मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनावी साल में प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को मंगलवार को सातवें वेतन के तौर पर तोहफा देने की घोषणा की है। और कैबिनेट की बैठक के बाद इस पर मुहर लग गई। इस रिपोर्ट की मंजूरी के बाद कर्मचारियों को जनवरी से सातवें वेतन आयोग के मुताबिक नया वेतन मिलने लगेगा।
राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसी भी वक्त आचार संहिता लागू हो सकती है, इसी को भांपते हुए अखिलेश सरकार की कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग सहित कई बड़े फैसले लिए।
अखिलेश सरकार राज्य में जनवरी 2016 से ये वेतन आयोग लागू करेगी और जनवरी 2017 से लोगों को इसके लाभ मिलने लगेंगे। सरकार लोगों को इस एक साल का वेतन और पेंशन देगी।
यूपी कैबिनेट के इस फैसले से राज्य के करीब साढ़े आठ लाख सरकारी कर्मचारी, साढ़े पांच लाख शिक्षकों के साथ-साथ स्थानीय निकाय, जिला पंचायत विकास प्राधिकरणों, स्वशासी संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमों निगमों तथा विकास प्राधिकरणों के कर्मचारी को फायदा मिलेगा।
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से सरकारी खजाने पर करीब 80 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ने का अनुमान है। हालांकि चुनाव को देखते हुए अखलेश सरकार ने विधानसभा के पिछले मानसून सत्र में अनुपूरक बजट के जरिये इस राशि का इंतजाम कर लिया है।
इस फैसले के बाद अखिलेश यादव ने कहा, साढ़े चार साल तक चली यह बैठक सबसे लंबी रही है। इसमें सातवें वेतन आयोग सहित जनता के हित में कई बड़े फेसले लिए गए हैं। कैबिनेट के कुल 80 प्रस्ताव किए हैं। कुछ और जरूरी फैसले अगली कैबिनेट बैठक में लिए जाएंगे।’
बता दें कि अखिलेश यादव ने महज छह महीने सिफारिशों को लागू कर दिया जबकि छठे वेतन आयोग को लागू करने में तीन साल की देरी हुई थी, राज्य में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का यह फैसला आगामी विधानसभा चुनाव से ढेरों आस लगाए अखिलेश यादव का बेहद अहम कदम माना जा रहा है।