इस बार लोकसभा चुनाव में बड़े-बड़े नेताओं को मुंह की खानी पड़ी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी से चुनाव हार गए. इस चुनाव में जिन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, उनमें अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा का नाम सबसे ऊपर माना जा सकता है. सालों तक भाजपा में रहने वाले बिहारी बाबू ने पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन चुनाव के कुछ समय बाद से ही उन्होंने बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे. वह लगातार मोदी सरकार पर हमला करते रहे, लेकिन भाजपा ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. भाजपा को समय का इंतजार था और जब चुनाव की घोषणा हुई, तो मोदी-शाह की जोड़ी ने शत्रुघ्न सिन्हा से बदला ले लिया और उन्हें पटना साहिब से टिकट नहीं दिया गया. टिकट न मिलने से बौखलाए शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी पुरानी पार्टी का साथ छोड़ दिया और कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन चुनाव परिणाम उनकी अपेक्षाओं के विपरीत रहा. भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने शत्रुघ्न सिन्हा को करीब तीन लाख वोटों हरा दिया. इस तरह सबको खामोश कराने वाले शत्रुघ्न सिन्हा इस बार खुद खामोश हो गए.
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