पेइचिंग। भारत में चीन के सामान का उपयोग न करने की अपील का असर दिखने लगा है। सोशल मीडिया पर की जा रही चीनी सामान के बहिष्कार की अपील पर चीन के सरकारी मीडिया ने सख्त प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि भारत के प्रॉडक्ट किसी भी मामले में चीनी प्रॉडक्ट्स का मुकाबला नहीं कर सकते।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आलेख के मुताबिक भारत केवल ‘भौंक’ सकता है और दोनों देशों के बढ़ते व्यापार घाटे पर कुछ नहीं कर सकता। चीन ने पाकिस्तान के आतंकवादियों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने के भारत के प्रयासों का विरोध किया है।
चीन के इस विरोध से भारत के लोग खासे नाराज हुए जिसके बाद सोशल मीडिया पर चीनी सामान के बहिष्कार की अपील की जाने लगी। इस लेख में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री का ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट पूरी तरह अव्यावहारिक है। अखबार ने चीनी कंपनियों को चेताया है कि भारत में उनका निवेश आत्महत्या करने जैसा होगा। बेहतर होगा कि ऐसे देश में पैसा न लगाएं जहां के लोग भ्रष्ट हैं और कर्मचारी मेहनती नहीं हैं।
आलेख में लिखा गया है, ‘भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया में चीनी सामान के बॉयकॉट के बारे में काफी बातें की गई हैं लेकिन यह केवल लोगों की भावनाओं को भड़काने वाला कदम है। वास्तव में, कई कारणों से भारतीय सामान चीनी सामानों का किसी भी तरह से मुकाबला ही नहीं कर सकते। सबसे बुरी बात तो यह है कि भारत में ऊपर से लेकर नीचे तक हर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है।’ इसमें कहा गया है कि भारत को अभी भी सड़कें और हाइवे बनाने हैं और यहां बिजली व पानी की भारी कमी है।
अखबार ने भारत और अमेरिका की बढ़ती घनिष्टता पर भी तंज कसा है, ‘अमेरिका किसी का दोस्त नहीं है। अमेरिका सिर्फ चीन को साधने के लिए भारत का इस्तेमाल कर रहा है क्योंकि अमेरिका चीन की तरक्की और उसके ग्लोबल पावर बनने से चिढ़ता है।’
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ‘भारत के पास काफी पैसा है लेकिन यह कुछ नेताओं, अधिकारियों और कुछ पूजीवादियों के पास इकट्ठा हो गया है। यह सभी लोग देश में उपलब्ध धन को खर्च नहीं करना चाहते जो वास्तव में भारत के लोगों का ही है। भारत के ये एलीट लोग देश के बजाय खुद के लिए इस धन को खर्च कर रहे हैं और पीएम मोदी की अव्यावहारिक ‘मेक इन इंडिया’ जैसी स्कीम से यह उम्मीद कर रहे हैं कि विदेशी कंपनियां आकर वहां निवेश करें।’
अखबार ने चीनी कंपनियों को नसीहत देते हुए कहा है कि चीन की कंपनियों को भारत में दुकान खोलने के बजाय चीन में अपनी उत्पादन इकाइयां लगानी चाहिए। स्मार्टफोन बनाने वाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी वावे ने पिछले महीने ही भारत में अपनी उत्पादन इकाई लगाई है।