharing. I am worried that I lack creative ideas. It is your article that makes me full of hope. Thank you. But, I have a question, can you help me?

  2. My brother recommended I would possibly like this blog. He was once entirely right. This post truly made my day. You can not consider simply how a lot time I had spent for this information! Thanks!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *