नोटबंदी के बाद अपनी पहली मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने बाजार की उम्मीदों के विपरीत नीतिगत ब्याज दरों में कटौती से परहेज किया है। इससे सस्ते कर्ज की उम्मीदों को जोर का झटका लगा है। यानी अगर आपने बैंक से कोई लोन ले रखा है तो उसकी मासिक किस्त (ईएमआई) अभी नहीं घटेगी। या फिर अगर आप कोई लोन लेने की सोच रहे हैं तो अभी आपको पुरानी दरों पर ही लोन मिलेगा। हालांकि केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2016-17 के विकास दर अनुमान में आधा फीसदी की कटौती कर दी है।
रिजर्व बैंक ने बुधवार को अपनी मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है। वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 5.75 फीसदी और सीआरआर चार फीसदी पर कायम है। एमएसएफ व बैंक रेट 6.75 फीसदी ही रखा गया है। हालांकि आरबीआई ने अतिरिक्त सीआरआर का फैसला वापस लेने का एलान किया है। 100 फीसदी अतिरिक्स सीआरआर 10 दिसंबर से वापस होगा।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2016- 17 का विकास अनुमान 7.6 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया है। आरबीआई के मुताबिक नोटबंदी के चलते अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में खुदरा महंगाई दर में 0.1-0.15 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। आरबीआई ने कहा है कि नोटबंदी के फैसले के बाद अनिश्चितता बढ़ी है। आगे जल्द खराब होने वाले वस्तुओं के दाम घटेंगे, ऐसे में नोटबंदी के असर का इंतजार है। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि महंगाई को देखते हुए दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। इससे पहले अक्टूबर 2016 में नीतिगज ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की गई थी।
उर्जित पटेल ने कहा कि 500 और 1000 रुपये के नोट हटाने का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया। काफी सोच समझ कर ये फैसला लिया गया है। नोटबंदी की दिक्कतों का सरकार और आरबीआई को अंदाजा था। उन्होंने कहा कि चार लाख करोड़ रुपये के नए नोट छपे हैं और पब्लिक को दिए गए हैं। रिजर्व बैंक बड़ी मात्रा में करेंसी उपलब्ध करा रहा है और आगे पैसा निकालने की सीमा की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने बताया कि सिस्टम में अब तक 11.55 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट वापस आए हैं।
बाजार के विशेषज्ञों ने आरबीआई के इस कदम को निराशाजनक करार दिया है। उन्हें ब्याज दरों में 0.25 फीसदी कटौती की उम्मीद थी। उनका कहना है कि दरों में कटौती नहीं होने से बाजार में नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। उर्जित पटेल की नजर अगले हफ्ते अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक पर है। वित्तीय जानकारों का मानना है कि अमेरिकी बैंक ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है। इस इजाफे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों पर फैसला लिया।
रेपो रेट का असर आप पर कैसे पड़ता है
बैंक एक से तीन दिन के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं और इस कर्ज पर रिजर्व बैंक जिस दर से ब्याज वसूलता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। अगर रेपो रेट कम होगा तो बैंक को कम ब्याज दर देनी पड़ेगी और इसका फायदा बैंक लोन की ब्याज दरें घटाकर आम आदमी को देता है। वहीं रिवर्स रेपो पर ही बैंक अपना पैसा आरबीआई के पास रखते हैं।