नई दिल्ली (सुनील वर्मा)। शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में रेल नीर की जगह सस्ते पानी की आपूर्ति करने के मामले में रेल मंत्री सुरेश प्रभु कड़ी कार्रवाई करते हुए रेलवे के दो बड़े अधिकारियों एम एस चालिया और संदीप सिलस को सस्पेंड कर दिया है। रेल मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है। रेल मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि सीबीआइ ने इन अधिकारियों के यहां कल रात छापे मारे थे । दोनों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। आपको बता दें कि कल रात को सीबाआइ ने इस रोल नीर स्कैम का खुलासा किया था। जिसमें सात फर्मो समेत उनके मालिकों के ठिकानों पर छापे के दौरान सीबीआइ ने 20 करोड़ रुपये नकद बरामद किए थे।
सीबीआई प्रवक्ता ने इस घटना के बारे में बताया कि उत्तर रेलवे के तत्कालीन मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों (पीएस एवं कैटरिंग) एम एस चालिया और संदीप सिलस के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई ने निजी कंपनियों आर के एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड, सत्यम कैटर्स प्राइवेट लिमिटेड, अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट, पीके एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड, सनशाइन प्राइवेट लिमिटेड, वृंदावन फूड प्रॉडक्ट और फूड वर्ल्ड के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।
सिलस एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के निजी सचिव के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। सूत्रों ने यह खुलासा किया कि आर.के. एसोसिएट्स और वृंदावन फूड प्रॉडक्ट के मालिक श्याम बिहारी अग्रवाल, उनके बेटे अभिषेक अग्रवाल और राहुल अग्रवाल के आवास से 20 करोड़ रूपए नगद बरामद किए गए हैं। आरोप है कि आरोपियों ने राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस सहित प्रीमियम ट्रेनों में जरूरी ‘रेल नीर’ के इतर सस्ते पैक पेयजल की आपूर्ति को लेकर इन निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया।
कैसे हुआ घोटाला
रेल नीर पानी की सप्लाई करनेवाली फर्मों को 10.50 रुपये प्रति बोतल के हिसाब के पानी सप्लाई करता था, जिसे वे ट्रेनों में 15 रुपये बेचते थे। लेकिन रेल नीर लेने के बजाय इन फर्मो ने पीडीडब्ल्यू नाम के ब्रांड का सस्ता पानी इन ट्रेनों में सप्लाई करना शुरू कर दिया। ये पानी बाजार में प्रति बोतल 5.70 से सात रुपये में मिलती है। इस तरह प्रति बोतल वे आठ रुपये से अधिक की कमाई कर रहे थे। आईआरसीटीसी ने उत्तरी रेलवे के कैटरिंग विभाग को रेल नीर सप्लाई नहीं होने की शिकायत भी की। पर कोई सुनवाई नहीं हुई।