निशा शर्मा।
ये हैं मोहम्मद शाबिर और तरन्नुम। दिल्ली के भजनपुरा के रहने वाले हैं, लेकिन कनॉट प्लेस के ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमरस के बाहर बैठे हैं। शाबिर के हाथ में एक महीने का बच्चा है।
शाबिर से पूछने पर कि एक महीने के बच्चे को लेकर क्नॉट प्लेस के बैंक के बाहर क्या कर रहे हैं? तो जवाब से पहले कईं प्रश्नों के साथ देखते हैं और कहते हैं ‘अब गरीब के लिए रह क्या गया है, काम करो या ना करो लेकिन जो चंद पैसे घर पर रखे हैं पहले उन्हें बदलवाओ। मेरा बच्चा एक महीने का है और हम दर ब दर पैसे के लिए भटक रहे हैं। हमारे इलाके (भजनपुरा) में रात से ही लाइन लग जा रही है। पिछले कई दिनों से लाइन में लग रहा था। लेकिन नंबर आने से पहले ही बैंक वाले कह दे रहे थे कि पैसा खत्म हो गया।’
पूछने पर कि पैसे बदलवाने के लिए एक महीने के बच्चे को साथ लेकर क्यों घूम रहे हैं तो बच्चे की तरफ देखते हुए शाबिर जवाब देते हैं कि मुझे पता लगा कि अब महिलाओं की लाइन अलग लग रही है तो अपनी बीबी के साथ भजनपुरा के बैंक के बाहर लाइन में लग गए। लेकिन वहां भी नंबर नहीं आया। फिर और भी आस-पास के बैंको में भी नंबर नहीं आया। कल किसी ने बताया क्नॉट प्लेस में कई बैंक हैं, कहीं ना कहीं नंबर आ जाएगा इसलिए बीबी को साथ ले आया। ताकि कुछ पैसा मिल जाए।
क्या-क्या परेशानियां आ रही हैं 500, 1000 के नोट ना चलने के बाद के जवाब में शाबिर की पत्नी तरन्नुम कहती हैं बच्चा छोटा है, दर-दर भटक रहें हैं बच्चे को लेकर। मजबूरी नहीं होती तो क्या 1 घंटा बस में परेशान होकर भजनपुरा से यहां थोड़ी आते। बच्चे के लिए दूध की जरुरत है, कपड़ों की जरुरत है कईं जरुरतें है, बच्चे के साथ। हमारी कौन- सी बहुत कमाई है तुम्हारी तरह, जो परेशानी नहीं होगी। एक समय के खाने को तरस रहे हैं और तुम परेशानी पूछ रही हो।’
सरकार से क्या चाहते हो कि क्या किया जाना चाहिए जिससे आप लोगों को परेशानी ना झेलनी पड़े का जवाब तरन्नुम बड़े गुस्से से देती है ”अरे हमें कुछ नहीं कहना सरकार से। यहां बैंक वाले दो हजार का नोट हाथ में थमा दे रहे हैं कि जाओ अब इसे छुट्टा करवाने के लिए भटको और तुम सरकार की बात करती हो। कह रहे हैं यह मिल रहा है ये बहुत नहीं है क्या। जैसे हम मजदूरों पर एहसान कर रहे हों। (आवाज में नरमी आने लगी) बताओ अब बच्चों को लेकर हम कहां-कहां घूमें। पहले लाइन में लगें, फिर इन पैसों को छुट्टा करवाने के लिए जगह ढूंढें। हमारे बच्चे ने क्या बिगाड़ा है किसी का जो उसे ऐसी परेशानियों को झेलना पड़ रहा है।”