नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण की समस्या आसमान में स्मॉग की वजह से छाई धुंध के कारण चर्चा का विषय बन गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को बैटक कर प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए। अगर भारत भी चीन के कुछ नियमों को अपना ले तो काफी हद तक भारत भी प्रदूषण से छुटकारा पा सकता है। अगर नियमों को कड़ाई से लागू किया जाए तो आने वाली पीढ़ी के लिए खुली हवा में सांस लेना आसान हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि प्रदूषण सिर्फ भारत की समस्या है। पिछले साल ऐसी ही स्मॉग ने चीन की राजधानी बीजिंग को भी अपनी चपेट में ले लिया था। चीन ने इस दिशा में पिछले एक साल में बड़ी तत्परता से काम किया और इस जहरीली हवा को काफी हद तक कम किया है।
चीन में कार्बन उत्सर्जन का मुख्य कारक कोयले का इस्तेमाल रहा है। इसलिए उसने 2017 तक कोयले के इस्तेमाल में 70 प्रतिशत तक कटौती करने का लक्ष्य रखा है और उसने एक साल में ही ये निर्भरता काफी कम कर दी है। चीन में अब ऊर्जा की जरूरतों को बिजली और गैर-जीवाश्म ईंधनों से पूरा करने की कोशिश की जा रही है। चीन में वैसी सभी लोहे, स्टील, सीमेंट और हैवी इंडस्ट्री को बंद किया जा रहा है जो कोयले पर आधारित हैं। चीन ने 2020 तक कोयला मुक्त होने का लक्ष्य बनाया है।
चीनी सरकार 2008 तक अपने यहां का वायु प्रदूषण का डाटा गुप्त रखती थी, लेकिन जब उसने देखा कि बीजिंग और उसके बाकी बड़े शहरों का दम घुटने लगा है तो उसने ऑनलाइन एयर रिपोर्टिंग की व्यवस्था शुरू की। चीन में अब 1500 साइट्स से पल्यूशन के रियल टाइम आंकड़े हर घंटे जारी किए जाते हैं। चीनी सरकार भी नियमित तौर पर शहरों की एयर क्वॉलिटी की रैंकिंग जारी करती है। साथ ही लोगों को भी समय-समय पर ये डाटा चेक करते रहने की सलाह जारी की जाती है।
1 जनवरी 2015 से चीन में पर्यावरण प्रोटेक्शन कानून सख्ती से लागू हैं। चीन में ये कानून अब इतना कड़ा है कि प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों पर जुर्माने करने की कोई सीमा नहीं रखी गई है। कई बड़ी कंपनियों पर जुर्माना भी लगाया गया। गैर-लाभकारी संगठन प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ जनहित मुकद्दमे दायर कर सकते हैं। स्थानीय सरकारों पर भी इन कानूनों को सख्ती से लागू कराने का दायित्व है। 2015 में चीन ने एक पर्यावरणविद को ही पर्यावरण मंत्री के पद पर बिठाया है।
चीन ने सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए कड़े बंदोबस्त किए हैं। उसने 2017 तक ऐसी सभी गाड़ियों को सड़क से बाहर करने का लक्ष्य रखा है जो साल 2005 तक रजिस्टर्ड हुई हैं। चीन सरकार ने आने वाले 5 सालों में पेइचिंग, शंघाई और बीजिंग जैसे शहरों में गाड़ियों की संख्या को निश्चित कर बड़ी कटौती करने की योजना बनाई है।