पटना। बिहार में शराबबंदी कानून पर उठ रहे सवाल आखिरकार अदालत तक पहुंच गए, जहां शराब पीने वालों और इस कानून की वजह से मुसीबत में पड़ने वालों को राहत मिल गई है। पटना हाई कोर्ट के इस फैसले से पूर्ण शराबबंदी को लेकर जोरशोर से अभियान चला रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झटका लगा है। पटना हाईकोर्ट ने राज्य में लागू शराबबंदी कानून को रद्द कर दिया है। राज्य में शराबबंदी के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने इस कानून के कई प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी, जिसमें शराब मिलने पर पूरे परिवार को जेल भेजने जैसे कानून शामिल थे। बेहद सख्त माने जा रहे बिहार उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2016 में शराब (जहरीली) पीने से हुई मौत के मामले में फांसी का प्रावधान किया था।
पिछले महीने बिहार के गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी। तब राज्य में लागू इस सख्त मद्यनिषेध कानून की कई ओर से आलोचना हुई थी और विपक्ष का कहना था कि इस कानून की वजह से शराब के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला है।
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने इस कानून के खिलाफ दायर याचिका पर इस साल मई में हुई सुनवाई में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार शराबबंदी को लागू कराने के लिए स्टंटबाजी बंद करे।
राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने जवाब में कहा था कि सरकार पूर्ण शराबबंदी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए उसको जनमत भी मिला है। बिहार में इस साल 1 अप्रैल से ही शराबबंदी लागू है। नीतीश कुमार ने चुनाव के दौरान राज्य में शराबबंदी लागू करने का वादा किया था।