नई दिल्ली। नोएडा के सुपरटेक एमारल्ड कोर्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को 10 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है। एमारल्ड कोर्ट में बने दो टावरों की वैधता पर एनबीसीसी की रिपोर्ट के आधार पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध बताते हुए गिराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक की अपील पर सुनवाई करते हुए एनबीसीसी से टावरों पर रिपोर्ट मांगी थी।
सुपरटेक के दो टावर गिराए जाने के फैसले के बाद इन्वेस्ट करने वाले निवेशकों ने अपने पैसे लौटाने की मांग की है। निवेशकों की चिंता को देखते हुए सुप्रीमकोर्ट ने सुपरटेक को कोर्ट की रजिस्ट्री में 10 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है। इससे पहले भी कोर्ट सुपरटेक से 5 करोड़ रुपये जमा करा चुकी है।
कोर्ट ने कहा है कि अगर एनबीसीसी 786 फ्लैट वाले 2 टावरों को अवैध करार देता है तो हाईकोर्ट के आदेश पर अमल होगा। अगर रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट टावरों को बनाए रखने का आदेश देती है तब फिर से निवेशकों से उनकी राय मांगी जाएगी कि वह पैसे वापस चाहते हैं या नहीं।
क्या है मामला
नोएडा अथॉरिटी ने 2006 में सुपरटेक को 17.29 एकड़ (लगभग 70 हजार वर्ग मीटर) जमीन सेक्टर-93ए में आवंटित की थी। इस सेक्टर में एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 15 टावरों का निर्माण किया गया था। इन टावरों में प्रत्येक में सिर्फ 11 मंजिल बनी थीं।
2009 में नोएडा अथॉरिटी के पास सुपरटेक बिल्डर ने रिवाइज्ड प्लान जमा कराया। इस प्लान में एपेक्स व सियान नाम से दो टावरों के लिए एफएआर खरीदा। बिल्डर ने इन दोनों टावरों के लिए 24 फ्लोर का प्लान मंजूर करा लिया। इस पर बिल्डर ने 40 फ्लोर के हिसाब से 857 फ्लैट बनाने शुरू कर दिए। इनमें 600 फ्लैट की बुकिंग हो गई। ज्यादातर ने फ्लैट की रकम भी जमा करानी शुरू कर दी।
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