ओडिशा
ओडिशा में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी कराए गए. ऐसे में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए अपनी कुर्सी बचाए रखने के साथ ही लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना भी एक बड़ी चुनौती थी. पूरे देश में मोदी लहर के बावजूद नवीन पटनायक ने ओडिशा में जिस तरह जीत दर्ज की, उसे उनकी रणनीतिक सफलता कही जा सकती है.
भाजपा को ओडिशा से बहुत अधिक उम्मीदें थीं, लेकिन उसे 21 में से केवल 08 सीटें ही मिल पाईं. नवीन पटनायक अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा नहीं पाए, लेकिन मोदी की सुनामी में अकेले दम पर 21 में से 12 सीटें जीत लेना बहुत बड़ी बात है. बीजू जनता दल को 42.8 प्रतिशत वोट मिले. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी को भी 38.4 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन उसे वोटों के मुताबिक सीटें नहीं मिल पाईं. कांग्रेस भी ओडिशा में एक सीट जीतने में सफल रही और उसने 13.8 प्रतिशत वोट हासिल किए. पिछली बार कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि भाजपा ने केवल एक सीट पर जीत दर्ज की थी. इस बार भाजपा यहां की 15 सीटों पर जीत हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही थी.
नवीन पटनायक की कुशल रणनीति के सामने भाजपा का मोदी ब्रांड काम नहीं आया. राज्य की 146 विधानसभा सीटों में से 112 पर बीजद ने जीत दर्ज की और नवीन पटनायक ने अपनी कुर्सी फिर से बचा ली. विधानसभा चुनाव में बीजद ने 44.7 प्रतिशत वोट हासिल किए और भाजपा को 32 प्रतिशत वोट मिले. इस चुनाव में भाजपा को केवल 23 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 9 सीटों से संतोष करना पड़ा. विधानसभा चुनाव में सीपीएम को भी एक सीट मिली है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई.