निशा शर्मा । पाकिस्तान के सांस्कृतिक शहर लाहौर के पास एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। जहां एक मां ने अपनी बेटी को जिंदा जला दिया। इसकी वजह सिर्फ यह थी कि बेटी ने परिवार के खिलाफ जाकर शादी कर ली थी। मां परवीन ने अपने बेटे के साथ मिलकर अपनी बेटी को पहले चारपाई से बांधा फिर उस पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। इसके बाद परवीन घर के बाहर आकर जोर जोर से रोने और चिल्लाने लगी साथ ही कहने लगी कि ‘मैंने अपनी बेटी को मार डाला। उसने परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी थी’
दरअसल,, सम्मान के लिए मारी गई 17 साल की जीनत रफ़ीक ने हुसैन नाम के शख्स से कुछ दिन पहले शादी की थी। जिसके बाद से जीनत का परिवार उससे खफा चल रहा था। परिवार की नाराजगी थी कि उनकी बेटी ने पाश्तून से शादी कर ली थी क्योंकि जीनत पंजाबी थी।
जीनत के पति रफ़ीक हुसैन के मुताबिक कुछ दिन पहले जीनत के परिवार वाले जीनत को यह कहकर लेने आए थे कि लोग उनसे उनकी बेटी के बारे में पूछ रहे हैं। अगर बेटी कुछ दिन के लिए घर आ जाए तो उसके बाद वह खुद दोनों का निकाह कर देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ जीनत के परिवार ने उसे मार डाला
रफीक आगे बताते हैं कि ‘जीनत घर वापस नहीं जाना चाहती थी। लेकिन जब उसके एक अंकल ने उसे सुरक्षा का आश्वासन दिया तो वह घर चली गई। ‘जीनत ने हुसैन को इस बीच कहा भी कि उसके घर वाले उसे जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं लेकिन हुसैन ने जीनत को आठ दिन रहने की बात कहकर रोक दिया।
पुलिस ने जीनत की मां परवीन को हिरासत में ले लिया है। और जीनत के भाई की तलाश कर रही है।
बेटी के जिंदा जलाने की इस घटना ने एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री शाहबाद शरीफ का ध्यान अपनी ओर खींचा। दरअसल,, फरवरी में शाहबाद के भाई प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ ने ऐलान किया था कि वह जल्द ही पाकिस्तानी कानून के उस छेद को बंद करने के लिए काम करेंगे जिसके तहत इन मामलों में हत्या करने वाला सजा से बच जाता है।
वास्तव में पाकिस्तान का कानून इसकी इजाजत देता है कि पीड़ित के रिश्तेदार हत्यारे को ब्लड मनी के बदले उसे “माफ” कर दे। इसका मतलब यह है कि अगर रिश्तेदार ने ही हत्या कराई है तो केस चलने से बचा जा सकता है। पाकिस्तान में आमतौर पर शादियां परिवार ही तय करता है और शादियां अक्सर चचेरे, मौसेरे या फुफेरे भाई बहन के बीच होती है।
जानकारों का मानना है कि यहां कईं घटनाओं का तो पता भी नहीं चलता लेकिन जीनत की मौत पिछले कुछ महीनों में तीसरी मौत है। जिसे परिवार के सम्मान के लिए मौत के घाट उतारा गया है।
पिछले हफ्ते इसलामाबाद के मुर्री के पास के गांव में एक मामला सामने आया था जिसमें मारिया बीबी नाम की एक स्कूल टीचर को इसलिए आग के हवाले कर दिया गया क्योंकि उन्होंने अपनी उम्र के दोगुने व्यक्ति से शादी करने से इनकार कर दिया था। अपनी मृत्यु से पहले मारिया बीबी ने पुलिस को बयान दे कर बताया था कि पांच हमलावरों ने उनके घर में घुसकर उन्हें बाहर निकाल लिया और एक खुलेआम उन्हें पीटा और आग के हवाले कर दिया।
अप्रैल में एक घटना में तो अम्बरीन रियासत नाम की सौलह साल की लड़की को कुछ लोगों ने जला दिया था। घटना तब शुरू हुई जब गांव के लोगों को पड़ोस के मकोल गांव की एक लड़की के वहां से भाग जाने का पता चला, तो वे लड़की को तो वापस नहीं ला पाए लेकिन यह जरूर पता कर लिया कि उन्हीं के गांव की एक लड़की ने उसकी भागने में मदद की थी।
भारत की पंचायत की तरह पाकिस्तान में जिरगा होता है, जो गांवों में फैसले लेता है। हालांकि इन फैसलों को किसी भी रूप में कानूनी मान्यता नहीं है। लेकिन गांव के बड़े बुजुर्गों का इसमें होना, फैसला सुनाने और उसे अमल में लाने के लिए काफी होता है। जिरगा इस नतीजे पर पहुंचा कि गांव की किसी लड़की का वहां से भाग जाना, पूरे गांव की इज्जत को मिट्टी में मिलाने जैसा है और जिसने भी ऐसा करने में मदद की है, उसे सजा दी जानी चाहिए। ऐसे में एक 16 साल की लड़की को जिम्मेदार बताया गया। उसे गांव से बाहर ले जा कर नशीली दवा का इंजेक्शन दिया गया। बेहोश करने के बाद उसका गला घोंटा गया और फिर हाथ बांध कर गांव के ही एक व्यक्ति की वैन में बिठा कर, पेट्रोल छिड़क कर उसे आग लगा दी गयी। पुलिस के मुताबिक इसी वैन में लड़की गांव से भागी थी। यही वजह है कि वैन को भी आग लगाने का फैसला सुनाया गया।
पाकिस्तान में औरतों के हक में काम करने वाली संस्था ‘औरत’ के मुताबिक हर साल पाकिस्तान में करीब 1000 लड़कियां सम्मान के नाम पर मारी जाती हैं। जिसमें घटनाओं को अंजाम उनके घर वाले ही देते हैं।