युवाओं को आकर्षित करती है गूगल की यह प्रतियोगिता  

वाशिंगटन। गूगल कंपनी सर्च इंजन के लिए ही नहीं, अपने कर्मचारियों का विशेष ध्‍यान रखने के लिए भी मशहूर है। कर्मचारी की मौत के बाद भी उनके आश्रितों को कंपनी पेंशन देती है। यह कंपनी प्रतिभावान युवाओं को अच्छे भत्तों के जरिये अपनी ओर आकर्षित करती है। इस समय दो भारतीय और चार भारतीय मूल के किशोर छठे सालाना ‘गूगल साइंस फेयर 2016’ के वैश्विक अंतिम दौर में पहुंचने वाले 16 प्रतिभागियों में शामिल हैं, जो 50 हजार अमेरिकी डॉलर की छात्रवृत्ति के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। हैदराबाद के वासवानी इंटरनेशनल स्कूल की 15 वर्षीय फातिमा ने ऐसी नियंत्रण प्रणाली विकसित की है जो मुख्य जलाशय के द्वार और खेती के लिए पानी आपूर्ति करने वाली नहरों के संचालन को नियंत्रित कर स्वचालित जल प्रधंबन प्रणाली मुहैया कराएगी।

बेंगलुरू में इंदिरा नगर के नेशनल पब्लिक स्कूल में 10वीं के 15 वर्षीय श्रीआंक ने ‘कीपटेब’ नाम का ऐसा पहना जाने वाला उपकरण विकसित किया है जो किसी व्यक्ति की रोजमर्रा की गतिविधियों को याद रखेगा। वह 2012 में हुई फर्स्ट लीगो लीग वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी अंतिम दौर में पहुंचा था। गूगल साइंस फेयर के वैश्विक अंतिम दौर में जगह बनाने वालों में भारतीय मूल की अमेरिकी अनिका चिरला (14) अनुष्का नाइकनवारे (13) निखिल गोपाल (15) और निशिता बेलूर (13) हैं।

न्यूजर्सी में रहने वाले भारतीय मूल के 15 वर्षीय गोपाल को उनकी परियोजना ‘प्वाइंट आॅफ केयर टेस्टिंग फॉर मलेरिया यूजिंग ए स्मार्टफोन एंड माइक्रोफ्लूइडिक ईएलआईएसए’ के लिए अंतिम दौर के लिए चुना गया है। क्षेत्रीय स्तर के अंतिम दौर में कई भारतीय हैं – शोभिता सुंदरम, अस्वथ सूर्यनारायण, सीरत कौर, सिद्धार्थ पुल्लाभालटा, श्रेयस कपूर, शिवम सिंह, आयुष पांडा, तेजित पबारी और तनमय वढेरा। गूगल साइंस फेयर वैश्विक ऑनलाइन विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रतियोगिता है, जिसमें 13 से 18 वर्ष के किशोर व्यक्तिगत तौर पर या टीम के स्तर पर भाग ले सकते हैं।

गूगल की इन गतिविधियों से जहां कंपनी की प्रतिष्‍ठा बढ़ती है, वहीं युवाओं को भी प्रोत्‍साहित होने का मौका मिलता है। इसे कंपनी की दूरदर्शिता ही कहा जाएगा कि वह अपने जनहित के कार्यों से दुनियाभर में लोकप्रियता अर्जित कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *