सुनील वर्मा
दिल्ली । यादव कुनबे में जिस तरह का घमासान मचा है अगर वो जल्द नहीं सुलझा तो यादव परिवार की तीन बहुएं इस बार एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोकती नजर आएं । मुलायम सिंह यादव परिवार की तीन बहुएं डिंपल, अपर्णा और राजलक्ष्मी इस बार चुनावी मैदान में दम दिखाने की पहले ही तैयारी कर चुकी हैं। लेकिन हो सकता है बदले हालात में तीनों बहुएं एक साथ नहीं, बल्कि एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार करें।
जैसे हालात बन रहे हैं, उसके मुताबिक ऐसा हो सकता है कि अखिलेश व शिवपाल गुट अलग-अलग चुनाव लड़े। ऐसी स्थिति में अपर्णा जो मुलायम की छोटी बहू हैं और राजलक्ष्मी जो शिवपाल की बहू हैं, शिवपाल के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करती दिखें ।
शिवपाल की पुत्र वधु राजलक्ष्मी
अपर्णा का टिकट अखिलेश ने अपनी लिस्ट में काट दिया था और ऐसे भी अपर्णा के रिश्ते शिवपाल से ज्यादा बेहतर हैं। इसकी संभावना है कि अगर शिवपाल गुट अलग चुनाव लड़ता है, तो मुलायम की छोटी बहू अपर्णा शिवपाल के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करेंगी। शिवपाल की पुत्र वधु राजलक्ष्मी भी शिवपाल गुट के प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभाओं को संबोधित कर सकती हैं। ऐसे भी राजलक्ष्मी राजनीतिक परिवार से ही हैं। सबसे रोचक बात ये है कि यादव परिवार की यादव परिवार की तीनों बहुएं ठाकुर परिवार से है लेकिन परिस्थियियों ने इनकों एक दूसरे के विरोधी के रूप में सामने खड़ा कर दिया है ।
मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव के बेटे आदित्य की पत्नी राजलक्ष्मी के पिता संजय सिंह के पिता सत्यनारायण सिंह वर्ष 1976 से 1982 तक कांग्रेस से एमएलसी रहे। राजलक्ष्मी ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री हासिल की है। राजलक्ष्मी की मां शारदा कुंवर सिंह राजपूताना मैहर स्टेट की राजकुमारी रही हैं। राजलक्ष्मी के नाना राजा कुंवर नारायण सिंह जूदेव 3 बार एमएलए रह चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के वर्तमान सीएम वीरभद्र सिंह राजलक्ष्मी के नाना लगते हैं। वे शारदा कुंवर सिंह के फूफा हैं। शिवपाल के बेटे आदित्य यादव अचानक से पॉलिटिकल इवेंट्स में एक्टिव नजर आ रहे हैं। आदित्य यादव की 10 मार्च 2016 को आजमगढ़ की राजलक्ष्मी से शादी हुई थी।
मुलायम के छोटे पुत्र प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव
मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित की गई हैं, पर जब अखिलेश यादव ने टिकट घोषित किया, तो उन्होंने अपर्णा का टिकट काट दिया। अपर्णा यादव राजनीति में आने से पहले वनजीवों के लिए काम कर रही थी।
मुलायम सिंह के कुनबे की महिलाओं में अपर्णा यादव काफी चर्चित हैं। उनका विवाह मुलायम के छोटे पुत्र प्रतीक यादव के साथ हुआ है। अपर्णा को कैंट प्रत्याशी घोषित करने में चाचा शिवपाल का बड़ा रोल है। सपा ने कैंट से कभी कोई सीट नहीं जीती लेकिन अब अपर्णा यादव को खड़ा करके इलाके के ठाकुर और पहाड़ के लोगों के बीच खुद को स्थापित करने की कोशिश सपा ने की है।
अपर्णा और प्रतीक की शादी साल 2011 में हुई थी। अपर्णा यादव मूल रूप से उत्तराखंड के पहाड़ की रहने वाली हैं। अपर्णा बिष्ट यादव एक क्लासिकल सिंगर भी हैं। उनका यह शौक गाहे बगाहे शहर में होने वाले कार्यक्रमों में देखा भी गया है। अपर्णा यादव वरिष्ठ पत्रकार अरविन्द सिंह बिष्ट की बेटी हैं। अपर्णा के पति प्रतीक यादव को पहलवानी का शौक है और इसलिए वे बॉडी बिल्डिंग का शौक रखते हैं। उन्होंने शहर में एक जिम भी खोला है।
बड़ी बहू व मुख्यमंत्री अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव
अब बात करते हैं यादव परिवार की बड़ी बहू डिंपल यादव की। डिंपल कन्नौज से सांसद हैं और मुख्यमंत्री अखिलेश की पत्नी हैं। दो बेटी और एक बेटे की मां डिंपल अखिलेश यादव के साथ हर कदम में खड़ी रहती हैं। सपा के कलह में भी डिंपल ने एक अच्छी बहू का कर्तव्य निभाया है। वह अपने परिवार के खिलाफ किसी भी बयानबाजी से बच रही हैं। इतना ही नहीं वे सोशल मीडिया में अपने पति का मनोबल बढ़ाते हुए उनके साथ नज़र आ रही हैं। 1978 में पुणे में आर्मी कर्नल एससी रावत के घर डिंपल का जन्म हुआ और इनकी प्ररंभिक पढ़ाई पुणे शहर में हुई। कर्नल रावत उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के मूल निवासी हैं और वर्तमान में वहीं रह रहे हैं। डिंपल की दो और बहने हैं। इंटरमीडिएट के बाद डिंपल यादव ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ह्यूमेनिटीज़ में अपना ग्रेजुएशन किया। इसी दौरान अखिलेश यादव से उनकी मित्रता हुई और फिर प्रेम। उस समय अखिलेश मरीन इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया से लौटे थे। 1999 में शादी के बाद डिंपल गृहणी बन गईं और अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर राजनीति में सक्रिय हो गये। अखिलेश यादव ने अपने द्वारा जीती गयी कन्नौज लोक सभा सीट उनके लिये खाली और डिम्पल ने इस सीट के लिये अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। मुकाबले में कांग्रेस, भाजपा और बहुजन समाज पार्टी ने उनके खिलाफ अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारा जबकि दो अन्य, दशरथ सिंह शंकवार (संयुक्त समाजवादी दल) और संजू कटियार (स्वतन्त्र उम्मीदवार) ने अपना नामांकन वापस ले लिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि 2012 का लोकसभा उप-चुनाव उन्होंने निर्विरोध जीतकर उत्तर प्रदेश में एक कीर्तिमान स्थापित किया। डिंपल विभिन्न मौकों पर अखिलेश को ताकत देते हुए नजर आती है तो वहीं वो परिवार को भी बखूबी संभालती हैं। इसके चलते आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में डिंपल को आदर्श पत्नी और बहू के तौर पर देखा जाता है।
डिम्पल यादव मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ट्वीटर और फेसबुक अकाउंट खुद देखती हैं। हर बड़े बिज़नेस घरानों और संस्थान के कार्यक्रमों में डिम्पल यादव को आमंत्रित करने की होड़ लगी रहती है। अगर अखिलेश का मुलायम से समझौता न हुआ तो डिंपल यादव अखिलेश खेमे की स्टार प्रचारक होंगी और यह उनकी पहली अग्नि परीक्षा होगी ।