सुप्रीम कोर्ट ने अरुणांचल प्रदेश के राज्यपाल की ओर से दिए गए सभी फ़ैसलों को खारिज कर दिया है। अदालत ने अरुणाचल प्रदेश में 15 दिसंबर 2015 की स्थिति को बहाल करते हुए राष्ट्रपति शासन रद्द कर दिया। 26 जनवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था। इसी मसले पर ओपिनियन पोस्ट संवावदाता निशा शर्मा ने बात की अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष पादी रिको से । साथ ही अरुणाचल प्रदेश की उठापटक की राजनीति के बारे में भी जानने की कोशिश की।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आपकी पार्टी के हक में आया है। फैसले को किस तरह से देखते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने न्याय किया है। यह लोगों की जीत है, देश की जीत है, लोकतंत्र की जीत है, तभी तो पार्टी की जीत है। बीजेपी ने जो नौ दिसंबर 2015 के नोटिफिकेश दिया था सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया है। कांग्रेस कोर्ट के फैसले से खुश है।
फैसले के बाद बीजेपी को क्या नसीहत देना चाहेंगे?
बस इतना कहना चाहूंगा कि बीजेपी का डाउन फॉल शुरु हो गया है। अरुणांचल प्रदेश में बीजेपी ने लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश की। लोगों ने और कोर्ट ने बीजेपी के इस मंसूबे को सिरे से खारिज कर दिया। राज्य की जनता लोकतंत्र चाहती है ना कि अलोकतांत्रिक तरीका ।
लोगों में फैसले के बाद कैसा उत्साह है?
लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं। अरुणाचल के लोग जानते हैं कि बीजेपी ने झूठे वादे करके उन्हें बहलाया-फुसलाया है और काम के नाम पर कुछ नहीं किया। लोग बीजेपी की हकीकत जान चुके हैं।
क्या आपको लगता है उत्तराखंड के बाद अरुणांचल में भी कांग्रेस को बने रहने के लिए संजीवनी मिली है ?
कांग्रेस वापिस आएगी और आई है। लोगों का बीजेपी से भ्रम टूट रहा है। अब तो बीजेपी को मतदान में भी 10 प्रतिशत वोट मिल जाएं तो भी काफी होगा उसके लिए। देखिए बीजेपी ने उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगवाया जहां एक मक्खी भी नहीं मरी थी। विपक्ष ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार में दखलंदाजी की ।आपको याद होगा उसी समय हरियाणा में बहुत लोग मारे गए, बहुत जख्मी भी हुए। हरियाणा में करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ लेकिन वहां बीजेपी सरकार ने कुछ नहीं किया मामला ऐसे ही रफा-दफा कर दिया। बीजेपी ने वहां राष्ट्रपति शासन लागू करने की जगह अरुणांचल प्रदेश में गंदी राजनीति का खेल खेला और परिणाम यह रहा कि बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी।