हांगझाउ। जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने गए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि अमेरिकी और चीनी अधिकारियों के बीच मीडिया के प्रवेश को लेकर हुई कहासुनी ने मानवाधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे पर हमारे नजरिये में अंतर को उजागर किया है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ओबामा ने कहा, “मैंने शी जिनपिंग से बातचीत में साफ कहा कि अमेरिका खुद पर कंट्रोल करके ही एक पावर बना है। हम इंटरनेशनल नॉर्म्स और कानूनों से बंधे हैं। हमने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका उसी स्थिति में चीन का पार्टनर रहेगा, जब वह इंटरनेशनल रूल्स के अंदर रहकर काम करे।”
उधर, चीन के बारे में पोस्ट किए गए अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी के एक ट्वीट की वजह से जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रोटोकॉल पर विवाद छिड़ गया है। अमेरिका में सुरक्षा के मामलों में सरकार को सलाह देने वाली डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) ने व्यंगात्मक अंदाज में ट्वीट किया, “हमेशा से चीन की तरह ऊंचे दर्जे का”, जिसमें उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर को लिंक किया। इस ट्वीट को जल्द ही डिलीट कर दिया गया। उसके बाद सुरक्षा एजेंसी ने सफाई दी, “यह ट्वीट डीआईए का नजरिया नहीं है। हमें इसके लिए खेद है।” डीआईए ने कहा, “एक खबर के बारे में आज गलती से एक ट्वीट इस अकाउंट से पोस्ट किया गया है।”
मामला कुछ ऐसा है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति जी-20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन के हांगजो हवाई अड्डे पर पहुंचे तो उनके लिए न रेड कार्पेट बिछाया गया था, न ही उनके उतरने के लिए स्वचालित सीढ़ियां थीं। और तो और, उन्हें विमान के दूसरे दरवाजे से उतरना पड़ा। जब व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने चीनी सुरक्षा अधिकारियों से बात की और उन्हें बताया कि यह प्रोटोकॉल का उल्लघंन है, तो अधिकारी ने उन्हें कहा, “ये हमारा देश है।”
जी-20 सम्मेलन में भाग लेने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब चीन पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत हुआ। हवाई जहाज से उतरते समय उनके सम्मान में रेड कार्पेट बिछाया गया था। अमेरिकी पत्रकारों को उम्मीद थी कि ओबामा के आगमन पर उन्हें भी ऐसा ही सम्मान मिलेगा। लेकिन, जब ऐसा नहीं हुआ तो अमेरिकी पत्रकार नाराज हो गए। ओबामा ने वहां मौजूद पत्रकारों से मामले को तूल न देने के लिए कहा। ओबामा के साथ सम्मेलन में गए पत्रकारों ने कहा कि जब राष्ट्रपति विमान से उतर रहे थे तब चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें राष्ट्रपति को देखने से रोका। ऐसा अधिकतर अत्यधिक सुरक्षा वाले स्थानों जैसे अफगानिस्तान में किया जाता है।